लखनऊ:मशहूरलेखिका गीतांजलि श्री के उपन्यास 'टॉम्ब ऑफ सैंड' बृहस्पतिवार को अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार के लिए 'शॉर्टलिस्ट' किया गया. गीतांजलि श्री की यह पुस्तक मूल रूप से हिंदी में 'रेत समाधि' के नाम से प्रकाशित हुई थी, जिसका अंग्रेजी अनुवाद 'टॉम्ब ऑफ सैंड', डेजी रॉकवेल ने किया है और जूरी के सदस्यों ने इसे 'शानदार और अकाट्य' बताया है. अब इसकी प्रतिस्पर्धा, 50,000 पाउंड के साहित्यिक पुरस्कार के लिए पांच अन्य पुस्तकों से होगी. पुरस्कार की राशि लेखिका और अनुवादक के बीच बांटी जाएगी.
इधर, लेखिका गीतांजलि ने कहा कि यह एक बहुत ही खास तरह की मान्यता है. उन्होंने कहा कि, जब कोई काम दूर बैठे अज्ञात लोगों को आकर्षित करता है तो उसमें अपने विशिष्ट सांस्कृतिक संदर्भ को पार करने और सार्वभौमिक और मानवीय पहलू को छूने की क्षमता होती है. यही सच्चा समर्थन है. काम अच्छा होना चाहिए और अनुवाद बेहतरीन होना चाहिए. डेजी और मेरे लिए यह बहुत अच्छा पल है. यह दिखाता है कि हमारा संवाद कितना समृद्ध रहा है.
गीतांजलि ने आगे बताया कि बुकर एक बहुत ही खास पहचान है और मैं इसकी उम्मीद नहीं कर रही थी. इसलिए इसका आना मेरे लिए एक अद्भुत आश्चर्य है और हमारे काम के लिए मान्यता है. आगामी 26 मई को लंदन में होने वाले पुरस्कार समारोह में भाग लेने की उम्मीद कर रही 64 वर्षीय लेखिका ने कहा कि यह समर्थन इतना अद्भुत इसलिए है कि यह बुकर समिति से आता है. पहले उन्होंने मुझे लंबी सूची में रखा गया था और अब शॉर्टलिस्ट में. बेशक इसे आत्मसात करने में थोड़ा समय लगता है.