Naltarang in G20: जी 20 देशों के प्रतिनिधि सुनेंगे बंदूक की नाल से निकले सुर, इसे बजाने वाली एमपी की कलाकार क्यों हैं खास
देश की राजधानी दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन होने जा रहा है. जी 20 देशों के प्रतिनिधियों के लिए राष्ट्रपति द्रोपदी मूर्मू जो रात्रि भोज देने वाली हैं उसमें भारत के दुर्लभतम वाद्य यंत्रों की प्रस्तुति का विशेष कार्यक्रम भी है. इसमें नलतरंग की प्रस्तुति की जाएगी. कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के मैहर की जो कलाकार ज्योति चौधरी नलतरंग की प्रस्तुति देंगी, वे इस दुर्लभ वाद्य को बजाने वाली दुनिया की इकलौती महिला हैं.
भोपाल। जी 20 देशों के प्रतिनिधियों के लिए आयोजित संगीत कार्यक्रम में बंदूक की नाल से बने भारत के दुर्लभतम वाद्यों में से एक नल तरंग की भी प्रस्तुति होगी. ये एतिहासिक क्षण इस लिहाज से भी होगा कि इस नल तरंग की प्रस्तुति इस वाद्य को बजाने वाली दुनिया की एक मात्र महिला कलाकार ज्योति चौधरी देंगी. नल तरंग भारत के महान संगीतज्ञ उस्ताद अलाउद्दीन खां की ईजाद है. जी 20 देशों के प्रतिनिधियों के लिए राष्ट्रपति द्रोपदी मूर्मू जो रात्रि भोज देने वाली हैं उसमें भारत के दुर्लभतम वाद्य यंत्रों की प्रस्तुति का विशेष कार्यक्रम भी है. जिसमें राजस्थान के मांगणियार कलाकारों द्वारा बजाया जाने वाला कमैचा मध्यप्रदेश के मैहर से निकला उस्ताद अलाउद्दीन खा के हाथों तैयार हुए नलतरंग के अलावा रुद्रवीणा भी है.
जी 20 में नलतरंग, बंदूक की नाल से सुर भी निकलते हैं: जी 20 देशों के प्रतिनिधियों के सामने देश के दुर्लभतम वाद्य जिस नलतरंग की प्रस्तुति की जाएगी उसके ईजाद की कहानी भी बेहद दिलचस्प है. 1918 में उस्ताद अलाउद्दीन खां ने बंदूक की नाल से नल तरंग को तैयार किया. वजह ये थी कि जलतरंग जब पुरुष बजाते थे तो उनके हाथ अगर जोर से पड़ते तो जलतरंग वाद्य टूट जाता था. बाबा अलाउद्दीन ने इसीलिए जलतरंग के अंदाज में ही नलतरंग की ईजाद की. इस वाद्य की वजह से बड़ी ईजाद ये भी हुई कि पाईप से भी सुर निकल सकते हैं.
जी-20 के कार्यक्रम में नलतरंग बजाएंगी मैहर की ज्योति:जी 20 देशों के प्रतिनिधियों के लिए आयोजित कार्यक्रम में मैहर की जो कलाकार ज्योति चौधरी नलतरंग की प्रस्तुति देंगी. वे इस दुर्लभ वाद्य को बजाने वाली दुनिया की इकलौती महिला हैं. ईटीवी भारत से बातचीत में ज्योति ने बताया कि ''वे गायन के क्षेत्र में थी लेकिन करीब नौ साल पहले उन्हें लगा कि उन्हे नलतरंग बजाना चाहिए और उन्होंने अभ्यास शुरु किया. पहले उन्होंने बाबा अलाउद्दीन खा साहब के पोते रजेश अली खां साहब से इसे सीखा. फिर उनके बाद नलतरंग वादक गौतम भारती जी से इसे इसकी शिक्षा लेनी शुरु की.'' ज्योति बताती हैं ''जो नलतरंग 20 के कार्यक्रम में बजाने जा रही हूं उसे मेरे गुरु गौतम भारती जी ने ही बनाया है. विश्व प्रसिद्ध मैहर बैंड का भी हिस्सा रहा है ये वाद्य.
नलतरंग का अविष्कार करने वाले कौन थे बाबा अलाउद्दीन:नलतरंग का अविष्कार करने वाले बाबा अलाउद्दीन का जन्म 1862 में पूर्वी बंगाल में हुआ था. लेकिन उन्होंने अपनी कर्मभूमि मध्यप्रदेश के मैहर को बनाया. 200 से अधिक भारतीय और पश्चिम साज़ बजा लेने की महारत हासिल थी बाबा को. वे सरोद सितार और ध्रुपद गायकी के लिए मशहूर रहे. मिया तानसेन की शिष्य परंपरा का हिस्सा रहे अलाउद्दीन खां साहब के नाम पर ही मध्यप्रदेश में कला संगीत अकादमी का नाम है. बाबा ने ही संगीत के सबसे बड़े घराने मैहर घराने की नीवं रखी, एक अनूठा आर्केस्ट्रा मैहर बैंड बनाया. बाबा अलाउद्दीन खां ने ही बदूक की नाल से अनूठे वाद्य यंत्र नलतरंग का भी अविष्कार किया.