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Global Hunger Index 2022 पर सरकार ने उठाए सवाल, बताया जमीनी हकीकत से परे

वैश्विक भूख सूचकांक (Global Hunger Index 2022) में भारत की स्थिति और खराब हुई है. भारत 121 देशों में अब 107वें नंबर पर फिसल गया है. वहीं, भारत सरकार ने वैश्विक भूख सूचकांक रिपोर्ट में कई खामियों का जिक्र करते हुए इसे खारिज कर दिया है.

India slips in Global Hunger Index
ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2022

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Published : Oct 15, 2022, 8:56 PM IST

नई दिल्ली: भारत सरकार ने वैश्विक भूख सूचकांक (Global Hunger Index 2022) की ताजा रिपोर्ट पर सवाल उठाए हैं और इसमें विसंगतियां होने का हवाला देते हुए इसे खारिज कर दिया है. बता दें, ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2022 में भारत 121 देशों में 107वें नंबर पर है. वहीं, पड़ोसी देश पाकिस्तान (99), बांग्लादेश (84), नेपाल (81) और श्रीलंका (64) भारत के मुकाबले कहीं अच्छी स्थिति में हैं. एशिया में केवल अफगानिस्तान ही भारत से पीछे है और वह 109वें स्थान पर है.

भारत सरकार की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया है कि ग्लोबल हंगर इंडेक्स भूख का एक गलत माप है और यह गंभीर कार्यप्रणाली मुद्दों से ग्रस्त है. वैश्विक भूख सूचकांक रिपोर्ट न केवल जमीनी हकीकत से परे है बल्कि यह आबादी के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने पर सरकार द्वारा किए गए प्रयासों को जानबूझकर नजरअंदाज करती है.

विपक्ष ने सरकार को घेरा
वहीं, भूख सूचकांक में भारत की स्थिति को लेकर सामाजिक कार्यकर्ताओं और नेताओं ने सरकार पर निशाना साधा है. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि सरकार को 8.5 वर्ष में भारत को अंधकार के इस युग में लाने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए. उन्होंने ट्वीट किया, '2014 के बाद से वैश्विक भूख सूचकांक में भारत की खतरनाक, तेज गिरावट. मोदी सरकार भारत के लिए विनाशकारी है. 'बफर स्टॉक' से ऊपर बेहद कम खाद्य भंडार की वजह से महंगाई बढ़ रही है. 8.5 वर्ष में भारत को अंधकार के इस युग में लाने की जिम्मेदारी सरकार को लेनी चाहिए.'

कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने कहा, 'माननीय प्रधानमंत्री बच्चों में कुपोषण, भूख, नाटेपन और 'चाइल्ड वेस्टिंग' जैसे वास्तविक मुद्दों से कब निपटेंगे? भारत में 22.4 करोड़ लोगों को अल्पपोषित माना जा रहा है.' उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, '2014 के बाद से मोदी सरकार के आठ वर्ष में हमारी स्थिति खराब हुई है, 16.3 प्रतिशत भारतीय अल्पपोषित हैं जिसका मतलब है कि उन्हें पर्याप्त भोजन नहीं मिलता है. हिंदुत्व, हिंदी थोपना और नफरत फैलाना भूख मिटाने की दवा नहीं है.'

यह भी पढ़ें- भुखमरी सूचकांक में भारत का पाकिस्तान से भी बुरा हाल, 107वें स्थान पर पहुंचा

आम आदमी पार्टी (आप) के नेता व दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने वैश्विक भूख सूचकांक में देश की खराब रैंकिग की पृष्ठभूमि में मोदी सरकार के देश को पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य पर निशाना साधा. सिसोदिया ने यह भी कहा कि अगर प्रत्येक बच्चे के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित न की जाए तो भारत दुनिया में नंबर-वन नहीं बन सकता. उन्होंने ट्वीट किया, भाजपा वाले भाषण तो पांच ट्रिलियन (पांच हजार अरब) की अर्थव्यवस्था बनाने का देते हैं. लेकिन भूख सूचकांक में भी हम 107वें स्थान पर हैं… दो वक्त की रोटी उपलब्ध कराने में भी 106 देश, नेपाल, पाकिस्तान, बांग्लादेश तक, हमसे बेहतर हैं. हर बच्चे के लिए अच्छी शिक्षा की व्यवस्था किए बिना भारत नंबर-1 नहीं बन सकता.

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