नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत मंडपम में जी20 के सभी प्रतिनिधियों का स्वागत किया. इस दौरान सबसे अधिक चर्चा उस पृष्ठभूमि की रही, जहां पर खड़े होकर पीएम मोदी ने सभी नेताओं के साथ तस्वीरें खिंचवाईं. यह कोणार्क चक्र था. पीएम मोदी ने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइ़डेन को इसकी जानकारी दी.
सम्मेलन की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अफ्रीकी संघ को जी20 में शामिल होने की घोषणा की. अफ्रीकी देशों के प्रतिनिधियों ने पीएम मोदी का धन्यवाद किया. जी-20 में शामिल देश हैं - भारत, आर्जेंटीना, चीन, फ्रांस, अमेरिका, यूके, तुर्की, सऊदी अरब, द. अफ्रीका, मेक्सिको, इंडोनेशिया, इटली, कोरिया, जापान, इटली, ऑस्ट्रेलिया, रूस, कनाडा, ब्राजील और यूरोपियन यूनियन.
पीएम मोदी का संबोधन- 'भारत पूरी दुनिया से अपील कर रहा है कि हम मिलकर ग्लोबल ट्रस्ट डेफिसिट को विश्वास, भरोसे में बदलें. ये सभी के साथ मिलकर चलने का वक्त है. हम सभी के लिए सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास हमारे लिए पथप्रदर्शक बन सकता है. पीएम ने कहा कि हमारे सामने जलवायु परिवर्तन और यूक्रेन युद्ध दौ बड़ी चुनौतियां हैं.
पहले दिन दो सत्र आयोजित किए गए. पहले सत्र में वन अर्थ थीम पर चर्चा की गई. दूसरे सत्र में वन फैमिली पर चर्चा की गई. न्यूक्लियर का इस्तेमाल किसी भी परिस्थिति में नहीं किया जाएगा, इसको लेकर सहमति बनी.
इस संगठन की बैठक के दौरान भारत ने कभी भी ऐसा असहसास नहीं होने दिया कि यहां पर दो अलग-अलग गुटों की बैठक हो रही है. भारत ने सामंज्य बिठाया और सभी को राजी किया. इस बैठक में दिल्ली घोषणा पत्र को स्वीकार करने के बावजूद भारत ने न तो रूस को नाराज किया और न ही अमेरिका को कोई आपत्ति हुई. भारत ने यूक्रेन युद्ध का भी जिक्र कर दिया, और रूस की इज्जत भी बचा ली. राजनयिकों के मुताबिक यह भारत की बहुत बड़ी कूटनीतिक जीत है और इसके पीछे हमारे विदेश मंत्रालय और शेरपा समेत तमाम अधिकारियों की बुद्धिमत्ता की बदौलत ही ये संभव हो सका.
भारत ने घोषणा पत्र में रूस का जिक्र नहीं किया, हालांकि यूक्रेन युद्ध की चर्चा की गई. भारत ने कहा कि सभी को यूएन के नियमों के अनुसार काम करने चाहिए.
भारत को लेकर विवाद- दोपहर में विपक्षी पार्टियों ने उस विषय पर विवाद उत्पन्न कर दिया, जब उन्होंने देखा कि पीएम मोदी जहां पर बैठे हैं, उनके सामने रखी हुई तख्ती पर इंडिया की जगह भारत लिखा हुआ था. विपक्षी नेताओं ने इसे लोकतंत्र के लिए सही नहीं बताया है.