नई दिल्ली/लंदन : लेखिका गीतांजलि श्री के हिंदी उपन्यास ‘रेत समाधि’ (टॉम्ब ऑफ सैंड) को अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार से नवाजा गया है. यह उपन्यास इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित होने वाला किसी भारतीय भाषा का पहला उपन्यास है. लंदन में गुरुवार को आयोजित समारोह में गीतांजलि श्री ने कहा कि वह इस पल के लिए तैयार नहीं थीं. पुरस्कार पाकर पूरी तरह से अभिभूत हैं. लेखिका ने 50,000 ब्रिटिश पाउंड का पुरस्कार डेजी रॉकवेल के साथ साझा किया. रॉकवेल ने गीतांजलि श्री के उपन्यास का अंग्रेजी में अनुवाद किया है. बुकर पुरस्कार के निर्णायक दल ने इसे ‘मधुर कोलाहल’ और 'बेहतरीन उपन्यास' करार किया. गीतांजलि श्री ने पुरस्कार ग्रहण करने के दौरान अपने संबोधन में कहा कि मैंने कभी बुकर पुरस्कार जीतने का सपना नहीं देखा था. मैंने कभी सोचा नहीं था कि मैं यह कर सकती हूं. यह बहुत बड़ी उपलब्धि है. मैं अभिभूत हूं, प्रसन्न हूं और सम्मानित महसूस कर रही हूं.
उन्होंने कहा कि रेत समाधि/टॉम्ब ऑफ सैंड एक शोकगीत है, उस दुनिया का जिसमें हम रहते हैं. यह एक ऐसी ऊर्जा है, जो आशंकाओं के बीच उम्मीद की किरण जगाती है. बुकर पुरस्कार मिलने से यह पुस्तक अब और ज्यादा लोगों के बीच पहुंचेगी. ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाला पहला हिंदी उपन्यास है. इस पर गीतांजलि श्री ने कहा कि हिंदी भाषा के किसी उपन्यास को पहला अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार दिलाने का जरिया बनकर उन्हें बहुत अच्छा महसूस हो रहा है. 'टॉम्ब ऑफ सैंड' 13 लंबे सूचीबद्ध उपन्यासों में से एक था, जिसका 11 भाषाओं से अंग्रेजी में अनुवाद किया गया था.