मुंबई: राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) ने सोने की तस्करी करने वाले एक रैकेट का भंडाफोड़ किया है. इस कार्रवाई में डीआरआई ने खेप में से 3.5 करोड़ रुपये का 5.8 किलो सोना बरामद किया है. इसके बाद डीआरआई की जांच ने उसे कालबादेवी में सोने की तस्करी और प्रसंस्करण इकाई तक पहुंचाया. इस जांच के लिए धनजी स्ट्रीट, कालबादेवी में एक तलाशी ली गई, जहां डीआरआई ने लगभग 37 किलो सोना बरामद किया.
इस सोने की कीमत लगभग 22 करोड़ रुपये बताई जा रही है. इसके अलावा डीआरआई ने 2.35 करोड़ रुपये नकद भी जब्त किए हैं. डीआरआई ने मेल्टिंग यूनिट के प्रभारी प्रशांत मोहन मायकर को गिरफ्तार कर लिया है. डीआरआई के अधिकारियों के मुताबिक, निदेशालय के अधिकारी पिछले कुछ महीनों से विदेशी नागरिकों के जरिए भारत में सोने की तस्करी के पैटर्न का अध्ययन कर रहे हैं और इसकी गहन निगरानी भी कर रहे हैं.
इस बीच, उन्होंने पाया कि कुछ विदेशी नागरिक लगातार भारत आ रहे थे. साथ ही अधिकारियों ने उन भारतीय नागरिकों की भी जानकारी जुटाई, जिनसे उन्होंने यहां आने के बाद संपर्क किया. यह जानकारी जुटाने के बाद उन्हें पता चला कि सोने की तस्करी का एक बड़ा रैकेट चल रहा है. सोने की तस्करी का यह रैकेट मुंबई में कहां चल रहा है, इसकी पुख्ता जानकारी मिलने के बाद डीआरआई के अधिकारियों ने कालबादेवी इलाके में छापेमारी की. इस छापेमारी के दौरान अधिकारियों ने वहां से 22 करोड़ रुपये कीमत का 37 किलो सोना जब्त किया था.
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इसके साथ ही अधिकारियों ने 2.35 करोड़ रुपये नकद भी जब्त किए. अधिकारियों को जानकारी मिली कि सोने को पाउडर, पेस्ट या कैप्सूल में भरकर उसे पेट में छिपा लिया जाता था. इस सोने को मुंबई में एक विशिष्ट स्थान पर ले जाया जाता था, जहां इसे संसाधित किया जाता था और मुंबई के साथ-साथ अन्य शहरों में व्यापारियों को बेचा जाता था. दिलचस्प बात यह है कि इस सोने के विक्रेता और खरीदार को एक गुप्त कोड दिया जाता था. उस कोड के कन्फर्म होने के बाद ही ट्रांजैक्शन किया जाता था.