गोवर्धन पूजा हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है. इसे कई जगहों पर अन्नकूट के नाम से मनाया जाता है. यह पर्व कृषि एवं धन संबंधी पर्व कार्तिक प्रतिपदा को मनाया जाता है. हर साल दीपावली के दूसरे दिन सायंकाल ब्रज में गोवर्धन पूजा का विशेष आयोजन होता है, तो वहीं कई जगहों पर गोवर्धन पूजा दीपावली के अगले दोपहर में मनायी जाती है. दीपावली के ठीक एक दिन बाद गोवर्धन पूजा भारत के प्रमुख हिस्सों में बहुत उत्साह के साथ की जाती है. यह दीपावली के त्योहारों का चौथा पर्व है. अन्य पर्वों की तरह इसका भी खास महत्व है.
गोवर्धन पूजा मनाने के पीछे एक महत्वपूर्ण कथा प्रचलित है. इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने इन्द्र का मानमर्दन करते हुए गोवर्धन पर्वत के अपनी अंगुली पर धारण किया था. इस दिन गिरिराज पूजन की परंपरा है. इस अवसर पर मन्दिरों में अन्नकूट किया जाता है और सायंकाल गोबर के गोवर्धन बनाकर पूजा की जाती है.
हमारी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन वेदों में वरुण, इन्द्र, अग्नि आदि देवताओं की पूजा का विधान है. इसी दिन बलि पूजा, गोवर्धन पूजा, मार्गपाली आदि आयोजित किए जाते हैं. इस दिन लोग गाय-बैल आदि पशुओं को स्नान कराकर, फूल माला, धूप, चंदन आदि से उनका पूजन किया जाता है. गायों को मिठाई खिलाकर उनकी आरती उतारी जाती है. यह ब्रजवासियों का मुख्य त्योहार है.
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