नई दिल्ली: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत द्वारा मजिस्ट्रेट कोर्ट में दायर किए गए मानहानि मामले को रद्द करने के लिए गहलोत की ओर से सेशन कोर्ट में दायर पुनरीक्षण याचिका पर शनिवार को राउज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान गहलोत की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन और मोहित माथुर ने मजिस्ट्रेट कोर्ट में शेखावत द्वारा दायर केस को रद्द करने की मांग की. उन्होंने कहा कि गहलोत ने राज्य के गृहमंत्री के रूप में एसओजी की जांच रिपोर्ट में शेखावत का नाम होने के चलते संजीवनी घोटाले को लेकर बयान दिया था. इसलिए इस पर मानहानि का मामला नहीं बनता है.
गजेंद्र सिंह शेखावत मानहानि मामला: अशोक गहलोत की पुनरीक्षण याचिका पर फैसला सुरक्षित - संजीवनी घोटाले को लेकर बयान दिया
अशोक गहलोत की ओर से सेशन कोर्ट में दायर पुनरीक्षण याचिका पर शनिवार को राउज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने दोनों पक्षों की ओर से बहस पूरी होने के बाद 24 नवंबर तक लिखित दलीलें कोर्ट में जमा करने को कहा. Gajendra Singh Shekhawat defamation case
Published : Nov 18, 2023, 2:31 PM IST
गहलोत के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद सेशन जज एमके नागपाल ने फैसला सुरक्षित रखते हुए सभी पक्षों से मामले में 24 नवंबर तक लिखित दलीलें जमा करने को कहा. बता दें कि इससे पहले आठ नवंबर को शेखावत के वकील विकास पाहवा ने कोर्ट में अशोक गहलोत की पुनरीक्षण याचिका का विरोध करते हुए अपनी दलीलें रखी थीं. अपनी दलीलों में पाहवा ने कहा कि अशोक गहलोत ने संजीवनी घोटाले में शेखावत और उनके परिवार का नाम लेकर उनकी मानहानि की है. तमाम मीडिया रिपोर्ट्स में यह रिकॉर्ड है. दिल्ली पुलिस की जांच में भी इस बात की पुष्टि हुई है. इसके अलावा तमाम सबूत हैं जो गहलोत के खिलाफ मानहानि के मामले को साबित कर रहे हैं. इसलिए गहलोत द्वारा दायर की गई पुनरीक्षण याचिका का कोई मतलब नहीं रह जाता.
- यह भी पढ़ें-Shekhawat defamation case: गहलोत की पुनरीक्षण याचिका पर कोर्ट में सुनवाई टली, अगली जिरह 8 नवंबर को
उन्होंने कहा कि अशोक गहलोत की ओर से कहा जा रहा है कि उन्होंने एसओजी की रिपोर्ट के आधार पर राज्य के गृह मंत्री के रूप में बयान दिया था. यह बयान एसओजी की रिपोर्ट में शेखावत का नाम आने के आधार पर दिया गया . लेकिन, गहलोत ने शेखावत द्वारा मानहानि का मामला दर्ज कराने के बाद एसओजी से शेखावत का नाम शामिल कराया गया. उन्होंने कहा कि मजिस्ट्रेट कोर्ट में भी मामले को आगे बढ़ाने की अनुमति दी जानी चाहिए. इस तरह शेखावत के वकील की ओर से दलीलें पूरी हो गई थीं.