गोपालगंजःरसगुल्ले तो बहुत खाए होंगे, लेकिन ऐसे रसगुल्ले नहीं खाए होंगे जो सिर्फ ठंड के मौसम में ही मिलता है. जी हां, हम ऐसी मिठाई के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे खाते ही सर्दी भाग जाएगी. बिहार के गोपालगंज बंगाली स्वीट्स में ऐसे ही रसगुल्ले मिलते हैं, जिसे खाने के लिए ठंड के मौसम में लोगों की भीड़ उमड़ती है.
डायबिटीज इसे आराम से खा सकते हैंः जिला मुख्यालय में गोपालगंज बंगाली स्वीट्स है, जिसे एक बंगाली और बिहारी दोस्तों ने मिलकर खोला था. पिछले 20 सालों से यह मिठाई दुकान खास रसगुल्ले के लिए जानी जाती है. अब तक हमने मौसमी फल खाए थे, लेकिन अब मौसमी रसगुल्ले भी बिक रहे हैं. पूरे साल में मात्र तीन से चार महीने ही इस रसगुल्ले को तैयार किया जाता है. सुगर फ्री नहीं होते हुए भी बिना कोई डर के डायबिटीज वाले इसे खा सकते हैं.
20 साल से बेच रहे रसगुल्लेः बंगाली स्वीट्स के संचालक अभय कुमार उर्फ भोला भाई ने बताते हैं कि उन्होंने एक बंगाली दोस्त के साथ मिलकर इस दुकान की शुरुआत की थी. पांचवी कक्षा में बंगाल के रहने वाले अनिल पंजा के बेटे अरुण पंजा के साथ दोस्ती हुई थी. दोनों साथ में पढ़ाई की. 2003 में बंगाली स्वीट्स के नाम से एक दुकान खोली गई. दुकान खोलने के बाद चाहते थे कि कुछ अलग लोगों तक पहुंचाए. बंगाल में खजूर गुड़ के रसगुल्ले बनते थे तो हमने भी यहां इसकी शुरुआत की.
"अपने बंगाली दोस्त के साथ मिलकर शुरु किए थे. लोग इसे खूब पसंद करते हैं. इस रसगुल्ले की कीमत 400 रुपए प्रति किलो और 20 रुपए पीस है. इस मिठाई को खाने के लिए एक साल इंतजार करना पड़ता है, क्योंकि यह मिठाई सालों भर नहीं मिल पाता है. सिर्फ शर्दियों के तीन माह ही इसको तैयार जाता है."-अभय कुमार उर्फ भोला भाई, संचालक, बंगाल स्वीट्स
बंगाल के कारीगर करते हैं कामः अभय बताते हैं कि यह रसगुल्ला गुड़ से तैयार होने के कारण डायबिटीज के मरीज खा सकते हैं. खजूर गुड़ पश्चिम बंगाल से मंगवाया जाता है. यह गुड़ सर्दियों में ही मिलता है, जिस कारण कुछ ही महीने रसगुल्ला बनाया जाता है. अभय बताते हैं कि रसगुल्ले बनाने वाले कारीगर भी बंगाल के ही हैं. समीर दा अपने सहयोगियों के साथ करीब 20 साल से रसगुल्ला तैयार करने में लगे हैं.
बंगाल से आते हैं खजूर गुड़ः गोपालगंज में गुड़ का रसगुल्ला बनाने वाले समीर दा ने बताया कि गर्मी के मौसम में खजूर के गुड़ खराब होने लगते हैं. इसका सीजन सिर्फ सर्दी के मौसम ही है, इसलिए इसको सर्दी में ही बनाया जाता है. यह सामान्य रसगुल्ले से अलग हल्के भूरे रंग के होते हैं. उनहोंने रसगुल्ला तैयार करने के बारे में खास जानकारी दी. रसगुल्ला बनाने के लिए बंगाल से 4 से 5 क्विंटल गुड़ मंगाया जाता है.
"गाय के दूध का इस्तेमाल करते हैं. दूध का छेना बनाकर छोटे रसगुल्ला का आकार दिया जाता है. रस में पकाने के बाद उसे गुड़ की चासनी में डाला जाता है. ग्राहकों को गुड़ की चासनी में डूबे रसगुल्ले परोसे जाते हैं. बंगाल का प्रसिद्ध मिठाई संदेश और पिट्ठी भी तैयार किया जाता है."-समीर दा, कारीगर