दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

इंसाफ के देवता: इस मंदिर में आज भी लिखी जाती हैं चिट्ठियां, गोल्ज्यू देवता करते हैं 'न्याय'

ऋग्वेद में उत्तराखंड को देवभूमि कहा गया है. ऐसी भूमि जहां देवी-देवता निवास करते हैं. हिमालय की गोद में बसे इस सबसे पावन क्षेत्र को मनीषियों की पूर्ण कर्म भूमि कहा जाता है. उत्तराखंड में देवी-देवताओं के कई चमत्कारिक मंदिर हैं. इन्हीं में से एक मंदिर गोल्ज्यू देवता का भी है. गोल्ज्यू देवता को स्थानीय मान्यताओं में न्याय का देवता कहा जाता है.

Almora Golu Devta
न्याय के देवता

By

Published : May 31, 2022, 2:56 PM IST

Updated : May 31, 2022, 4:33 PM IST

अल्मोड़ाः उत्तराखंड को देवताओं की स्थली अर्थात देवभूमि के नाम से जाना जाता है. पौराणिक काल से यहां विराजमान अनेकों मंदिर श्रद्धालुओं के आस्था के केंद्र हैं. सबका अपना अलग-अलग महत्व है. इन्हीं में से एक अल्मोड़ा के चित्तई में स्थित प्रसिद्ध गोल्ज्यू देवता का मंदिर है. इस मंदिर को न्याय के देवता के रूप में भी जाना जाता है. यही वजह है कि हर साल लाखों की संख्या में देश विदेश के श्रद्धालु न्याय की उम्मीद लिए यहां पहुंचते हैं. कुमाऊं में गोल्ल यानि गोल्ज्यू को घर-घर में इष्ट देवता के रूप में भी पूजा जाता है.

बता दें कि अल्मोड़ा जिला मुख्यालय से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ मार्ग पर स्थित गोल्ज्यू देवता (गोलू) के मंदिर में देश विदेश से श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. कहा जाता है कि गोल्ज्यू भैरव यानि शिव का एक रूप हैं, जो कि गोल्ल देवता के अवतार में यहां पूजे जाते हैं. मंदिर में हजारों अद्भुत घंटे-घंटियों का संग्रह है. जिन लोगों की मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं, वे यहां घंटी चढ़ाते हैं. यानी मंदिर की घंटियां लोगों को न्याय मिलने या उनकी मनोकामना पूरी होने की गवाह हैं.

इंसाफ के देवता.

गोल्ज्यू देवता को न्याय के देवता के रूप में जाना जाता है. मान्यता है कि जिन लोगों को कोर्ट कचहरी या फिर सर्वोच्च न्यायालय से भी न्याय नहीं मिल पाता उनको आखिरकार गोल्ज्यू के दरबार में आकर न्याय मिलता है. मन्नतें या फिर न्याय की गुहार लागाने का भी यहां अनोखा तरीका है, लोग लिखित अर्जी टांगकर गोल्ज्यू से मन्नतें या फिर न्याय मांगते हैं. बहुत से लोग तो कोर्ट फीस वाले स्टाम्प पेपर पर लिखकर अपनी बात रखते हैं.
ये भी पढ़ेंःइस मंदिर में चिठ्ठी लिखने पर पूरी हो जाती है मनोकामना, मिलता है 'न्याय'

पंडित इस अर्जी को पढ़कर गोल्ज्यू देवता को सुनाते हैं. इसके बाद इस आवेदन पत्र को लोग मंदिर परिसर में टांग देते हैं. कई लोग तो डाक से भी अपनी अर्जी यहां भिजवाते हैं. मनोकामना पूरी होने पर लोग यहां घंटी अर्पित करते हैं. मंदिर परिसर चारों ओर से लाखों की संख्या में आवेदन पत्र और घंटियों से भरा पड़ा है. यहां टंगी अर्जियां और घंटियां इस बात की गवाही भी देते है कि गोल्ज्यू देवता न्याय जरूर देते हैं. बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण चंद वंश के एक सेनापति ने 12वीं शताब्दी में करवाया था.

