नई दिल्ली :भारत इतिहास लिखने के कगार पर है. इसरो का महत्वाकांक्षी मून मिशन चंद्रयान-3 का लैंडर मॉड्यूल (एलएम) बुधवार शाम को चंद्रमा की सतह को छूने के लिए तैयार है. इसके साथ ही वह ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा.
लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) वाला एलएम बुधवार शाम 6:04 बजे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र के पास उतरने वाला है. ऐसे में सभी की उत्सुकता बढ़ती जा रही है. चंद्रयान 3 के चारों तरफ एक सुनहरी परत दिख रही है, उसको लेकर भी लोगों में उत्सुकता है (chandrayaan3 golden layer).
मीडिया रिपोर्ट में वैज्ञानिकों के हवाले से बताया गया है कि ऐसी शीट केवल अंतरिक्ष यान के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में लगाई जाती है. इसे मल्टी-लेयर इंसुलेशन (एमएलआई) शीट कहा जाता है. ये पॉलीमाइड पॉलिएस्टर (एक तरह की प्लास्टिक) की बनी होती है. इन पर एल्लुमीनियम की कोटिंग भी होती है.
विक्रम लैंडर के ऊपर की सुनहरी पीली शीट एल्युमीनियम कोटेड पॉलीमाइड की सिंगल लेयर होती है. इसमें एल्युमीनियम अंदर की तरफ होता है. और बाहर की तरफ के सुनहरे रंग की वजह से ऐसा लगता है कि इसे सोने की शीट से कवर किया गया है.
इसका मुख्य काम सूर्य की रोशनी को परिवर्तित करना है. या दूसरे शब्दों में कहा जाए तो ऐसी शीट यान को गर्मी से बचाती है. दरअसल पृथ्वी से अंतरिक्ष तक की यात्रा के दौरान बहुत तेजी से तापमान बदलता है. इससे नाजुक उपकरणों पर असर पड़ सकता है. तापमान बढ़ने से उपकरण बंद हो सकते हैं.
यही वजह है कि उपग्रह या अंतरिक्ष यान के स्थान पर सीधी धूप की मात्रा के आधार पर एमएलआई शीट तैयार की जाती है. कई उपग्रह तो पृथ्वी की कक्षा में स्थापित हो जाते हैं, वहीं चंद्रयान जैसे उपग्रह को कई लाख किलोमीटर की यात्रा करनी होती है. ऐसे में एमएलआई किसी ऑर्बिट में चक्कर लगा रहे स्पेसक्राफ्ट के टेम्प्रेचर को संतुलित रखते हुए इसमें लगे उपकरणों को प्रोटेक्ट करता है.