हैदराबाद :ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स चार प्रमुख आयामों के आधार पर लिंग आधारित असमानता के बारे में जानकारी देता है और समय के साथ इन अंतरों को खत्म करने की दिशा में हो रही प्रगति पर भी नजर रखता है. इंडेक्स के प्रमुख आयामों में आर्थिक भागीदारी और अवसर, शिक्षा, स्वास्थ्य और राजनीतिक सशक्तिकरण शामिल हैं.
इस वर्ष ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स ने 156 देशों से जुड़ी रिपोर्ट निकाली है, जिससे यह समझने में मदद मिलेगी कि लिंग आधारित अंतर को खत्म करने के लिए किन योजनाओं की जरूरत पड़ेगी. सबसे पहली बार वर्ष 2006 में यह रिपोर्ट निकाली गई थी. ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स 0 से 100 के पैमाने पर स्कोर को मापता है. जिसमें 0 लैंगिक असमानता और 100 संपूर्ण लैंगिक समानता दर्शाता है.
रिपोर्ट का 14वां संस्करण दिसंबर 2019 में आया था. कोरोना वायरस से फैली महामारी के कारण 15वें संस्करण की रिपोर्ट को कुछ माह देरी से 2021 में निकाला गया. प्रारंभिक आंकड़े दर्शाते हैं कि कोरोना वायरस से फैली महामारी के परिणामस्वरूप व्याप्त स्वास्थ्य आपातकाल और आर्थिक मंदी से पुरुषों की तुलना में महिलाएं ज्यादा प्रभावित हैं. इससे लिंग आधारित असमानता और बढ़ गई है.
2021 की रिपोर्ट के निष्कर्ष नीचे सूचीबद्ध हैं
पूरी दुनिया के औसत की बात करें तो फिलहाल दुनिया में लैंगिक समानता का स्कोर 68 प्रतिशत है. यह 2020 से -0.6% कम है. इन आंकड़ों को विकसित देशों का प्रदर्शन प्रभावित करता है. 2021 में व्याप्त असमानता को दूर करने में 135.6 वर्ष लगेंगे.
सभी आयामों में राजनीतिक सशक्तिकरण में हम सबसे कम समानता हासिल कर पाए हैं. आज तक यह सिर्फ 22% है. 2020 के बाद समानता 2.4% प्रतिशत घट गई है. सूचकांक में शामिल 156 देशों में 35,500 संसद की सीटें हैं. इनमें महिलाओं की भागीदारी सिर्फ 26.1% है और विश्व भर के 3,400 मंत्रालयों में उनकी भागीदारी सिर्फ 22.6% है. 15 जनवरी 2021 तक 81 देशों की प्रमुख एक महिला कभी नहीं रही है. प्रगति की वर्तमान दर से राजनीति में समानता पाने में महिलाओं को 145.5 वर्ष का समय लगेगा.
आर्थिक भागीदारी और अवसर में राजनीतिक सशक्तिकरण के बाद सबसे ज्यादा लैंगिक असमानता है. इस वर्ष की रिपोर्ट के अनुसार इस आयाम में 58% समानता हासिल कर ली गई है. 2020 की रिपोर्ट के बाद इसमें थोड़ी प्रगति हुई है. अनुमान लगाया जा रहा है कि असमानता को पूरी तरह से दूर करने में 267.6 वर्ष का समय लगेगा.
आर्थिक भागीदारी और अवसर में समानता हासिल करने के दिशा में धीमी गति के दो विपरीत कारण हैं. कुशल और पेशेवर महिलाओं की संख्या में वृद्धि हो रही है, वहीं वेतन समानता की दिशा में प्रगति तो हो रही है, लेकिन इसकी दर निराशाजनक है.
शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में हमनें 95% लैंगिक समानता हासिल कर ली है. 37 देशों में यह शत् प्रतिशत है. हालांकि, 95% को 100% करने की दर कम हो गई है. रिपोर्ट के मुताबिक इसको हासिल करने में 14.2 वर्ष का समय लगेगा. अन्य आयामों की तुलना में यहां पर प्रगति ज्यादा है, हालांकि महामारी ने इसको प्रभावित किया है.
लैंगिक असमानता, कोविड-19 और भाविष्य की कार्यशैली
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन, लिंक्डइन और इप्सोस से चिन्हित अर्थव्यवस्थाओं का हाई फ्रीक्वेंसी डेटा आर्थिक भागीदारी में लैंगिक अंतर पर कोविड-19 के प्रभाव का विश्लेषण करता है. अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के आंकड़ों के मुताबिक महामारी के दौरान नौकरी खोने वाली महिलाओं का आंकड़ा 5% है और पुरुषों के लिए यह आंकड़ा 3.9% है. लिंक्डइन का डेटा दर्शाता है कि शीर्ष पदों पर महिलाओं की नियुक्ति में कमी आई है.