नई दिल्ली :वर्तमान समय में राहुल गांधी विधानसभा चुनाव वाले राज्यों में केवल अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों से ही नहीं लड़ रहे बल्कि कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर परिवार के दावे को भी मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं. इस दबाव ने कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को उत्तर प्रदेश के अपने राजनीतिक क्षेत्र से बाहर आने और चुनावों में पार्टी का प्रचार करने के लिए बाध्य किया है.
यह पहली बार है जब राहुल गांधी चुनावी अभियान को अपने कंधों पर लेकर चलने की जिम्मेदारी उठा रहे हैं. वे एक से बढ़कर एक कार्यक्रम कर रहे हैं. राहुल और प्रियंका दोनों असम और केरल पर प्रमुखता से ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.
राहुल-प्रियंका के लिए परीक्षा की घड़ी
इस मामले पर बात करते हुए राजनीतिक विश्लेषक राशीद किदवई ने कहा कि कांग्रेस के लिए यह हताशा की स्थिति है. क्योंकि उन्हें कुछ राज्यों में जीत हासिल करने की आवश्यकता है. इसलिए प्रियंका गांधी वोट हासिल करने की रणनीति का उपयोग कर रही हैं. केरल और असम में सामूहिक रूप से उनके लिए वास्तविक परीक्षा की घड़ी है. कहा कि असम में चाय जनजाति की महिला कार्यकर्ताओं के साथ प्रियंका की बैठक कांग्रेस के लिए प्रोत्साहन के रूप में हुई. वे केरल में भी महिला मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रही हैं.
शीर्ष पद की लड़ाई भी जारी है
किदवई ने कहा कि केरल राज्य भी इस लड़ाई में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है क्योंकि राहुल वायनाड से सांसद हैं. विधानसभा चुनावों में पार्टी का प्रदर्शन कांग्रेस पार्टी में शीर्ष पद की ओर उनके भविष्य के मार्ग को प्रभावित करने वाला है. चूंकि तमिलनाडु में 6 अप्रैल को एकल चरण के चुनाव में मतदान होगा. प्रियंका गांधी 3 अप्रैल को राज्य में चुनाव प्रचार करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं. सूत्रों के अनुसार वे कांचीपुरम जिले के श्रीपेरंबुदूर भी जाएंगी. जहां उनके पिता और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी.
कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा दौरे को लेकर बचाव में है कांग्रेस
यह भी कहा जा रहा है कि यह व्यक्तिगत यात्रा होगी और राजनीतिक प्रचार से कोई संबंध नहीं है. लेकिन इस कदम से मतदाताओं की भावनाओं पर पड़ने वाले असर से कोई इनकार नहीं कर सकता. प्रियंका हमेशा विभिन्न चुनावों में अपने भाई का बचाव करती आई हैं. इससे पहले वे अमेठी और रायबरेली में राजनीतिक प्रचार करती थीं. लेकिन इस बार उन्होंने अपने राज्य से बाहर कदम रखा है.
कांग्रेस के सामने राजनीतिक संकट
किदवई ने कहा कि उत्तर प्रदेश कोई परिणाम नहीं दिखा रहा है. भाजपा, सपा और बसपा के बाद कांग्रेस चौथे नंबर की पार्टी बनी हुई है. कांग्रेस का मिशन उत्तर प्रदेश एक गैर-स्टार्टर रहा है. इसलिए प्रियंका अलग तरीके से कोशिश कर रही हैं. कांग्रेस वर्तमान में राजनीतिक संकट का सामना कर रही है. यदि गांधी परिवार आत्मविश्वास खो देगा तो सभी खो देंगे.
एकला चलो की राह पर राहुल
कांग्रेस पार्टी ने कई वरिष्ठ नेताओं को चुनावी राज्यों में प्रचार करने के लिए प्रमुख जिम्मेदारियां दी थीं लेकिन उन नेताओं में से कई लोग दिखाई नहीं दिए. इसके अलावा कांग्रेस ने खुद ही प्रचारकों की सूची से जी 23 नेताओं के नाम निकाले थे. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद दक्षिणी राज्यों में कांग्रेस के लिए संकट प्रबंधन करते थे. वे कई वर्षों तक कांग्रेस की राज्य इकाइयों के अध्यक्ष रहे हैं. लेकिन इस बार असंतुष्टों के साथ चल रहे झगड़े के कारण राहुल गांधी ने इसे अपने दम पर संभालने की शुरुआत की है.
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चुनाव परिणाम से तय होगा भविष्य
किदवई कहते हैं कि 2 मई के बाद कांग्रेस के असंतुष्टों और पार्टी नेतृत्व के बीच रस्साकशी का फैसला होने वाला है. इन विधानसभा चुनावों के नतीजे साबित करेंगे कि राहुल गांधी द्वारा कांग्रेस का नेतृत्व करने का विचार जीवित रहेगा या नहीं. राहुल अब कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी पर एक नैतिक दावा करने का पूरा प्रयास कर रहे हैं. इसी वजह से प्रियंका पार्टी का प्रचार कर रही हैं.