नई दिल्ली : संसद में मणिपुर के मुद्दे को लेकर जारी गतिरोध को खत्म करने के लिए सरकार ने गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और कुछ अन्य विपक्षी दलों के नेताओं से मुलाकात की, हालांकि स्थिति पहले जैसी ही बनी हुई है. सरकार और विपक्षी दलों के नेताओं के बीच आधे घंटे से अधिक समय तक हुई बैठक बेनतीजा रही. राज्यसभा में विपक्ष अपनी इस मांग पर कायम है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सदन में मणिपुर के विषय पर बयान देना चाहिए और फिर समग्र चर्चा होनी चाहिए.
सूत्रों का कहना है कि विपक्ष ने नियम 267 के तहत चर्चा की मांग को लेकर अपने रुख को लचीला किया है. सत्ता पक्ष की ओर से प्रधानमंत्री के बयान देने की मांग पर सहमति देने से इनकार किया है. उसका कहना है कि मणिपुर के मुद्दे पर गृह मंत्री अमित शाह बयान देंगे. राज्यसभा में सदन के नेता एवं वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने विपक्षी नेताओं से ऐसे समय में मुलाकात की, जब विपक्ष के दलों ने सभापति जगदीप धनखड़ द्वारा बुलाई गई बैठक से दूरी बना ली.
धनखड़ ने सदन को सुचारू रूप से चलाने पर सहमति बनाने के मकसद से बैठक बुलाई थी. सरकार के साथ बैठक में विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' के घटक दलों के नेताओं ने सुझाव दिया कि मणिपुर के विषय पर निर्बाध ढंग से चर्चा आरंभ होनी चाहिए और इसमें कोई समय सीमा नहीं होनी चाहिए. सरकार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि विपक्षी दलों में मतभेद है और उनके कुछ सांसद किसी भी तरह की चर्चा के लिए तैयार है, चाहे प्रधानमंत्री बयान दें या गृह मंत्री जवाब दें, हालांकि विपक्षी नेताओं का कहना है कि प्रधानमंत्री के बयान देने से जुड़ी मांग को लेकर कोई समझौता नहीं हो सकता. दूसरी तरफ, उच्च सदन में कांग्रेस के मुख्य सचेतक जयराम रमेश ने कहा कि विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस) के घटक दलों ने गतिरोध खत्म करने के लिए बीच का रास्ता सुझाया है और उम्मीद है कि सरकार इसे स्वीकार करेगी.