नई दिल्ली :राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को चार-दिवसीय वैश्विक सम्मेलन का उद्घाटन किया. इस वैश्विक सम्मेलन में कृषि-खाद्य प्रणालियों में लैंगिक असमानता पर राष्ट्रपति मुर्मू ने अपना विचार रखा. राष्ट्रपति ने कहा कि कृषि-खाद्य प्रणालियों में महिलाओं के योगदान को मान्यता नहीं दी गई है, इसलिए अब इस कहानी को बदलने की जरूरत है. उन्होंने आगे कहा कि महिलाओं को कृषि संरचना के पिरामिड में सबसे नीचे रखा जाता है और उन्हें सफलता की सीढ़ी पर चढ़ने और निर्णय निर्माताओं की भूमिका निभाने के अवसरों से वंचित किया जाता है. आखिर कबतक ऐसा चलेगा?
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आगे कहा कि कोविड-19 महामारी ने कृषि-खाद्य प्रणालियों और समाज में संरचनात्मक असमानता के बीच एक मजबूत संबंध को सामने ला दिया है. महिलाएं आज हर क्षेत्र में आगे हैं. महिलाएं खेतों में अनाज उगाने से लेकर भोजन को खेत से थाली तक लाने में सामर्थ हैं, लेकिन फिर भी दुनिया भर में उनके साथ भेदभाव होता है. सामाजिक मानदंडों द्वारा उन्हें पीछे रखा जाता है. उनके योगदान को मान्यता नहीं दी जाती है. आज महिलाओं की भूमिका कृषि-खाद्य प्रणालियों में काफी महत्वपूर्ण है लेकिन फिर भी कृषि-खाद्य प्रणालियों की पूरी श्रृंखला में उनके अस्तित्व को नकार दिया गया है. अब इस चलन को बदलने की जरूरत है.