गया:देश की आजादी में अग्रणी भूमिका निभाने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की आज 152वीं जयंती है. महात्मा गांधी की मौत के बाद उनके भस्मावशेष को मोक्षधाम गया लाया गया था. भस्मावशेष को सुरक्षित रखने के लिए सभी धर्मों के अनुकूल एक स्तूप (Gandhi Stupa) का निर्माण करवाया गया था. स्तूप का शिलान्यास 20 जून 1948 को तत्कालीन राज्यपाल एनएस अणे ने किया था. स्तूप को देश को समर्पित प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 28 दिसंबर 1951 को किया था.
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आजादी की लड़ाई के दौरान महात्मा गांधी चार बार गया आए थे. उनकी मौत के बाद गांधीवादी विचारक उनके भस्मावशेष गया ले आये. 1948 में तत्कालीन बिहार सरकार ने उनके भस्मावशेष पर स्तूप बनवाया. गया शहर स्थित गांधी मैदान में गांधी स्तूप के अंदर आज भी महात्मा गांधी का भस्मावशेष सुरक्षित है. पूरे देश में गांधी की बड़ी-बड़ी मूर्तियां हैं. कई जगह अस्थि कलश भी रखे हैं, लेकिन गांधी स्तूप सिर्फ मोक्षधाम गया में ही है.
गांधीवादी विचारक और समाजसेवी विजय कुमार मिठू ने कहा, 'गया पूरे विश्व में मोक्षधाम के रूप में प्रसिद्ध है. महात्मा गांधी की हत्या के बाद उनके अस्थि कलश को गया लाया गया था. भस्मावशेष को सुरक्षित रखने के लिए एक स्तूप का निर्माण किया गया. आज हम लोग इस स्तूप को गांधी स्तूप के नाम से जानते हैं. स्तूप को सभी धर्मों को ध्यान रखकर बनाया गया है.'