गोल्ज्यू या गोलू देवता को लेकर कई कहानियां हैं. जिनमें से एक कहानी जनश्रुतियों के अनुसार, कत्यूरी वंश के राजा झल राय की सात रानियां थीं. सातों रानियों में से किसी की भी संतान नहीं थी. राजा इस बात से काफी परेशान रहा करते थे. एक दिन वे जंगल में शिकार करने के लिए गए हुए थे. जहां उनकी मुलाकात रानी कलिंका से हुई (रानी कलिंका को देवी का एक अंश माना जाता है). राजा झल राय, रानी को देखकर मंत्रमुग्ध हो गए और उन्होने उनसे शादी कर ली कुछ समय बाद रानी गर्भवती हो गईं.

यह देख सातों रानियों को ईर्ष्या होने लगी. सभी रानियों ने दाई मां के साथ मिलकर एक साजिश रची. जब रानी कलिंका ने बच्चे को जन्म दिया, तब उन्होंने बच्चे को हटा कर उसकी जगह एक सिल बट्टे का पत्थर बच्चे की जगह रख दिया. बच्चे को उन्होने एक टोकरे में रख कर नदी में बहा दिया. वह बच्चा बहता हुआ मछुआरों के पास आ गया. उन्होंने उसका लालन पालनकर बड़ा किया. जब बालक आठ साल का हुआ तो उसने उसने पिता से राजधानी चंपावत जाने की जिद की.

पिता के यह पूछने पर की वो चंपावत कैसे जाएगा? बालक ने कहा की आप मुझे बस एक घोड़ा दे दीजिए. पिता ने इसे मजाक समझकर उसे एक लकड़ी का घोड़ा लाकर दे दिया. वो उसी घोड़े को लेकर चंपावत आ गए. वहां एक तालाब में राजा की सात रानियां स्नान कर रही थी. बालक वहां अपने घोड़े को पानी पिलाने लगा. यह देख सारी रानियां उस पर हंसने लगीं और बोलीं- 'मूर्ख बालक लकड़ी का घोड़ा भी कभी पानी पीता है?'
ये भी पढ़ेंःप्रभु से पुलिस की शिकायत! ₹2500 की नौकरी करने वाले का काटा ₹16000 का चालान, 'न्याय देवता' से गुहार

बालक ने तुरंत जवाब दिया कि अगर रानी कलिंका एक पत्थर को जन्म दे सकतीं हैं तो क्या लकड़ी का घोड़ा पानी नहीं पी सकता. यह सुन सारी रानियां स्तब्ध रह गईं. जल्द ही यह खबर पूरे राज्य में फैल गई. राजा को भी सारी सच्चाई पता चल गई. उन्होंने षड्यंत्र करने के लिए सातों रानियों को दंड दिया और नन्हें गोलू को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया.

कहा जाता है कि तब से ही कुमाऊं में उन्हें न्याय का देवता माना जाने लगा. धीरे-धीरे उनके न्याय की खबरें सब जगह फैलने लगी. उनके कुमाऊं में कई मंदिर स्थापित किए गए. उनके जाने के बाद भी, जब भी किसी के साथ कोई अन्याय होता तो वो एक चिट्ठी लिखकर उनके मंदिर में टांग देता और जल्द ही उन्हें न्याय मिल जाता. सिर्फ कुमाऊं मे ही नहीं बल्कि, पूरे देश में उन्हें न्याय देवता के रूप में माना जाता है.

'काली गंगा में बगायो, गोरी गंगा में उतरो, तब गोरिया नाम पड़ो' यह लोक काव्य की पंक्तियां गोल्ल के जागर में गाई जाती है. गोल्ल को कुमाऊं में स्थान व बोली के आधार पर अलग-अलग नाम पर पुकारा जाता है. वे चैघाणी गोरिया, ध्वे गोल्ल, हैड़िया गोल्ल, गोरिल, दूधाधारी, निरंकार और घुघुतिया गोल्ल आदि नामों से लोक मान्यताओं में जीवंत हैं. गोल्ज्यू देवता को लेकर लोगों में काफी आस्था और विश्वास है कि कहीं से न्याय न मिले तो यहां जरूर आते हैं.

ऐसी ही विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करेंETV BHARAT APP

Last Updated : May 31, 2022, 4:33 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details