नई दिल्ली : राज्यसभा में गुरुवार को विभिन्न दलों के सदस्यों ने फिल्मों की पायरेसी को विश्व में सर्वाधिक फिल्में बनाने वाले इस देश के मनोरंजन उद्योग की एक बड़ी समस्या बताते हुए कहा कि इससे निपटने के लिए सरकार को कठोर कदम उठाने चाहिए. साथ ही उन्होंने सेंसर बोर्ड की प्रमाणन प्रक्रिया को और अधिक मजबूत बनाने की वकालत की, ताकि फिल्मों में भारतीय संस्कृति का समुचित चित्रण हो सके.
चलचित्र (संशोधन) विधेयक 2023 पर चर्चा में भाग लेते हुए बीजू जनता दल के प्रशांत नंदा ने कहा कि वह पिछले पचास साल से फिल्म उद्योग से जुड़े हैं. उन्होंने फिल्में बनायी हैं और उन्होंने पायरेसी की समस्या का सामना किया है. उन्होंने कहा कि किसी भी हिंदी फिल्म को जिस दिन रिलीज किया जाता है, अगले दिन ही वह (पायरेसी के कारण) दुबई में दिखायी जाने लगती है. उन्होंने कहा कि इस विधेयक में पायरेसी के आरोप साबित होने पर तीन साल तक की सजा और दस लाख रूपये तक का जुर्माना प्रावधान किया गया है.
नंदा ने फिल्मों के वर्गीकरण के लिए विधेयक में नई श्रेणियां बनाये जाने के प्रावधान का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि यदि किसी फिल्म के बारे में सेंसर बोर्ड के निर्णय की समीक्षा की जाती है तो यह काम उन्हीं सदस्यों को नहीं दिया जाना चाहिए जिन्होंने इसका निर्णय किया था. उन्होंने कहा कि समीक्षा का काम बोर्ड के अन्य सदस्यों को दिया जाना चाहिए. नंदा ने कहा कि इस विधेयक के मामले में कुछ और विचार विमर्श किए जाने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि आज ओटीटी मंच पर दिखायी जाने वाली फिल्मों और धारावाहिकों के संवादों में गालियां दिखायी जा रही हैं. उन्होंने कहा कि इस मामले में गंभीरता दिखाते हुए इन्हें रोके जाने की आवश्यकता है.
नंदा जब अपनी बात रख रहे थे, उसी दौरान विपक्षी दलों के सदस्यों ने मणिपुर मुद्दे पर चर्चा कराये जाने और प्रधानमंत्री के बयान की मांग पर सदन से बहिर्गमन किया. इससे पहले सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने उच्च सदन में चलचित्र (संशोधन) विधेयक 2023 को चर्चा के लिए रखते हुए कहा कि पायरेसी एक दीमक की तरह भारतीय फिल्म उद्योग को खा रही है और इसको रोकने के लिए लाये गये चलचित्र (संशोधन) विधेयक से उद्योग के हर सदस्य को लाभ मिलेगा और सिनेमा के माध्यम से भारत एक साफ्ट पॉवर की तरह तेजी से उभरेगा. ठाकुर ने कहा कि चार दशकों में बहुत बदलाव आया है. उन्होंने कहा, 'दर्शकों की संख्या भी बहुत बढ़ी है. भारतीय फिल्मों की साख भी बहुत बढ़ी है. आज विश्व में सबसे अधिक फिल्म बनाने वाला देश भारत है.'
उन्होंने कहा कि यह विधेयक किसी फिल्म निर्माता या निर्देशक के पक्ष में ना होकर स्पॉट ब्वाय, स्टंट मैन से लेकर कोरियोग्राफर तक सिनेमा उद्योग से जुड़े हर व्यक्ति के हित में लाया गया है. विधेयक पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए भारतीय जनता पार्टी के लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने कहा कि भारत विश्व का सबसे बड़ा फिल्म निर्माता देश है. उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी के लिहाज से भारतीय फिल्म उद्योग ने काफी प्रगति की है और बड़े स्तर पर लोगों को रोजगार प्रदान किया है. उन्होंने कहा कि आज भारतीय फिल्म उद्योग के लिए पायरेसी एक बहुत खतरा बन गया है और इससे अरबों रूपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है. उन्होंने कहा कि फिल्मों ने हिंदी भाषा और संस्कृति के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है.