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केदारनाथ के रास्ते में बनी ग्लेशियर की दीवारें, देखिए कैसे मजदूर और जानवर बना रहे रास्ता? - Glacier walls built on the way to Kedarnath

पिछले कई दिनों से केदारनाथ में मौसम खराब है. बारिश और भारी बर्फबारी की वजह से केदारनाथ के पैदल ट्रैक पर कई जगह 4 से 10 फीट तक ग्लेशियर के दीवार बन गई हैं. मशीन, मजदूर और खच्चरों की मदद से पैदल मार्ग में ग्लेशियर को काटकर रास्ता बनाया जा रहा है, लेकिन खराब मौसम बार-बार परेशानी का सबब बन रहा है.

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केदारनाथ के रास्ते में बनी ग्लेशियर की दीवारें

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Published : Mar 18, 2023, 5:38 PM IST

Updated : Mar 18, 2023, 8:22 PM IST

केदारनाथ के रास्ते में बनी ग्लेशियर की दीवारें

देहरादून:विश्व प्रसिद्ध केदारनाथ धाम की यात्रा इस साल 25 अप्रैल से शुरू होने जा रही है. कपाट खुलने की तैयारियों में जुटी सरकार और प्रशासन दिन-रात केदारनाथ को संवारने का काम कर रहे हैं. बड़ी-बड़ी मशीनें केदारनाथ धाम में भारी बर्फबारी के बीच अपने काम को अंजाम दे रही हैं, लेकिन मौजूदा समय में रास्ते पर आए बड़े-बड़े ग्लेशियर सबसे ज्यादा अपनी ओर सबका ध्यान खींच रहे हैं. रुद्रप्रयाग से शुरू होने वाले पैदल यात्रा और केदारनाथ तक पहुंचने के दौरान कई जगहों पर 10 फीट तक के यह ग्लेशियर दीवार बनकर खड़े हैं, जिनको करीब 50 मजदूर और घोड़े खच्चरों की मदद से काटकर रास्ता बनाया जा रहा है.

बाबा केदार के भक्तों की संख्या बढ़ी: चारधाम यात्रा में वैसे तो चारों धामों का बड़ा महत्व है. श्रद्धालुओं की इच्छा होती है कि अपनी चारधाम यात्रा में वह गंगोत्री, यमुनोत्री, बदरीनाथ और केदारनाथ सभी धामों के दर्शन करें, लेकिन यह हर किसी के लिए संभव नहीं हो पाता है. वहीं, इन चारों धामों की बात करें तो बीते कुछ सालों से केदारनाथ धाम में श्रद्धालुओं की संख्या में काफी इजाफा हुआ है. हालांकि, इसके कई कारण हैं लेकिन 2013 आपदा के बाद जिस तरह से केदारनाथ का पुनर्निर्माण किया गया है, वो सबसे बड़ा कारण है कि यहां भक्तों का हुजूम उमड़ता है.

आपदा के बाद केदारनाथ का पुनर्निर्माण: वहीं, चारधाम यात्रा से पहले किस तरह से तैयारियों में प्रशासन और मजदूर जुटे रहते हैं, उसकी कुछ तस्वीरें भी केदारनाथ धाम से लगातार आ रही है. हालांकि, पिछले दो दिनों से केदारघाटी में मौसम खराब है जिसकी वजह से मजदूरों के कामकाज करने के तरीके में फर्क और रुकावट आ रही है.
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14 किमी लंबा पैदल ट्रैक: रुद्रप्रयाग के रामबाण से शुरू होने वाले पैदल यात्रा का पैदल ट्रैक 14 किलोमीटर से अधिक है. इसमें से लगभग 8 किलोमीटर का रास्ता बर्फीले ग्लेशियरों के बीच से होते हुए गुजरता है. हालांकि, यह संभव नहीं है कि इन ग्लेशियरों को हटा लिया जाए. लिहाजा प्रशासन शुरुआती चरण में उन ग्लेशियरों को हटाने का काम कर रहा है, जो पैदल मार्ग में 4 जगहों पर 10 फीट से भी अधिक के ग्लेशियर बने हुए हैं, इन ग्लेशियरों को मशीनों और मजदूर की मदद से काटकर रास्ता बनाया जा रहा है.

केदारनाथ में कई दिनों से मौसम खराब: बीते 10 मार्च से उत्तराखंड के केदारनाथ और ऊपरी इलाकों में लगातार मौसम खराब है. जैसे ही रास्ता बनकर तैयार होता है, वैसे ही देर रात को बर्फबारी होने की वजह से रास्ते में फिर से ग्लेशियर आ जाते हैं. ऐसे में मजदूरों को डबल काम करना पड़ रहा है. जैसे ही रास्ता क्लियर होता है, सबसे पहले बदरी-केदार मंदिर समिति की एडवांस टीम मार्ग व केदारनाथ मंदिर पहुंचकर व्यवस्थाओं का भी जायजा लेगी.

ग्लेशियर काटकर बनाया जा रहा रास्ता: यात्रा सुगम और सरल हो सके इसके लिए बड़े-बड़े ग्लेशियरों और भारी बर्फबारी के बीच इंसानों के साथ-साथ पशु भी बाबा केदार के श्रद्धालुओं के लिए रास्ता बनाने में दिन रात मेहनत कर रहे हैं. खच्चरों की मदद से भोजन का सामान और अन्य उपकरण पहुंचाए जा रहे हैं. केदारनाथ में अभी भी यही अनुमान है कि कुछ दिन और बारिश और बर्फबारी हो सकती है.

केदारनाथ यात्रियों के लिए टोकन सिस्टम: रुद्रप्रयाग वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डाॅ विशाखा भदाणे ने कहा कि मार्ग खोलने के साथ-साथ पुलिस के जवान को भी केदारनाथ में ड्यूटी के लिए तैयार किया जा रहा है. पिछली बार की भीड़ को देखते हुए इस बार कई तरह के नए इंतजाम किये जा रहे हैं, जिसमें टोकन सुविधा भी एक है. इससे ये होगा कि यात्री एक साथ रास्ते में इकट्ठा नहीं हो पाएंगे. साथ ही सुरक्षा और यात्रियों की सुविधा के लिए भी कई तरह के कदम इस बार उठाए जा रहे हैं.

Last Updated : Mar 18, 2023, 8:22 PM IST

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