नई दिल्ली :नागर विमानन मंत्रालय (Civil Aviation Ministry) ने ड्रोन के लिए यातायात प्रबंधन की रूपरेखा को अधिसूचित किया है जिसके तहत सार्वजनिक और निजी तृतीय-पक्ष सेवा प्रदाता 1,000 फुट के नीचे हवाई क्षेत्र में उनकी आवाजाही का प्रबंधन करेंगे.
24 अक्टूबर को जारी रूपरेखा में कहा गया है कि मौजूदा हवाई यातायात प्रबंधन (Air Traffic Management - ATM) प्रणालियां मानव रहित विमान (ड्रोन) के यातायात के प्रबंधन के लिए तैयार नहीं की गई हैं.
महंगे हार्डवेयर की है जरूरत
उसमें कहा गया है कि पारंपरिक साधनों का उपयोग करते हुए मानव रहित विमानों को भारतीय हवाई क्षेत्र में एकीकृत करने के लिए भारी और महंगे हार्डवेयर से लैस करने की आवश्यकता हो सकती है, जो न तो संभव है और न ही उचित है.
मंत्रालय ने कहा कि इसके लिए एक अलग, आधुनिक, प्राथमिक रूप से सॉफ्टवेयर आधारित, स्वचालित यूएएस (Automated unmanned aircraft system -UAS) यातायात प्रबंधन (Traffic Management - UTM) ) प्रणाली के निर्माण की आवश्यकता है. उसने कहा कि बाद में इस प्रकार की प्रणालियों को पारंपरिक ATM प्रणालियों में एकीकृत किया जा सकता है.
UTM और ATM का एकीकरण महत्वपूर्ण
हवाई क्षेत्र में मानव युक्त और मानव रहित विमानों को एक दूसरे से लगातार अलग रखने के लिए UTM और ATM का एकीकरण महत्वपूर्ण होगा.
यह रूपरेखा तृतीय पक्ष सेवा प्रदाताओं को पंजीकरण, उड़ान संबंधी योजना और मौसम, इलाके एवं मानवयुक्त विमानों की स्थिति जैसे पूरक आंकड़ों तक पहुंच उपलब्ध कराने जैसी सेवाएं देती हैं। इसके अलावा इस रूपरेखा के तहत पूरक सेवा प्रदाताओं के एक समूह को यूटीएम पारिस्थितिकी तंत्र के सहयोग के लिए बीमा और आंकड़ों के विश्लेषण जैसी सेवाएं प्रदान करने की अनुमति दी जाएगी.
इस रूपरेखा के अनुसार, जब भी आवश्यक होगा, तब ड्रोन संचालकों के अनुमोदन (Approval) और उन्हें अनुमति प्रदान करने के लिए सरकारी हितधारकों के लिए डिजिटलस्काई मंच इंटरफेस (DigitalSky platform interface) बना रहेगा.
केंद्र के साथ साझा करनी होगी जानकारी
इसमें कहा गया है कि सभी ड्रोन (हरित क्षेत्र में संचालित नैनो ड्रोन को छोड़कर) को नेटवर्क के माध्यम से प्रत्यक्ष तौर पर या तृतीय पक्ष सेवा प्रदाताओं के जरिए अपनी मौजूदा स्थिति की जानकारी अनिवार्य रूप से केंद्र के साथ साझा करनी होगी.
मंत्रालय ने कहा कि तृतीय पक्ष सेवा प्रदाताओं को पहले छोटे भौगोलिक क्षेत्रों में तैनात किया जाएगा जिन्हें धीरे-धीरे बढ़ाया जा सकता है. इसके अलावा, इन सेवा प्रदाताओं को ड्रोन संचालकों से सेवा शुल्क लेने की अनुमति होगी और इसका एक छोटा हिस्सा भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (Airports Authority of India - AAI) के साथ साझा करना पड़ सकता है, जो ATM का प्रबंधन करता है.
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भारतीय ड्रोन परिसंघ (Drone Federation of India) के निदेशक स्मित शाह (Director, Smit Shah) ने एक बयान में कहा कि मानवयुक्त विमानों के लिए हवाई यातायात नियंत्रकों (Air Traffic Controllers - ATCs) द्वारा प्रदान की जाने वाली पारंपरिक यातायात प्रबंधन सेवाओं को ड्रोन यातायात के प्रबंधन के लिए विस्तार देना संभव नहीं है, क्योंकि पारंपरिक ATMs हाथ से चलते है और इसके लिए मानवीय हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है.
उन्होंने कहा कि यह नीतिगत रूपरेखा तृतीय पक्ष सेवा प्रदाताओं को देश भर में ड्रोन यातायात के प्रबंधन के लिए स्वचालित और सॉफ्टवेयर आधारित सेवाओं को तैनात करने की अनुमति देगी.
केंद्र सरकार ने ड्रोन और इसके उपकरणों के लिए उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (Production-linked incentive - PLI) योजना को 15 सितंबर को मंजूरी दी थी, जिसके तहत अगले तीन वित्त वर्ष में 120 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे.
(पीटीआई-भाषा)