वाशिंगटन :जी7 के सदस्य देशों ने भारत की जी-20 अध्यक्षता का समर्थन किया और न्यायसंगत दुनिया के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए बड़ी प्रणालीगत चुनौतियों और तात्कालिक संकटों से मिलकर निपटने का संकल्प लिया. भारत ने आधिकारिक रूप से एक दिसंबर को जी 20 की अध्यक्षता संभाली. नई दिल्ली में अगले साल नौ एवं 10 सितंबर को राष्ट्राध्यक्ष या शासनाध्यक्ष स्तर पर जी-20 नेताओं का अगला सम्मेलन होगा.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि भारत 'एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य' के विषय से प्रेरित होकर एकता को बढ़ावा देने के लिए काम करेगा और आतंक, जलवायु परिवर्तन, महामारी को सबसे बड़ी चुनौतियों के तौर पर सूचीबद्ध करेगा जिनका एक साथ मिलकर बेहतर तरीके से मुकाबला किया जा सकता है. जी-7 देशों के नेताओं ने सोमवार को जारी एक संयुक्त बयान में कहा कि वे सभी के लिए बेहतर एवं सतत भविष्य का समर्थन करते हैं.
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जी-7 देशों के नेताओं ने एक संयुक्त बयान में कहा कि जर्मनी की अध्यक्षता में जी-7 देशों ने अपने अन्य अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों के साथ मिलकर हमारे समय की प्रमुख प्रणालीगत चुनौतियों और तात्कालिक संकट से मिलकर निपटने का अपना संकल्प दिखाया है. हमारी प्रतिबद्धताओं और कदमों ने एक न्यायसंगत दुनिया की दिशा में आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त किया है. बयान में कहा गया है कि जी-7, जी-20 में भारत की अध्यक्षता का समर्थन करता है और एक शांतिपूर्ण, समृद्ध और सतत भविष्य के पुनर्निर्माण के लिए मजबूती से, एकजुट होकर और पूरी तरह प्रतिबद्ध होकर खड़ा हैं.
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कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका जी-7 के सदस्य देश हैं. अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्किये, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय संघ जी-20 के सदस्य हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने कई समाचार पत्रों में प्रकाशित एवं कई वेबसाइट पर साझा किए गए एक लेख में कहा था कि भारत की जी-20 प्राथमिकताओं को न केवल जी-20 भागीदारों, बल्कि दुनिया के दक्षिणी हिस्से के उन साथी देशों के परामर्श से आकार दिया जाएगा, जिनकी आवाज अक्सर अनसुनी कर दी जाती है. उन्होंने कहा कि भारत का जी-20 एजेंडा समावेशी, महत्वाकांक्षी, कार्रवाई उन्मुख और निर्णायक होगा.
(पीटीआई-भाषा)