नई दिल्ली : भारत 116 देशों के वैश्विक भुखमरी सूचकांक (जीएचआई) में 101वें स्थान पर फिसलकर पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल से भी पीछे चला गया है. इस सूचकांक में 2020 में भारत 94वें स्थान पर था.
रिपोर्ट पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने कहा कि यह चौंकाने वाला है कि वैश्विक भुखमरी रिपोर्ट 2021 में कुपोषित आबादी के अनुपात पर एफएओ के अनुमान के आधार पर भारत की रैंकिंग कम कर दी गई है, जो जमीनी हकीकत और तथ्यों से परे है तथा अपनाई गई पद्धति में गंभीरता की कमी दिखती है.
ऑक्सफैम इंडिया ने कहा कि जीएचआई में भारत का सात पायदान खिसककर 101वें स्थान पर पहुंचने से संबंधित आंकड़ा दुर्भाग्य से देश के यथार्थ को दर्शाता है जहां कोविड-19 महामारी के बाद से भुखमरी और बढ़ी है.
इसने कहा कि भारत में कुपोषण की यह स्थिति कोई नई बात नहीं है और वास्तव में यह सरकार के खुद के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएचएफएस) के आंकड़ों पर आधारित है. 2015 और 2019 के बीच बड़ी संख्या में भारतीय राज्यों ने बाल पोषण मानकों पर अर्जित लाभों को उलट दिया.
ऑक्सफैम इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ बेहर ने कहा कि पोषण का यह नुकसान चिंता का विषय होना चाहिए क्योंकि इसका अंतर-पीढ़ीगत प्रभाव है. इसे सीधे शब्दों में कहें तो नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि भारत के कई हिस्सों में 2015 और 2019 के बीच पैदा हुए बच्चे पिछली पीढ़ी की तुलना में अधिक कुपोषित हैं.
इस साल के केंद्रीय बजट में पोषण 2.0 के लिए बढ़े हुए आवंटन के साथ भारत की पोषण (प्रधान मंत्री की समग्र पोषण योजना) योजना पर चर्चा की गई. हालांकि बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के पोषण में सुधार के लिए 2017 में शुरू किया गया पोषण अभियान, स्वास्थ्य-बजट के भीतर इसे अन्य योजनाओं के साथ चतुराई से मिलाए जाने और खराब कार्यान्वयन के परिणामस्वरूप क्षीण हो गया है.