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PM Modi Project Dolphin: गंगा डॉल्फिन की गणना का काम हुआ पूरा, 5 अक्टूबर को पीएम मोदी कर सकते हैं संख्या की घोषणा

Ganga dolphin census report प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश की नदियों खासकर गंगा और उसके जलीय जीवों को लेकर बहुत संवेदनशील हैं. नमामि गंगे अभियान (Namami Gange Project) के तहत ही पीएम मोदी ने 2019 में प्रोजेक्ट डॉल्फिन (Project Dolphin) शुरू करने की घोषणा की थी. इसका मकसद गंगा में डॉल्फिन की संख्या बढ़ाना था. दरअसल डॉल्फिन जहां पाई जाती है, वहां पानी की शुद्धता की गारंटी होती है. ऐसे में भारत सरकार को भेजी गई वैज्ञानिकों की रिपोर्ट को देखते हुए राष्ट्रीय डॉल्फिन दिवस पर पीएम मोदी गंगा में डॉल्फिन की संख्या की घोषणा कर सकते हैं. Ganga dolphin figures

Project Dolphin
प्रोजेक्ट डॉल्फिन

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 30, 2023, 11:04 AM IST

Updated : Sep 30, 2023, 1:42 PM IST

गंगा डॉल्फिन की गणना का काम हुआ पूरा

देहरादून: देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'प्रोजेक्ट डॉल्फिन' का पहला और सबसे अहम चरण पूरा हो चुका है. इसके तहत भारत में पहली बार वैज्ञानिक तरीके से गंगा डॉल्फिन पर सर्वे किया गया है. भारतीय वन्यजीव संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए इस अध्ययन की रिपोर्ट भी भारत सरकार को भेजी जा चुकी है.

डॉल्फिन जलीय पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण है.

5 अक्टूबर को मनाया जाएगा राष्ट्रीय डॉल्फिन दिवस: अब उम्मीद की जा रही है कि अगले हफ्ते 5 अक्टूबर को राष्ट्रीय डॉल्फिन दिवस ((National Dolphin Day) के अवसर पर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गंगा में डॉल्फिन को लेकर हुई गणना से जुड़ी ये रिपोर्ट जारी कर सकते हैं. क्या है प्रोजेक्ट डॉल्फिन और प्रधानमंत्री मोदी से जोड़कर इसे क्यों देखा जा रहा है आइए आपको बताते हैं.

डॉल्फिन शुद्ध और गहरे पानी में रहती है.

पीएम मोदी ने शुरू किया था प्रोजेक्ट डॉल्फिन: प्रधानमंत्री के तौर पर देश की बागडोर संभालते ही साल 2014 में नरेंद्र मोदी ने नमामि गंगे परियोजना की नींव रख दी थी. हालांकि गंगा को लेकर पीएम मोदी की आस्था से हर कोई वाकिफ है. लेकिन उनकी चिंता केवल गंगा नदी तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसमें मौजूद जलीय जीवों का संरक्षण भी उनकी कोशिशों में शामिल है. शायद इसीलिए पीएम मोदी ने विलुप्त होती गंगा डॉल्फिन पर फोकस करते हुए साल 2019 में 'प्रोजेक्ट डॉल्फिन' को शुरू करने की घोषणा कर दी. इतना ही नहीं ग्रुप 20 की वन एवं पर्यावरण से जुड़ी एक महत्वपूर्ण बैठक में भी 'प्रोजेक्ट डॉल्फिन' का जिक्र करने से प्रधानमंत्री नहीं चूके. इस महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय मंच के अलावा भी प्रधानमंत्री ने विभिन्न मौकों पर डॉल्फिन के संरक्षण को लेकर अपनी प्रतिबद्धता को जाहिर किया है. भारत में गंगा में डॉल्फिन को लेकर मौजूदा स्थिति और अब तक हुए प्रयासों को बिंदुवार जानिए.

गंगा डॉल्फिन के बारे में जानें...

भारत में गंगा और ब्रह्मपुत्र के अलावा उनकी सहायक नदियों में गंगा डॉल्फिन पाई जाती है
अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) ने गंगा डॉल्फिन को विलुप्तप्राय प्रजाति घोषित किया है
दुनिया भर में डॉल्फिन की करीब 36 प्रजातियां हैं
गंगा डॉल्फिन भारत, बांग्लादेश और नेपाल में मौजूद हैं
भारत में गंगा डॉल्फिन की 80% संख्या मौजूद है
गंगा डॉल्फिन का वैज्ञानिक नाम प्लैटानिस्टा गेंगेटिका है
भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत डॉल्फिन को संरक्षित जल जीव घोषित किया गया है
भारत के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने 18 मई 2010 को इसके संरक्षण के मकसद से इसे राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया
साल 2022 में मोदी सरकार के दौरान 5 अक्टूबर को राष्ट्रीय डॉल्फिन दिवस मनाने की घोषणा हुई
बिहार के पटना में एशिया का पहला डॉल्फिन शोध केंद्र खोलने का पहली बार निर्णय हुआ
मेरठ में भी पहला डॉल्फिन ब्रीडिंग सेंटर बनाने की है तैयारी

गंगा डॉल्फिन की गिनती का काम पूरा: गंगा डॉल्फिन की तमाम जानकारियां यह बताने के लिए काफी हैं कि भारत सरकार गंगा डॉल्फिन के संरक्षण के लिए कितनी गंभीर है और इसके लिए किस तरह के प्रयास हो रहे हैं. लेकिन सबसे ताजा और महत्वपूर्ण जानकारी यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'प्रोजेक्ट डॉल्फिन' के तहत देश में पहली बार गंगा डॉल्फिन की गिनती का काम पूरा कर लिया गया है. खास बात यह है कि देश को पहली बार अब यह जानकारी हो पाएगी कि भारत में हकीकत में गंगा डॉल्फिन की कितनी संख्या है और और ये कहां-कहां मौजूद हैं. दरअसल अब से पहले केवल अंदाजतन ही गंगा डॉल्फिन की संख्या बताई जाती थी और इसको लेकर कभी कोई गणना नहीं हुई थी. फिलहाल भारतीय वन्यजीव संस्थान के वैज्ञानिकों ने गंगा डॉल्फिन की गिनती या यों कहें कि सर्वे का काम पूरा कर लिया है. इससे जुड़ी रिपोर्ट भारत सरकार में वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को भी भेज दी गई है.

