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अफगानिस्तान संकट पर जी-7 देशों के नेताओं की बैठक - अफगानिस्तान तालिबान संकट

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से हजारों अफगान नागरिक देश छोड़कर भागने लगे हैं, जिससे बहुत बड़ा मानवीय संकट पैदा हो गया है. अमेरिका समेत तमाम देश अपने राजयनिकों समेत अफगान नागरिकों को निकालने के लिए अभियान चला रहे हैं, लेकिन अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की पूर्ण वापसी की डेडलाइन 31 अगस्त तक अभियान पूरा होने की संभावना बहुत कम दिख रही है. इसलिए अमेरिका पर डेडलाइन आगे बढ़ाने का दबाव बढ़ गया है.

अफगानिस्तान संकट
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Published : Aug 24, 2021, 10:29 PM IST

वॉशिंगटन :अफगानिस्तान के संकट पर जी-7 देशों की मंगलवार को डिजिटल बैठक होगी. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन बैठक की अध्यक्षता करेंगे. दो महीने पहले दुनिया के सात देशों के नेताओं की बैठक इंग्लैंड के दक्षिण-पश्चिमी तटीय क्षेत्र में हुई थी. यह एक खुशी का अवसर था क्योंकि कोरोना वायरस महामारी के कारण दो वर्षों बाद यह बैठक हुई थी.

ब्रिटिश प्रधानमंत्री के कार्यालय 'डाउनिंग स्ट्रीट' ने कहा कि बैठक के दौरान, जॉनसन जी-7 समूह के नेताओं से अफगानिस्तान के लोगों के साथ खड़े रहने और शरणार्थियों व मानवीय सहायता को मजबूत करने का आह्वान करेंगे.

जी-7 देशों में ब्रिटेन के अलावा, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और अमेरिका हैं.

एक अमेरिकी अधिकारी के अनुसार, अमेरिका की केंद्रीय खुफिया एजेंसी (सीआईए) के निदेशक विलियम बर्न्स ने तालिबान के नेता अब्दुल गनी बरादर के साथ काबुल में सोमवार को गुप्त बैठक की.

'वॉशिंगटन पोस्ट' ने सबसे पहले बर्न्स की बरादर के साथ बैठक की सूचना दी. एक अमेरिकी अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर खबर की पुष्टि की.

जी-7 देशों की विदेश मामलों की समितियों के प्रमुखों ने मंगलवार को एक पत्र में नेताओं से आग्रह किया कि अफगानिस्तान से सैन्य मदद से लोगों को निकाले जाने के लिए मनमाने ढंग से समय सीमा तय करने से बचें.

जॉनसन और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों सहित अन्य, सभी विदेशी नागरिकों के साथ-साथ अफगान नागरिकों को अफगानिस्तान से निकालना सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रपति जो बाइडेन पर अमेरिकी बलों की पूर्ण वापसी के लिए 31 अगस्त की समय सीमा बढ़ाने के लिए दबाव डाल रहे हैं.

ब्रिटेन के रक्षा मंत्री बेन वालेस ने कहा, ब्रिटिश का रुख यह है कि यदि संभव हो तो हम अधिक समय तक रहना चाहते हैं, लेकिन काबुल हवाई अड्डे पर 1,000 ब्रिटिश सैनिक अभियान को जारी रखने में असमर्थ होंगे, जब बहुत बड़ा अमेरिकी दल वहां से चला जाएगा.

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बैठक से पहले व्हाइट हाउस ने कहा कि बाइडेन और जॉनसन ने फोन पर बात की थी और वर्तमान स्थिति के प्रबंधन और अफगानिस्तान नीति के लिए एक आम सहमति बनाने में सहयोगियों और भागीदारों के साथ घनिष्ठ समन्वय के महत्व पर चर्चा की थी.

(पीटीआई-भाषा)

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