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chandrayaan3 : चंद्रयान 3 के चारों ओर खास वजह से लगाई गई है गोल्डन लेयर, जानिए क्या है काम - चंद्रयान 3 अपडेट

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के मुताबिक चंद्रयान 3 बुधवार शाम को चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग करेगा. ऐसे में दुनियाभर की निगाहें इस पर लगी हुई हैं. चंद्रयान 3 के चारों तरफ एक सुनहरी परत दिख रही है, इसको लेकर भी लोगों में उत्सुकता है.

chandrayaan3
चंद्रयान 3

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 23, 2023, 4:10 PM IST

नई दिल्ली :भारत इतिहास लिखने के कगार पर है. इसरो का महत्वाकांक्षी मून मिशन चंद्रयान-3 का लैंडर मॉड्यूल (एलएम) बुधवार शाम को चंद्रमा की सतह को छूने के लिए तैयार है. इसके साथ ही वह ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा.

लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) वाला एलएम बुधवार शाम 6:04 बजे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र के पास उतरने वाला है. ऐसे में सभी की उत्सुकता बढ़ती जा रही है. चंद्रयान 3 के चारों तरफ एक सुनहरी परत दिख रही है, उसको लेकर भी लोगों में उत्सुकता है (chandrayaan3 golden layer).

मीडिया रिपोर्ट में वैज्ञानिकों के हवाले से बताया गया है कि ऐसी शीट केवल अंतरिक्ष यान के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में लगाई जाती है. इसे मल्टी-लेयर इंसुलेशन (एमएलआई) शीट कहा जाता है. ये पॉलीमाइड पॉलिएस्टर (एक तरह की प्लास्टिक) की बनी होती है. इन पर एल्लुमीनियम की कोटिंग भी होती है.

विक्रम लैंडर के ऊपर की सुनहरी पीली शीट एल्युमीनियम कोटेड पॉलीमाइड की सिंगल लेयर होती है. इसमें एल्युमीनियम अंदर की तरफ होता है. और बाहर की तरफ के सुनहरे रंग की वजह से ऐसा लगता है कि इसे सोने की शीट से कवर किया गया है.

इसका मुख्य काम सूर्य की रोशनी को परिवर्तित करना है. या दूसरे शब्दों में कहा जाए तो ऐसी शीट यान को गर्मी से बचाती है. दरअसल पृथ्वी से अंतरिक्ष तक की यात्रा के दौरान बहुत तेजी से तापमान बदलता है. इससे नाजुक उपकरणों पर असर पड़ सकता है. तापमान बढ़ने से उपकरण बंद हो सकते हैं.

यही वजह है कि उपग्रह या अंतरिक्ष यान के स्थान पर सीधी धूप की मात्रा के आधार पर एमएलआई शीट तैयार की जाती है. कई उपग्रह तो पृथ्वी की कक्षा में स्थापित हो जाते हैं, वहीं चंद्रयान जैसे उपग्रह को कई लाख किलोमीटर की यात्रा करनी होती है. ऐसे में एमएलआई किसी ऑर्बिट में चक्कर लगा रहे स्पेसक्राफ्ट के टेम्प्रेचर को संतुलित रखते हुए इसमें लगे उपकरणों को प्रोटेक्ट करता है.

चंद्रमा पर तापमान शून्य से 200 डिग्री नीचे तक रहता है ऐसे में यह ऐसी शीट यान के उपकरणों से उत्पन्न गर्मी को बाहर नहीं निकलने देतीं.

इसके अलावा ये शीट्स सीधे सूर्य के प्रकाश से सौर विकिरण और पराबैंगनी किरणों को अंतरिक्ष में परावर्तित करती हैं यानी उन्हें वापस अंतरिक्ष की ओर मोड़ देती हैं. इससे यान को कोई खतरा नहीं रहता है. एमएलआई शीट अंतरिक्ष यान को न केवल सौर विकिरण और गर्मी ही नहीं, बल्कि अंतरिक्ष की धूल से भी बचाती हैं.

चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान में एक प्रणोदन मॉड्यूल (वजन 2,148 किलोग्राम), एक लैंडर (1,723.89 किलोग्राम) और एक रोवर (26 किलोग्राम) शामिल है. कुछ दिन पहले लैंडर प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग हो गया और अब दोनों अलग-अलग कक्षाओं में चंद्रमा का चक्कर लगा रहे हैं. इसरो के अनुसार, लैंडर बुधवार शाम 5.45 बजे चंद्रमा पर उतरना शुरू करेगा और टच डाउन शाम करीब 6.05 बजे होगा.

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