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धनतेरस पर भारतीयों ने खरीदा 7500 करोड़ का गोल्ड, जानिए हमें सोने से इतना प्यार क्यों है ? - gold price

धनतेरस पर सोने की रेकॉर्ड खरीदारी से जूलरी मार्केट में रौनक लौट आई है. ज्वेलर्स अब उम्मीद जता रहे हैं कि भारत में सोने का कारोबार 2019 के पहले जैसा होगा. वैसे भी कोरोना काल में भी भारतीयों ने धनतेरस के दिन करीब 4500 करोड़ का सोना खरीदा था. जानिए हम भारतीयों को सोने से इतना लगाव क्यों है?

Gold Sales Touch Rs 7500 Crore on Dhanteras 2021
Gold Sales Touch Rs 7500 Crore on Dhanteras 2021

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Published : Nov 3, 2021, 4:35 PM IST

हैदराबाद : धनतेरस के दिन भारतीयों ने परंपरा के मुताबिक सोने-चांदी की जमकर खरीदारी की. एक दिन में लोगों ने 7500 करोड़ रुपये का सोना खरीद लिया. यह रकम भारत सरकार के खेल बजट 2,596.14 करोड़ रुपये से करीब तीन गुनी और नागरिक विमानन मंत्रालय के बजट 3,224 करोड़ रुपये से दोगुनी है. कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) की रिपोर्ट के अनुसार धनतेरस के दिन करीब 15 टन सोने के आभूषणों (Gold Jewellery) की बिक्री हुई है. इसकी कीमत 7,500 करोड़ रुपये है. 1000 करोड़ का सोना तो दिल्लीवालों ने खरीद लिया. दक्षिण भारत में भी लोगों ने 2000 करोड़ रुपये का गोल्ड खरीदा.

धनतेरस के दिन लोहे के अलावा अन्य धातुओं की खरीदारी शुभ मानी जाती है.

पिछले साल 2020 में कोरोना के कारण त्योहार फीके पड़ गए थे. तब भारतीयों ने धनतेरस पर सिर्फ 4500 करोड़ के गोल्ड की खरीदारी की थी. बुरा वक्त बीत चुका है. देश में 2021 के पहली छमाही में ही 700 टन सोने का आयात किया है. त्योहारी सीजन के बाद शादी का मौसम आएगा तब इसकी बिक्री 20 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है.

भारतीयों के लिए हमेशा से भरोसेमंद रहा है सोना :सोने के रेट पिछले साल के मुकाबले बढ़े हैं, फिर भी इसकी डिमांड में बढ़ोतरी हुई है. हालांकि यह अपने रेकॉर्ड स्तर 56000 प्रति दस ग्राम से अभी भी 8000 रुपये प्रति ग्राम कम है. एक्सपर्ट बताते हैं कि पिछले दो साल से कोरोना के कारण लोगों को निवेश का मौका नहीं मिला.

एक तो लोगों की आय प्रभावित हुई, दूसरी ओर सरकारी बैंकों में ब्याज दर लगातार कम हो रहे हैं. ऐसे में लोग निवेश के लिए सुरक्षित ऑप्शन की तलाश कर रहे हैं. सोने में निवेश भारतीयों के लिए हमेशा से सुरक्षित रहा है. पिछले 10 साल का औसत यह है कि गोल्ड औसतन 6-7 फीसदी का रिटर्न दे रहा है.

सिर्फ 30 फीसद लोग ही प्रॉफिट मेकिंग बिजनेस के लिए भारत में सोने की खरीदारी करते हैं.

करीब पांच साल पहले तक लोग धनतेरस पर गैजेट्स और इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट की जमकर खरीदारी कर रहे थे मगर कोरोना के बाद लोगों ने फिर सुरक्षित निवेश का रुख किया है. भारतीयों की नजर में सोने से सुरक्षित कोई दूसरा विकल्प नहीं है. शेयर मार्केट की जानकारी अभी भी लोगों के बीच कम है.

