मेरठ : कोरोना महामारी के बीच जिले के एक घोड़े में ग्लैंडर्स वायरस (Glanders Virus) की पुष्टि हुई है. थाना हस्तिनापुर इलाके के गणेशपुर गांव में घोड़े में ग्लैंडर्स वायरस पुष्टि होने के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम ने घोड़ा मालिक एवं परिजनों का सीरम सैंपल लेकर जांच कराई तो रिपोर्ट नेगेटिव आई है. इसके बाद अब मंगलवार को पशु चिकित्सा विभाग ने जिलाधिकारी से अनुमित लेकर संक्रमित घोड़े को जहर का इंजेक्शन लगाकर मौत की नींद सुला दिया और जेसीबी मशीन से गड्ढा खोद कर दफना दिया है.
विशेषज्ञों के मुताबिक ग्लैंडर्स वायरस से संक्रमण होने पर घोड़े को मारना पड़ता है. अगर ऐसा नहीं करते तो घोड़े में फैला संक्रमण मनुष्य में भी फैल सकता है. बता दें कि करीब दो सप्ताह पहले गणेशपुर गांव में एक घोड़े में ग्लैंडर्स वायरस की पुष्टि हुई थी. जिसके बाद स्वास्थ्य समेत पशु विभाग ने आनन-फानन में गणेशपुर गांव समेत आस-पास कई अन्य गांवों के घोड़ों के भी सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे गए थे. जिनकी रिपोर्ट अभी नहीं आई है.
घोड़े को जहर देकर मारा गया. जिलाधिकारी की अनुमित के बाद घोड़े को दिया जहर का इंजेक्शनपशु चिकित्सक डॉ. राकेश कुमार ने बताया कि ग्लैंडर्स वायरस बरखोडेरिया मैलियाई नामक जीवाणु से फैलता है. ग्लैंडर्स वायरस घोड़ों में पाए जानी वाली एक जानलेवा लाइलाज बीमारी है. ग्लैंडर्स वायरस बीमारी का इलाज करना नामुमकिन है. इस बीमारी से संक्रमित हुए घोड़े को वैज्ञानिक तरीके से मारना ही पड़ता है. डॉ. राकेश कुमार ने बताया कि हस्तिनापुर ब्लाक के गांव गणेशपुर में ग्लैंडर्स वायरस पुष्टि हुई थी. ग्लैंडर्स वायरस के संक्रमण मिलने के बाद इलाके के पशु एवं पक्षियों के सैंपल लिए गए थे. जिसमें भीम पुत्र बबलू घोड़े की रिपोर्ट में ग्लैंडर्स वायरस पॉजिटिव आया था. इस बीमारी का स्वास्थ्य विभाग के पास कोई इलाज नहीं है. यह एक लाइलाज बीमारी है. इसके बाद जिलाधिकारी की अनुमति के बाद मंगलवार को जहर का इंजेक्शन देकर घोड़े को मारना पड़ा है. घोड़े के मालिक को आर्थिक मदद दी गई है.
जानिए क्या है ग्लैंडर्स वायरस
विशेषज्ञों के मुताबिक ग्लैंडर्स वायरस घोड़ों की प्रजातियों में पाई जाने वाली जानलेवा संक्रामक बीमारी है. इस बीमारी के होने से घोड़े की नाक से खून बहना, सांस लेने में तकलीफ, शरीर का सूख जाना, पूरे शरीर पर फोड़े या गाठें आदि लक्षण दिखाई देने लगते हैं. संक्रमित घोड़ों के संपर्क में आने से ग्लैंडर्स वायरस के अन्य पालतू पशुओं में भी फैलने की संभवना रहती है.
मार्च से जून माह में फैलता है संक्रमण
विशेषज्ञों के अनुसार घोड़ों, गधों एवं खच्चरों में फैलने वाला ग्लैंडर्स वायरस ज्यादातर मार्च से जून महीने में फैलता है. इस बार कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन के कारण घोड़ों की जांच नहीं की गई. पशु विभाग की सर्विलांस टीम का काम प्रभावित हुआ है.
मानव जाति के लिए भी वायरस खतरनाक
ग्लैंडर्स एक संक्रामक बीमारी है, जो संक्रमित जानवर से इंसानों में भी हो सकती है. घोड़ों से मनुष्यों में ग्लैंडर्स वायरस आसानी से फैल सकता है. घोड़ा पालक जब घोड़ों की देखभाल करते हैं तो उनको त्वचा, नाक, मुंह और सांस के द्वारा संक्रमण पहुंच जाता है. मनुष्यों में इस बीमारी से मांस पेशियों में दर्द, छाती में दर्द, मांसपेशियों की अकड़न, सिरदर्द और नाक से पानी निकलने लगता है.
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