इंदौर। भारत की जी-20 अध्यक्षता के तहत कृषि कार्य समूह (AWG) की पहली कृषि प्रतिनिधि बैठक (ADM) आज इंदौर में संपन्न हुई. जिसका शुभारंभ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा किया गया. इस अवसर पर G समूह के देशों के प्रतिनिधियों के साथ मध्य प्रदेश और देश में कृषि आधारित संभावनाओं और विकास पर सीएम शिवराज ने चर्चा की. बैठक में जी-20 सदस्य देशों, अतिथि देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के कई प्रतिनिधियों के हिस्सा लिया.
देश में श्री अन्न की जरूरत: बैठक के पहले दिन कृषि संबंधी मामलों पर विचार-विमर्श करने के लिए द्विपक्षीय कार्यक्रम निर्धारित किए. जिसमें मध्यपदेश के अलावा देशभर के प्रतिनिधियों ने कृषि संबंधी तकनीकों एवं भविष्य आधारित कृषि पर विचार विमर्श किया. इस दौरान G20 कार्य समूह के शुभारंभ अवसर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आयोजन स्थल पर कृषि आधारित प्रदर्शनी का उद्घाटन भी किया. इस अवसर पर जी 20 देशों के प्रतिनिधियों के साथ कृषि प्रतिनिधि बैठक की जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा देश में अब श्रीअन्न (मोटे अनाज को श्रीअन्न बोलते हैं) की जरूरत महसूस की जा रही है. जिसमें ज्वार, बाजरा, कोदो, कुटकी जैसे खाद्यान्न हैं, जिनमें पोषक तत्व अधिक होते हैं. उनके पोस्टिक उपयोग के लिहाज से मध्यप्रदेश में व्यापक पहल की गई है.
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एमपी पहले नंबर पर:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मिलेट वर्ष के रूप में इस तरह के खाद्यान्न का उपयोग पूरी दुनिया को बताया है. जिसमें मध्यप्रदेश पहले से ही अग्रणी रहा है, उन्होंने बताया मध्यप्रदेश 7.30 लाख हेक्टेयर में प्राकृतिक खेती करके फिलहाल देश में पहले नंबर पर है. इसीलिए जी-20 देशों से अपील की जा रही है कि दुनिया में अब प्राकृतिक खेती की तरफ आगे बढ़ने का दौर है. उन्होंने कहा मध्यप्रदेश में बीते 18 वर्षों के दौरान इस दिशा में व्यापक कार्य हुए हैं. उन्होंने कहा देश में जिस तरह खाद्यान्न की जरूरत पड़ रही है. उस क्रम में मध्यप्रदेश में 199 लाख हेक्टेयर क्षेत्र से बुवाई का रकबा 299 लाख हेक्टेयर किया गया है. जिससे 18 साल पहले 159 लाख मैट्रिक टन सालाना अनाज पैदा होता था, जो अब बढ़कर 619 लाख मैट्रिक टन हो चुका है. इसके अलावा मध्यप्रदेश में 60 हजार से ज्यादा किसान प्राकृतिक खेती कर रहे हैं. लिहाजा मध्यप्रदेश अब देश में मिलेट की राजधानी के रूप में चर्चित हो रहा है. उन्होंने कहा हमारे पारंपरिक किसानों ने मिलेट के बीज और पारंपरिक खाद्यान्न के उन्नत बीज संरक्षित किए हैं. जिसका उपयोग अब देखा जा रहा है, उन्होंने कहा मध्यप्रदेश में पारंपरिक खेती को लगातार बढ़ावा दिया जा रहा है. इस दिशा में बड़े पैमाने पर किसान भी आगे आ रहे हैं.
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जानें श्री अन्न और मिलेट के बारे में:गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले सभी सांसदों के लिए मिलेट लंच का आयोजन किया गया था, जिसमें पीएम मोदी सहित सभी बड़े नेताओं ने इसका स्वाद चखा था. हिंदी में जिसे मोटा अनाज (बाजरा, जुआर, कांगनी, रागी) कहा जाता है, उसे ही मिलेट कहते हैं. यह पौष्टिक अनाज होते हैं, जो फाइबर, खनिज और अन्य आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं. मोटे अनाज ज्यादातर कई प्रकार के व्यंजनों में उपयोग किए जाते हैं. वहीं राजस्थान के दौसा में पीएम ने कहा था कि पहले बाजरे को मोटा अनाज निम्न भाव से देखा जाता था, लेकिन अब इस मोटे अनाज को हमने नई पहचान दी है. पीएम ने कहा इसे अब 'श्री अन्न' के नाम से जाना जाएगा.