मदुरै : मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै बेंच ने मंगलवार को आदेश दिया कि सरकारी कर्मचारियों को कार्यालय समय के दौरान निजी इस्तेमाल के लिए मोबाइल फोन का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. स्वास्थ्य विभाग की एक कर्मचारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट के जस्टिस एस.एम.सुब्रमण्यम ने यह आदेश दिया. उन्होंने राज्य सरकार से इस संबंध में नियम बनाने और दोषी सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने के निर्देश भी दिए.
त्रिची हेल्थ जोनल में वर्क सुपरवाइजर के पद पर काम करने वाली राधिका को वर्कप्लेस पर मोबाइल फोन का उपयोग करने के कारण बर्खास्त कर दिया गया था. अपनी बर्खास्तगी आदेश को रद्द करने की मांग करते हुए राधिका ने हाई कोर्ट की मदुरै बेंच में एक याचिका दायर की थी. 15 मार्च यानी मंगलवार को जस्टिस एस.एम.सुब्रमण्यम ने मामले की सुनवाई की.
सुनवाई के दौरान जस्टिस सुब्रमण्यम ने कहा कि ऑफिस ऑवर में सरकारी कर्मचारियों के लिए मोबाइल फोन का उपयोग करना आम होता जा रहा है. ऑफिस के वर्किंग टाइम में मोबाइल फोन का उपयोग करना और वीडियो बनाना एक अच्छा कदम नहीं है. सरकारी कर्मचारियों को काम के घंटों के दौरान सेल फोन का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. अगर कोई इमरजेंसी है तो भी प्रॉपर परमीशन के बाद ही मोबाइल फोन का उपयोग करना चाहिए.
अदालत ने राज्य सरकार को इस संबंध में नियम बनाने और दोषी सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि वर्किंग आवर में फोन का उपयोग करने और वीडियो बनाने के मामले में कार्रवाई के लिए सर्कुलर जारी करना जरूरी है. तमिलनाडु के स्वास्थ्य सचिव और सरकारी अधिकारियों को काम के घंटों के दौरान मोबाइल फोन के उपयोग और सेल फोन कैमरों से वीडियो रिकॉर्डिंग के संबंध में नियम बनाना चाहिए. कोर्ट ने सरकार को ऑफिस के लिए एक अलग मोबाइल फोन या टेलिफोन की व्यवस्था करने का भी आदेश दिया है. कोर्ट ने तमिलनाडु के स्वास्थ्य सचिव से आदेश पर अमल करने संबंधी जानकारी के लिए चार सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट तलब की है.
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