जयपुर :राजस्थान में गहलोत सरकार को ढाई साल पूरे होने को हैं लेकिन राजनीतिक नियुक्तियां सरकार अभी भी नहीं कर पाई है. जिसका खामियाजा आमलोगों को उठाना पड़ रहा है. महिला आयोग, अल्पसंख्यक आयोग, किसान आयोग, अनुसूचित जनजाति आयोग जैसे कई आयोग हैं जो राजनीतिक नियुक्तियों की राह देख रहे हैं.
पिछले ढाई सालों में कांग्रेस में कभी पार्टी अध्यक्ष को लेकर तो कभी सरकार बचाने को लेकर लगातार उठापटक चलती रही है. जिसके चलते लगातार राजनीतिक नियुक्तियों को टाला जा रहा है. कार्यकर्ताओं की नाराजगी भी पार्टी को झेलनी पड़ रही है. राज्य महिला आयोग, अल्पसंख्यक आयोग, किसान आयोग, अनुसूचित जनजाति आयोग, राजस्थान सफाई कर्मचारी आयोग और अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग, मदरसा बोर्ड, वरिष्ठ नागरिक बोर्ड और खादी बोर्ड सीधे आम आदमी से जुड़े हैं लेकिन यहां सरकार राजनीतिक नियुक्तियां नहीं कर पाई है.
ढाई साल से महिला आयोग पद खाली
सामाजिक कार्यकर्ता निशा सिद्धू ने कहा कि सरकार चाहे किसी की भी हो उसे आयोगों में जल्द से जल्द राजनीतिक नियुक्तियां करनी चाहिए. नियुक्तियों में देरी से आमजन को न्याय मिलने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष लाड कुमारी जैन ने कहा कि राज्य में महिला आयोग के गठन का ड्राफ्ट मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कार्यकाल में आया था. उस समय परिकल्पना की गई थी पीड़ित महिलाओं को समय पर न्याय मिले. गरीब और दूरदराज के इलाकों में जहां महिलाओं को न्याय नहीं मिलता उनकी आयोग में सुनवाई हो. इसलिए प्रदेश में महिला आयोग का अन्य राज्यों की तुलना में ज्यादा मजबूती के साथ गठन किया गया था. लेकिन जिस तरीके से महिला आयोग के अध्यक्ष पद पर नियुक्ति ढाई साल बाद भी नहीं हुई है ये अपने आप में महिलाओं के साथ अन्याय है.
आयोगों और बोर्डों में नियुक्तियों की दरकार