नई दिल्ली : भारतीय स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने केंद्र सरकार को सुझाव दिया है कि कोरोना टीकाकरण प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए सभी संसाधनों (सरकारी व निजी अस्पतालों) का उपयोग किया जाए. विशेषज्ञों ने माना है कि प्रारंभिक चरण में टीकाकरण प्रक्रिया बहुत धीमी थी.
16 जनवरी से, कोविड-19 टीकाकरण अभियान शुरू होने के बाद अब तक देशभर में 8.83 करोड़ खुराक दी जा चुकी है.
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की वरिष्ठ सलाहकार डॉ. सुनीला गर्ग ने कहा, हमें टीकाकरण के लिए विविध नवीन रणनीतियों को अपनाना होगा. हमारे पास 540 से अधिक मेडिकल कॉलेज और 60 पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल कॉलेज हैं. हर कॉलेज की अपनी क्षेत्रीय पहुंच है. उन्हें टीकाकरण के लिए संबंधित आयु वर्ग के लोगों को अपने केंद्र में लाने का काम सौंपा जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि कोरोना टीकाकरण ने प्रारंभिक चरण में खराब प्रतिशत दर्ज किया, लेकिन अब इसमें तेजी दिख रही है.
डॉ. गर्ग ने कहा, हमें अच्छी प्रभावकारिता वाले दो टीके मिले. शुरुआत में, टीकाकरण प्रक्रिया इसलिए भी धीमी थी, क्योंकि लोगों के मन में वैक्सीन को लेकर संकोच था. लोग इसके संभावित दुष्प्रभावों के कारण वैक्सीन लेने से हिचकिचा रहे थे.
महाराष्ट्र, पंजाब और दिल्ली में टीकाकरण बहुत कम
बुधवार को कोरोना वैक्सीन की 13.14 लाख खुराक लाभार्थियों को दी गई. हालांकि, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना कि महाराष्ट्र, पंजाब और दिल्ली में टीकाकरण की संख्या बहुत कम है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने टीकाकरण प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए इन राज्यों को तीन अलग-अलग पत्र लिखे हैं.
ईटीवी भारत से बात करते हुए एशियन सोसाइटी फॉर इमरजेंसी मेडिसिन के अध्यक्ष डॉ. तमोरिश कोल ने भी कहा कि वैक्सीन को लेकर लोगों के मन में संकोच टीकाकरण की धीमी गति का मुख्य कारण था.
डॉ. कोल ने कहा, पंजीकरण के लिए डिजिटल ऐप होने के बावजूद, शुरुआत में टीकाकरण की गति धीमी रही. उम्मीद है कि कोरोना की मौजूदा स्थिति को देखते हुए हर पात्र नागरिक अब टीकाकरण के लिए आगे आएगा.