नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू कश्मीर में इस साल हुए आतंकी हमलों में 28 नागरिकों की मौत हुई है और मृतकों में सभी धर्मों के लोग शामिल हैं. नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष ने उम्मीद जताई कि हाल के दिनों में निशाना बनाए जाने की वजह से कश्मीरी पंडित और सिख समुदाय के लोग फिर से पलायन नहीं करेंगे.
उन्होंने कहा कि हम सबको यह सुनिश्चित करने की पुख्ता कोशिश करनी चाहिए कि कश्मीर से अल्पसंख्यकों का पुन: पलायन न हो. उन्होंने यह भी कहा कि कोई भी समुदाय दूसरे की तुलना में ज्यादा सुरक्षित महसूस नहीं करता. अब्दुल्ला ने एजेंसी को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि इसे रोकने के लिए और इन समुदायों में सुरक्षा की भावना बहाल करने के लिए जो कुछ भी किया जा सकता है, वह किया जाना चाहिए.
जाहिर है इस काम में बड़ी जिम्मेदारी प्रशासन को निभानी है लेकिन बहुसंख्यक समुदाय होने के नाते हम पर भी उस जिम्मेदारी का कुछ हिस्सा है. हमें वह जिम्मेदारी निभानी होगी. नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता ने जमीनी हकीकत पर ध्यान देने के बजाय दुष्प्रचार और जनसंपर्क से जीत हासिल करने का प्रयास करने के लिए प्रशासन की आलोचना करते हुए अधिकारियों से कहा कि वे इस पर बात अवलोकन करें कि आखिर हम जहां के तहां क्यों खड़े हैं.
बहरहाल, अब्दुल्ला ने हालिया हमलों को खुफिया एजेंसियों की नाकामी का परिणाम बताने से बचते हुए कहा कि मेरे ख्याल में यह खुफिया सूचना के आधार पर कार्रवाई करने में नाकामी का परिणाम है. इस विफलता के लिए आप सिर्फ पुलिस को दोष नहीं दे सकते हैं क्योंकि आतंकवाद रोधी अभियान पुलिस, अर्द्धसैनिक बल और सेना चलाती है. यह हमारी आतंकवाद रोधी ग्रिड की सामूहिक नाकामी है.
उन्होंने दावा किया कि पिछले कुछ महीनों से इस तरह की बातें हो रही थी कि अल्पसंख्यकों, खासकर कश्मीरी पंडितों को निशाना बनाकर हमले किए जा सकते हैं. अब्दुल्ला ने कहा कि जब ऐसी बातें उन तक पहुंच सकती हैं जो सरकार का हिस्सा नहीं हैं तो ये खुफिया एजेंसियों को भी मालूम हुई ही होंगी और निश्चित रूप से उन्होंने संबंधित लोगों को यह रिपोर्ट दी होगी.