बुरहानपुर। सिलमपुरा क्षेत्र में स्वामीनारायण संप्रदाय का 190 वर्ष पुराना भगवान श्री स्वामीनारायण मंदिर स्थित हैं, यहां पूर्णिमा के दिन भगवान श्री लक्ष्मी नारायण देव, हरीकृष्ण महाराज का 501 लीटर दूध और केसर के जल से अभिषेक कराया गया. विश्व के स्वामीनारायण संप्रदाय का यहीं एक ऐसा मंदिर हैं जहां 130 वर्षों से लगातार पूरे डेढ़ माह भगवान श्री लक्ष्मी नारायण देव, हरीकृष्ण महाराज का चंदन के श्रंगार होता हैं. भगवान को अधिक ठंडक ना हो इसके लिए केसर के जल से अभिषेक किया जाता है.
MP: भगवान लक्ष्मी नारायण का केसर जल से अभिषेक, जानें क्या है महत्व
बुरहानपुर के स्वामीनारायण मंदिर में भगवान श्री लक्ष्मी नारायण देव का दूध और केसर जल से अभिषेक किया गया है. यहां भगवान का डेढ़ माह तक केसर जल से अभिषेक कराया जाता है.
मनोकामना होती है पूरी: बताया जाता हैं कि केसर से अभिषेक करने से भगवान का शरीर भी गर्म हो जाता है, जिसके चलते रविवार पूर्णिमा के दिन दूध और केसर से अभिषेक किया जाता है. साथ ही केसर से अभिषेक करने से भगवान प्रसन्न होते हैं. यही वजह है कि यह परंपरा को यहां के हरी भक्तों द्वारा घरो से दूध लाकर क्विंटलों लीटर दूध से अभिषेक कराते हैं. यहां दूध के साथ-साथ दही, केसर, शुद्ध घी, शकर और वेदोंच्चारण के लिए ब्राम्हण मंत्रोंच्चार कर भगवान को प्रसन्न कर हरी भक्तों की मनोकामना पूरी होती है.
केसर जल क्यों है खास: स्वामीनारायण मंदिर में एक पूर्णिमा उत्सव मनाया गया, जिसमें डेढ़ माह से लगातार भगवान लक्ष्मी नारायण देव, हरीकृष्ण महाराज को चंदन का लेप लगाकर श्रृंगार किया जा रहा था लेकिन आज से भगवान को ठंडी का अनुभव ना हो जिसके लिए शुद्ध केसर के जल से अभिषेक किया गया. इसमे शुद्ध केसर के जल के साथ भक्त घरों से दूध, फलों के ज्यूस, पिसी शक्कर, इत्र आदि जो भी लाते है. उसे भी केसर जल में मिलाकर अभिषेक करते हैं. मंदिर के ट्रस्टी सोमेश्वर मर्चेंट ने बताया कि इस इस दिन जो भी संकल्प लेता हैं, तो उस पर भगवान राजी होकर जीवन की नौका को पार लगाते हैं.