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बर्फ में दबा मिला जवान का शव, 16 साल बाद होगा फौजी का अंतिम संस्कार

गाजियाबाद के मुरादनगर निवासी सेना के एक जवान के शव का 16 साल बाद अंतिम संस्कार किया जायेगा. उनकी मौत सियाचिन की पहाड़ी में तिरंगा फहराकर लौटते वक्त खाई में गिरने से हो गई थी. अब उनके शव को मंगलवार के दिन मुरादनगर के हिसाली गांव लाया जायेगा, जहां राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार होगा.

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Published : Sep 26, 2021, 8:28 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद :उत्तराखंड में खाई में गिरकर अपनी जान गंवाने वाले सेना के एक जवान का शव 16 साल बाद अपने घर पहुंचने वाला है. उनका परिवार इसकी आस खो चुका था, लेकिन 16 साल बाद ही सही जवान का शव खोज लिया गया है, गृह ग्राम में जवान का अंतिम संस्कार किया जायेगा.

मुरादनगर के हिसाली गांव में जन्मे सेना के जवान की सितंबर 2005 में उत्तराखंड के पहाड़ से गहरी खाई में गिरने से मौत हो गई थी. वह काफी जांबाज पर्वतारोही थे. वह हिमालय और सियाचिन से होते हुए सबसे ऊंची चोटी पर कई बार तिरंगा फहरा चुके थे. साल 2005 में भी वह अपनी टीम के साथ सियाचीन की चोटी पर ध्वजारोहण करने गए थे, लेकिन लौटते समय उत्तराखंड में हादसा हो गया और सभी सिपाही बर्फ में दब गए.

16 साल बाद होगा फौजी का अंतिम संस्कार

रेस्क्यू के दौरान तीन सिपाहियों का शव निकाल लिया गया था, लेकिन अमरीश का शव नहीं मिल पाया था. बताया जाता है कि उनका शव गहरी खाई में चला गया था. जहां पर काफी ज्यादा बर्फ थी, लेकिन 16 साल बाद सेना ने मुरादनगर के जांबाज सिपाही का शव ढूंढ निकाला है. इसके बाद अमरीश के परिवार को सूचना दे दी गई है. जानकारी के मुताबिक, मंगलवार को अमरीश का शव उनके पैतृक गांव में पहुंचने वाला है, जहां राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.

अमरीश का परिवार 16 साल से अमरीश के इंतजार में था. उन्हें तो यह भी नहीं पता था कि अमरीश जिंदा हैं या फिर उनकी मौत हो चुकी है. अब 16 साल बाद उनके शव आने की खबर सुनकर परिवार एक बार फिर से भावुक है और उन्हें खुशी है कि वह एक वीर जवान का अंतिम संस्कार कर पायेंगे. वहीं अमरीश के शव के आने की खबर सुनकर आसपास के गांव के लोग भी उनके पैतृक गांव पहुंच रहे हैं. अमरीश के पिता ने भी 1962 और 1965 की लड़ाई में अपना योगदान दिया था. कुछ साल पहले पिता और अमरीश की पत्नी का भी देहांत हो चुका है.

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