नई दिल्ली :जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री के रूप में गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) का कार्यकाल (2005-2008) किसी भी मुख्यमंत्री का सबसे अच्छा कार्यकाल था. उक्त बातें पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. कर्ण सिंह ने बुधवार को गुलाम नबी आजाद की आत्मकथा के लॉन्च के अवसर पर कहीं. डॉ. सिंह ने कहा कि उस अवधि के दौरान भ्रष्टाचार पर अंकुश लगा था और स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे के अलावा अन्य क्षेत्र में बहुत सारे विकास कार्य किए गए थे.
डॉ. सिंह की यह टिप्पणी जम्मू कश्मीर के तीन बार के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) की मौजूदगी में आई. हालांकि बाद में डॉ. अब्दुल्ला ने इस संबंध में मीडिया पर प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया. वहीं डॉ. सिंह ने अपने एक वक्तव्य से अब्दुल्ला परिवार के तीन और मुफ्ती परिवार के दो मुख्यमंत्रियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा कर दिया. बाद में डॉ. सिंह ने 2000 के दशक के मध्य की अपनी यादों का जिक्र करते हुए इस बात प्रकाश डाला कि कैसे दिवंगत पीडीपी सुप्रीमों मुफ्ती मोहम्मद सईद ने बाधाएं खड़ी कीं क्योंकि वह आगामी तीन साल के लिए मुख्यमंत्री के रूप में अपना कार्यकाल जारी रखना चाहते थे. और यह तब था जब कांग्रेस-पीडीपी गठबंधन द्वारा यह पहले से ही तय किया गया था कि मुफ्ती और आजाद दोनों तीन-तीन साल तक सेवा करेंगे.
डॉ. सिंह के मुताबिक नेशनल कांफ्रेंस के पास 28 सीटें थीं, कांग्रेस के पास 21 और पीडीपी के पास 16 सीटें थीं. लेकिन सोनिया गांधी ने पीडीपी प्रमुख मुफ्ती मोहम्मद सईद को सरकार में आमंत्रित करने का फैसला किया था. लेकिन मुफ्ती मोहम्मद ने मुख्यमंत्री बनने पर जोर दिया जबकि कांग्रेस के पास 21 विधायक थे और पीडीपी के पास महज 16 विधायक थे. उन्होंने कहा कि बेहतर होता अगर वह मुख्यमंत्री बने रहते.