धनतेरस की खरीदारी सिर्फ तात्कालिक निवेश नहीं :इसे जानने से पहले यह समझ लें कि भारत में अब दो तरह को लोग सोना खरीदते हैं. पहला शार्ट टर्म निवेशक यानी ऐसे लोग निकट भविष्य में लाभ कमाने के उद्देश्य से खरीदे गए गोल्ड को बेच देते हैं. वह सोने को चंद महीने और कुछ साल अपने पास रखते हैं और मौका मिलते ही बेच देते हैं. आम तौर पर ऐसे निवेशक धनतेरस में सोना नहीं खरीदते हैं. सोना खरीदने वालों ऐसे निवेशक सिर्फ 30 फीसद हैं.

50 प्रतिशत भारतीय गहने के शौकीन हैं. वह भी सोने में निवेश करते हैं मगर वह सोने से बनी जूलरी खरीदते हैं. सुनार को गोल्ड की कीमत के अलावा मेकिंग चार्ज देते हैं. भारतीयों में गोल्ड जूलरी को जिंदगी की पूंजी के तौर जमा करने पुरानी परंपरा है. लोग गहने इसलिए खरीदते हैं, ताकि इसका उपयोग बच्चों की शादी-ब्याह में दान-दहेज के लिए भी किया जा सके. धनतेरस में छोटे खरीदार परंपरा निभाते हैं और वित्तीय सुरक्षा के साथ लॉन्ग टर्म इनवेस्ट भी करते हैं.

सोने के अधिकतर आभूषण महिलाओं के लिए बनाए जाते हैं. इसे स्त्री धन भी कहते हैं.

वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल का अनुमान है कि भारत के परिवारों के पास लगभग 25,000 टन सोना रखा है, जिसका उपयोग ट्रेडिंग के लिए नहीं किया गया. आज के हिसाब से इसकी वैल्यू करीब 110 लाख करोड़ रुपये आंकी गई है. इसके अलावा देश के मंदिरों में 4,000 टन से भी ज्यादा सोना होने का अनुमान लगाया है.

कई देशों के बैंक भी सोना जमा कर रहे हैं :50 प्रतिशत भारतीय वित्तीय सुरक्षा के नजरिये से सोना खरीदते हैं. ऐसे ही विचार के साथ कई देशों के केंद्रीय बैंकों ने सोना जमा कर रखा है. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका के पास कुल 8,133.5 टन सोना जमा है. जर्मनी के सेंट्रल बैंक के पास 3,369.70 टन रिजर्व है. इटली की ऑफिशियल गोल्ड होल्डिंग 2,451.8 टन है. फ्रांस के पास 2,436 टन सोने का भंडार है. भारत के रिजर्व बैंक में भी फिलहाल 608.7 टन सोने का रिजर्व है.

सोना खरीदने से पहले हॉलमार्क जरूर चेक करें

ये सारे बैंक सोना ग्लोबल रिस्क से बचने के लिए सोना खरीदते हैं. गोल्ड विदेशी मुद्रा भंडार को भी मजबूती देता है. एक्सपर्ट के मुताबिक, दुनिया में वित्तीय आपातकाल के दौरान सोना किसी भी मुद्रा पर भारी पड़ता है. फाइनैंशल इमरजेंसी में मुद्रा के रेट गिरते हैं तो खरीद-बिक्री का साधन सोना ही होगा. सोना हमेशा से सुरक्षित आर्थिक निवेश है.

सोना की डिमांड इतनी है तो इसमें गड़बड़ और घोटाले की संभावना बनी रहती है. इसलिए सोना खरीदने से पहले सुनिश्चित करें कि आभूषणों में बीआईएस हॉलमार्क हो. बीआईएस का यह चिह्न प्रमाणित करता है कि गहना भारतीय मानक ब्यूरो के स्टैंडर्ड पर खरा उतरता है.

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