दौसा (राजस्थान) :इंसान हमेशा अपने वंश का नाम चलाने के लिए संतान के रूप में पुत्र की कामना करता है. शायद ये कामना दौसा के रहने वाले बालूराम सैनी ने भी की हो, लेकिन उन्हें क्या पता था कि अंतिम विदाई में पुत्र ही उनसे दूरियां बना लेगा. ऐसा ही एक मामला जिले के बांदीकुई उपखंड से सामने आया है, जहां पुत्र के नहीं आने पर छह पोतियों ने अपने दादा की अर्थी को कांधा दिया और परंपरा के मुताबिक, मुखाग्नि देकर साबित कर दिया कि अगर पुत्र अपने कर्तव्य से विमुख हो जाए तो पुत्री या पोतियां भी पुत्र का दायित्व निभा सकती हैं.
बता दें, ये खबर दौसा जिले के बांदीकुई उपखंड मुख्यालय की है, जहां बालूराम सैनी की मृत्यु के बाद दाह संस्कार के लिए शहर के बसवा रोड पर कॉलेज के समीप स्थित श्मशान घाट में गमगीन माहौल में मृतक बालूराम की पोतियों ने उसे मुखाग्नि दी. शहर के वार्ड नंबर 26 झील की ढाणी से बीते मंगलवार शाम को अपने दादा को छह बहनों ने मिलकर कांधा दिया, तो यह नजारा देखकर हर किसी की नम आंखों से और दबी जुबान से एक ही शब्द निकला कि भगवान पुत्र से अच्छी तो पुत्रियां होती हैं.