दिल्ली

delhi

कानून की अजब कहानी, गोपालगंज जेल में कट गई जवानी, 28 साल बाद कोर्ट ने बताया निर्दोष

By

Published : Apr 22, 2022, 10:31 PM IST

बिहार के गोपालगंज जिले के जिला एवं सत्र न्यायालय ने 28 साल से आजीवन सजा काट रहे एक शख्स को पर्याप्त सबूत के अभाव में दोषमुक्त कर बरी कर दिया. इस मामले में सजा सुनाते हुए कोर्ट ने पुलिस की चूक पर टिप्पणी की. 28 साल तक बिहार की जेल में रहने वाला यह शख्स यूपी के देवरिया का है.

Court acquits a man after 28 years in jail
Court acquits a man after 28 years in jail

गोपालगंज: बिहार के गोपालगंज में न्‍याय व्‍यवस्‍था की एक अजीब दास्‍तान सामने आई है. हत्या और अपहरण के आरोप में 28 सालों से जेल में बंद एक व्यक्ति को कोर्ट ने निर्दोष करार दिया. उत्तर प्रदेश के देवरिया निवासी बीरबल को 28 वर्ष की उम्र में गिरफ्तार किया गया था. जब उसकी उम्र 56 साल हो गई, तो कोर्ट ने उसे बेगुनाह पाया. अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश विश्वविभूति गुप्ता की अदालत ने गुरुवार को उसे दोषमुक्त पाते हुए बाइज्जत बरी कर (Murder Accused Relased) दिया. कोर्ट ने पुलिस की चूक पर भी टिप्पणी की है. कोर्ट का फैसला सुनते ही अधेड़ हो चुका आरोपित कोर्ट में फूट-फूटकर रो पड़ा.

पुलिस कोई सबूत नहीं दे पायी तो आरोपी हुआ दोषमुक्त: अपर लोक अभियोजक परवेज हसन ने बताया कि ट्रायल के दौरान पुलिस न तो कोर्ट के सामने अपना पक्ष रख सकी और न ही जांच अधिकारी ही कोर्ट में गवाही के लिए आए. पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर भी कोर्ट में पेश नहीं हुए. बचाव पक्ष के अधिवक्ता राघवेंद्र सिन्हा ने बताया कि इस केस की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में चल रही थी. फास्ट ट्रैक कोर्ट के सालों से बंद रहने के कारण इसकी सुनवाई बाधित रही. अंत में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश की कोर्ट में जब मामला पहुंचा तो कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेकर ट्रायल को पूरा कराने के लिए सुनवाई शुरू की थी.

वर्ष 1993 का मामला:दरअसल, गोपालगंज जिले के भोरे थाना के हरिहरपुर गांव के रहने वाले सूर्यनारायण भगत 11 जून 1993 को देवरिया के रहने वाले युवक बीरबल भगत के साथ मुजफ्फरपुर के लिए घर से निकले थे. उसके बाद से अचानक वो लापता हो गए, परिजन ने काफी तलाश की, लेकिन कुछ पता नहीं चल पाया. काफी तलाश करने के बाद 18 जून 1993 को सूर्यनारायण भगत के पुत्र सत्यनारायण भगत के बयान पर भोरे थाना (कांड संख्या-81/93) में मामला दर्ज कर बीरबल भगत को नामजद अभियुक्त बनाया गया. बाद में देवरिया पुलिस ने एक अज्ञात शव को जब्त किया, जिसका यूडी केस दर्ज कर शव को दफना दिया गया था. कुछ दिनों बाद परिजनों ने देवरिया पुलिस से मिली तस्वीर के आधार पर पहचाना कि सूर्यनारायण भगत के शव को दफनाया गया था.

आरोपी को आजीवन कारावास:देवरिया की पुलिस ने बीरबल भगत को 27 जनवरी 1994 को एक दूसरे आपराधिक मामले में गिरफ्तार किया. आरोप पत्र आने के बाद 28 फरवरी 1995 को न्यायालय ने इस मामले में संज्ञान लिया. सत्र न्यायालय में इस आपराधिक मामले की सुनवाई शुरू हुई. इसी बीच यूपी के देवरिया कोर्ट में लंबित सत्र के बाद में 27 अक्टूबर 2010 को आरोपी बीरबल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. उसमें 11 वर्षों तक सजा काटने के बाद भोरे पुलिस ने रिमांड पर लेकर गोपालगंज जेल में बंद कर दिया था. उसे अपराधी मानकर परिजन व रिश्तेदारों ने भी जेल में छोड़ दिया. किसी ने जमानत तक कराने के लिए कोर्ट में अर्जी नहीं दी और न ही कोई जेल में मिलने आया.

इस मामले में करीब 11 साल तक चली सुनवाई के बाद आरोपी बीरबल भगत को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश विश्वविभूति गुप्ता के न्यायालय ने पर्याप्त सबूत के अभाव में रिहा कर दिया. देवरिया के बनकटा थाने के टड़वां गांव निवासी बीरबल भगत को पुलिस ने गिरफ्तार किया तो उनकी उम्र महज 28 वर्ष थी. अब वह 57 वर्ष की उम्र में जेल से रिहा हुआ है. जेल में रहने के दौरान ही उसके मां-बाप की मौत हो गई, लेकिन वह कंधा तक नहीं दे सका. परिवार वालों ने भी बीरबल से रिश्ता-नाता तोड़ लिया है.

यह भी पढ़ें -गोपालगंज कोर्ट ने हत्या के एक मामले में तीन को दी उम्रकैद की सजा, 20-20 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया

ABOUT THE AUTHOR

...view details