नई दिल्ली :गणेश चतुर्थी का त्योहार (Ganesh Chaturthi 2022 ) अबकी बार 31 अगस्त 2022 को शुरू हो रहा है. इस दौरान 10 दिनों तक मंगल मूर्ति भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करके उनकी पूजा की जाएगी. अनंत चतुर्दशी तक चलने वाले गणपति बप्पा के इस खास उत्सव के लिए हम आपको कुछ आवश्यक और महत्वपूर्ण जानकारियां दे रहे हैं, ताकि 10 दिनों तक चलने वाले इस महोत्सव में सच्ची श्रद्धा के साथ आप रिद्धि सिद्धि के दाता भगवान गणेश की उपासना कर सकें.
आपको बता दें कि अबकी बार गणेश चतुर्थी पर एक खास संयोग बन रहा है. बुधवार के दिन गणेश चतुर्थी पड़ने से अबकी बार इस त्योहार का महत्व काफी बढ़ गया है. गणेश चतुर्थी के दिन अबकी बार रवि योग का भी शुभ संकेत है. ऐसे में गणेश उत्सव की शुरुआत बेहद शुभ संयोग में हो रही है. इसमें अगर कुछ बातों का ध्यान रखेंगे तो हम इस पूजा का और भी अधिक लाभ उठा सकते हैं.
गणेश चतुर्थी मूर्ति स्थापना मूर्ति स्थापना का शुभ मुहूर्त व समय (Ganesh Chaturthi Date Time Shubh Muhurt 2022 )
इस साल गणेश चतुर्थी तिथि 30 अगस्त को दोपहर में 3 बजकर 33 मिनट से प्रारंभ हो जाएगी. इसके बाद 9 सितंबर को अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश जी की मूर्ति विसर्जित की जाएगी. इन 10 दिनों के भीतर लोग अपना श्रद्धा व भक्ति के साथ गणेश उत्सव मनाते हैं और भगवान गणेश की पूजा अपने तरीके व परंपरा के अनुसार करते हैं. 30 अगस्त 2022 मंगलवार को दोपहर 3 बजकर 33 मिनट से शुरू हो जा रही और अगले दिन 31 अगस्त 2022 बुधवार को दोपहर 3 बजकर 22 मिनट पर समाप्त होगी.
गणपति स्थापना का शुभ मुहूर्त 31 अगस्त को सुबह 11 बजकर 5 मिनट से शुरू होकर 1 सितंबर को रात 1 बजकर 38 मिनट तक रहेगा. ऐसे में 31 अगस्त को दिन में 11 बजकर 5 मिनट के बाद ही गणेश की प्रतिमाएं स्थापित की जाएंगी. उसके पश्चात भक्त अपनी सुविधा के अनुरूप इस कार्य को संपन्न कर सकते हैं.
इनका भी रखें ध्यान
गणेश स्थापना मुहूर्त 31 अगस्त 2022 को सुबह 11.05 से लेकर दोपहर 1.38 तक
विजय मुहूर्त 31 अगस्त 2022 को दोपहर 2.34 से लेकर 3.25 बजे तक
अमृत काल मुहूर्त 31 अगस्त 2022 को शाम 5.42 से 7.20 बजे तक
गोधूलि मुहूर्त 31 अगस्त 2022 को शाम 6.36 बजे से 7.00 बजे तक
रवि योग 31 अगस्त 2022 को सुबह 06.06 से 1 सितंबर 2022 सुबह 12.12 तक
गणेश विसर्जन की तिथि 9 सितंबर 2022 अनंत चतुर्दशी के दिन
गणेश मूर्ति स्थापना की सरल विधि (Ganesh Chaturthi Puja Tips)
अगर आप घर में अपने आप मूर्ति की स्थापना करना चाहते हैं और आपको किसी पुरोहित या पंडित की सुविधा नहीं मिल पा रही है तो आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है. हम आपको बहुत ही आसान तरीके से यह समझा रहे हैं कि कैसे अपने घर में गणपति प्रतिमा स्थापित करके 10 दिनों के महोत्सव का लाभ उठा सकते हैं. आपको केवल इन
1. सबसे पहले जिस चौकी पर गणेश की प्रतिमा स्थापित करनी हो उसे गंगाजल छिड़ककर साफ और इसे शुद्ध कर लें.
2. स्थापना की चौकी पर लाल रंग का नया कपड़ा बिछाएं और उस पर अक्षत रखकर भगवान श्रीगणेश की मूर्ति को चौकी पर स्थापित करने का कार्य करें.
3. भगवान गणेश को स्थान ग्रहण कराने के पश्चात उनके उपर गंगाजल छिड़ककर स्नान कराएं.
4. इसके उपरांत अगर आपको रिद्धि-सिद्धि की स्थापना करनी हो तो उनकी मूर्ति रखें अथवा मूर्ति के दोनों ओर एक-एक सुपारी रखते हुए रिद्धि-सिद्धि की स्थापना कर लें.
5. भगवान गणेश की मूर्ति के दायीं ओर जल से भरा कलश जरूर रखें.
6. भगवान गणेश की मूर्ति को माला फूल व प्रसाद का अर्पण करें.
7. हाथ में अक्षत और फूल लेकर गणेश जी के मंत्र 'ऊं गं गणपतये नम:' मंत्र का जाप करें.
8. तत्पश्चात पूजा, भजन-कीर्तन व आरती करके समयानुसार प्रसाद वितरण करें.
इसलिए मनाते हैं 10 दिनों तक गणेश चतुर्थी का त्योहार
भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है. क्या आप जानते हैं कि क्यों इसी दिन गणेश चतुर्थी मनायी जाती है और 10 दिनों को विशाल धार्मिक उत्सव चलता है. हिंदू धर्म की पौराणिक कथाओं के अनुसार (Ganesh Chaturthi Katha) गणेश चतुर्थी को गणेश भगवान के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि महर्षि वेदव्यास ने महाभारत की रचना के लिए भगवान गणेश का आवाहन किया था और उनसे महाभारत को लिपिबद्ध करने की प्रार्थना की थी. कहा जाता है कि भगवान गणेश चतुर्थी के दिन ही व्यास जी के द्वारा बोले गए श्लोकों को महाभारत महाकाव्य में लिपिबद्ध करना शुरू किया था और भगवान गणेश 10 दिन तक बिना रुके इस लेखन कार्य को करते रहे. इस दौरान गणेश जी पर धूल मिट्टी की एक परत जम गई थी. 10 दिन बाद अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश महाराज ने सरस्वती नदी में कूदकर खुद को स्वच्छ किया था. तब से हर साल 10 दिन का गणेश उत्सव मनाया जाता है.
ऐसा भी कथाओं में मिलता है कि भगवान गणेश जब महाभारत लिखने का आग्रह कर रहे रहे थे, तब उन्होंने अपना एक दांत तोड़कर उसे अपनी कलम बनायी और उससे महाभारत लिखना शुरू किया.
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