वाराणसी : लोगों की आस्था और जलीय जीवों (Water Animals) के लिए सबसे सुरक्षित मानी जाने वाली मोक्षदायिनी मां गंगा इन दिनों संकट में हैं. संकट इस बात का है कि कई दिनों से काशी में गंगा के पानी का रंग हरा दिख रहा है.
गंगाजल के रंग में हुए इस बदलाव से शासन स्तर तक हड़कंप मचा हुआ है. वाराणसी के डीएम कौशल राज शर्मा ने गंगा की गुणवत्ता की जांच के लिए स्पेशल पांच सदस्यीय टीम बनाई. इसमें उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Uttar Pradesh Pollution Control Board) भी शामिल है. टीम ने 7 से 10 जून तक गंगा के पानी का निरीक्षण किया.
गंगा के पानी में नाइट्रोजन, फास्फोरस बढ़ा
डीएम कौशल राज शर्मा द्वारा गठित टीम ने गंगा के जल की वाराणसी और मिर्जापुर तक सैंपलिंग की. जांच कमेटी ने रिपोर्ट शासन को सौंपी है. जांच में यह बात सामने आई है कि मिर्जापुर में एसटीपी (Sewage Treatment Plants) से हुई लापरवाही से शैवाल (Algae) बड़ी मात्रा में गंगा में पहुंच गए. जिससे गंगा के पानी में नाइट्रोजन, फास्फोरस (Nitrogen, phosphorus) की मात्रा अधिक हो गई है.
ये दोनों केमिकल मानव शरीर के साथ-साथ गंगा में रहने वाले जलीय जीवों के लिए भी खतरनाक हैं. पर्यावरणविद और एक्सपर्ट का कहना है कि आने वाले दो से तीन दिनों तक गंगा के पानी का न ही आचमन सुरक्षित है और न ही इसमें डुबकी लगाना. यानी श्रद्धालुओं के साथ ही गंगा में रहने वाले जीवों पर कुछ दिनों तक खतरा मंडरा रहा है.