पीएम मोदी का सपना है प्रोजेक्ट डॉल्फिन: भारत में डॉल्फिन की गणना और उस पर अध्ययन का काम साल 2021 से शुरू हो गया था. जानकारी के अनुसार इस प्रोजेक्ट की समय सीमा साल 2021 से 2025 तक है. हालांकि गंगा डॉल्फिन की गणना से जुड़ी रिपोर्ट तैयार की जा चुकी है और इस रिपोर्ट में कई महत्वपूर्ण इनपुट्स भी शामिल किए गए हैं. अध्ययन के दौरान गंगा डॉल्फिन की जरूरत उनके संरक्षण के लिए जरूरी बातों की भी जानकारी जुटाई जा रही है. बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल होने के कारण 5 अक्टूबर को राष्ट्रीय डॉल्फिन दिवस के मौके पर वह खुद इस रिपोर्ट को जारी कर वैज्ञानिक तरीके से डॉल्फिन की संख्या से जुड़ी यह पूरी रिपोर्ट जारी कर सकते हैं. डॉल्फिन की सर्वे से जुड़ी दूसरी कुछ खास जानकारियां इस प्रकार हैं.

डॉल्फिन है 'शुद्ध पानी' की गारंटी!

गंगा डॉल्फिन से जुड़े अध्ययन के लिए कुल 33 रिसर्चर्स की टीम ने अहम भूमिका निभाई
करीब 8,000 किलोमीटर नदी क्षेत्र में किया गया सर्वे
गंगा ब्रह्मपुत्र और उनकी सहायक नदियों के साथ ही पंजाब में व्यास नदी में भी हुआ सर्वे
देश में 70% गंगा डॉल्फिन के मरने के पीछे मछलियां पकड़ने के लिए बिछाए गए जाल जिम्मेदार
डॉल्फिन के अंधा होने के कारण उनके जाल में फंसने की होती है बेहद ज्यादा घटनाएं
गंगा डॉल्फिन से निकलने वाले तेल के लिए भी होती है इसकी तस्करी
नदियों पर चलने वाली मशीन वाली नाव के शोर से भी गंगा डॉल्फिन को हो रहा नुकसान
नदी में डॉल्फिन की मौजूदगी पानी की स्वच्छता का भी मानी जाती है प्रतीक
साफ और गहरे पानी में ही पाई जाती हैं गंगा डॉल्फिन

गंगा में 3000 तक डॉल्फिन होने का अनुमान: गंगा डॉल्फिन को लेकर हुए सर्वे के बाद खबर यह भी है कि केंद्र सरकार की तरफ से किए गए विभिन्न प्रयासों के चलते इनकी संख्या में कुछ बढ़ोत्तरी की संभावना है. हालांकि अभी भारतीय वन्य जीव संस्थान (Wildlife Institute of India) की तरफ से इसके आंकड़े जारी नहीं किए गए हैं और भारत सरकार की तरफ से ही इन आंकड़ों को जल्द जारी किया जाना है. लेकिन विभिन्न प्रयासों और प्रोजेक्ट के तहत हो रहे कामों के कारण यह माना जा रहा है कि अब तक गंगा डॉल्फिन की संख्या को लेकर जो अंदाजा लगाया जा रहा था, गिनती में उनकी संख्या इससे अधिक आई है. वैसे अब तक भारत की विभिन्न नदियों में करीब 3,000 गंगा डॉल्फिन के होने का अनुमान लगाया जाता है.

उत्तराखंड में भी पहले दिखाई देती थी गंगा डॉल्फिन:कहा जाता है कि कई साल पहले तक उत्तराखंड में भी गंगा नदी में कुछ जगहों पर डॉल्फिन की मौजूदगी थी. लेकिन गंगा नदी के प्रदूषण और यहां तेजी से बनते डैम के कारण अब उत्तराखंड में गंगा डॉल्फिन पूरी तरह खत्म हो गई हैं. पर्यावरण पर काम करने वाले प्रो एसपी सती कहते हैं कि-

'न केवल उत्तराखंड बल्कि यहां से उत्तर प्रदेश की सीमा में भी काफी दूर तक गंगा डॉल्फिन की मौजूदगी होने की उम्मीद कम ही है. पहाड़ों पर तेजी से पावर प्रोजेक्ट्स का निर्माण होने से जलीय जीवों पर इसका गहरा असर पड़ा है. केवल गंगा डॉल्फिन ही नहीं बल्कि तमाम दूसरे पहाड़ी क्षेत्रों के जलीय जीव भी मैदानी क्षेत्र से कट गए हैं. हालांकि जलीय जीवों पर पावर प्रोजेक्ट्स के लिए बने डैम का कितना असर हुआ है, इस पर कोई अध्ययन नहीं हुआ है लेकिन मौजूदा स्थिति एक आपदा जैसी ही है.'

..प्रो एसपी सती, इकोलॉजिस्ट.

Last Updated : Sep 30, 2023, 1:42 PM IST

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