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ईंधन की कीमतों में उछाल - आंध्र प्रदेश सरकार ने वैट घटाने से किया इनकार

आंध्र प्रदेश सरकार (Government of Andhra Pradesh) के द्वारा वैट घटाने से इनकार किए जाने से राज्य में ईंधन के दाम बढ़ गए हैं.वहीं दूसरी तरफ तमिलनाडु और कर्नाटक में आंध्र प्रदेश के मुकाबले वैट के लिए कम राशि चुकानी पड़ रही है. पढ़िए पूरी खबर..

rise in fuel prices
ईंधन की कीमतों में उछाल

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Published : May 7, 2022, 4:08 PM IST

Updated : May 7, 2022, 5:30 PM IST

अमरावती :आंध्र प्रदेश सरकार (Government of Andhra Pradesh) के द्वारा वैट घटाने से इनकार किए जाने के बाद राज्य में ईंधन की कीमतों में बढ़ोत्तरी हुई है. वहीं दूसरी तरफ तमिलनाडु और कर्नाटक में आंध्र प्रदेश के मुकाबले वैट के लिए कम राशि चुकानी पड़ती है, इस वजह से इन राज्यों में आंध्र प्रदेश के मुकाबले ईंधन की कीमत कम है.बता दें कि 2018 में वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने अपनी प्रजा संकल्प यात्रा के दौरान तत्कालीन सीएम चंद्रबाबू नायडू पर आरोप लगाया था कि ईंधन की कीमतों को बढ़ाकर उन्होंने आम आदमी पर अधिभार का बोझ बढ़ा दिया है. वहीं 2019 में जगन मोहन रेड्डी ने सीएम पद की शपथ ली थी, उस समय राज्य में पेट्रोल की कीमत 76.89 रुपये प्रति लीटर थी जो बढ़कर अब 120.95 रुपये हो गई है. पिछले कुछ सालों में पेट्रोल के दाम में 44.8 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि हुई है. इसी तरह डीजल की कीमत भी 71.50 रुपये से बढ़कर 106.58 रुपये हो गई है यानी 35.10 रुपये का इजाफा हुआ है.

विपक्ष के नेता के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान जगन ने ईंधन की कीमतों पर टैरिफ लागू करने के लिए सरकार पर हमला किया. लेकिन अपनी पार्टी के सत्ता में आने के बाद उन्होंने पेट्रोल और डीजल पर अतिरिक्त वैट 2 रुपये से बढ़ाकर 4 रुपये प्रति लीटर कर दिया. वहीं पूरी तरह से कर्ज में डूबी आंध्रप्रदेश सरकार के राजस्व का एकमात्र स्रोत ईंधन पर कर और अधिभार प्रतीत होता है.वहीं 2021-22 की पहली तीन तिमाहियों में पेट्रोल और डीजल पर करों से राजस्व ईंधन पर 2020-21 के कर हिस्से को पार कर गया है. वास्तव में, राज्य ने अपने लोगों से करों को वसूलने में 45 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है.

इतना ही नहीं आंध्र प्रदेश ने वैट और पेट्रोल, डीजल और सड़क करों पर अतिरिक्त वैट के रूप में 10,920 करोड़ रुपये हासिल किए हैं. राज्य में ईंधन की कीमतों में वृद्धि का मुख्य कारण वैट और सड़क करों को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है. राज्य सरकार केंद्र की तुलना में अधिक उत्पाद शुल्क लगा रही है. राज्य के विभाजन के बाद तेदेपा सरकार ने 5 फरवरी 2015 को पेट्रोल और डीजल पर 4 रुपये प्रति लीटर का अतिरिक्त वैट लगाया था. वहीं 2018 में देश भर में पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ गई थीं. तब सितंबर 2018 में अतिरिक्त वैट को 4 रुपये से घटाकर 2 रुपये प्रति लीटर करने के आदेश जारी किए गए थे. लेकिन 2019 में, वाईएसआरसीपी सरकार ने इसे वापस बढ़ाकर 4 रुपये कर दिया है. वहीं वर्तमान में, एपी में प्रति लीटर पेट्रोल पर 31 प्रतिशत वैट, 4 रुपये का अतिरिक्त वैट और सड़क विकास शुल्क के लिए 1 रुपये का शुल्क लिया जा रहा है.

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एपी में 22.25 प्रतिशत वैट, 4 रुपये का अतिरिक्त वैट और 1 रुपये प्रति लीटर डीजल का सड़क विकास शुल्क लगाया जा रहा है. इस बीच, कर्नाटक केवल 14.34 प्रतिशत वैट लगाता है जबकि तमिलनाडु 11 प्रतिशत वैट और अतिरिक्त वैट 9.62 रुपये प्रति लीटर वसूल रहा है.केंद्र और राज्य करों को खत्म करने में प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं. केंद्र द्वारा पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क, वैट, अतिरिक्त वैट और राज्यों द्वारा सड़क कर आम आदमी के दुख को बढ़ा रहे हैं.केंद्र जहां 27.90 रुपये प्रति लीटर पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क लगा रहा है, वहीं राज्य सरकार 31.30 रुपये तक टैक्स और सरचार्ज के रूप में चार्ज कर रही है. डीजल का भी यही हाल है.

हालांकि कई राज्यों ने वैट शुल्क घटा दिया है. लेकिन एपी सरकार ने अपने लोगों को कोई राहत नहीं दी है. सीएम जगन ने यह भी आलोचना की कि राज्य की गिरती आय के लिए केंद्र के उपाय जिम्मेदार थे. वर्तमान में, आंध्र प्रदेश अपने लोगों पर भारी ईंधन शुल्क का बोझ डाल रहा है. हालांकि अकेले ईंधन कर से राज्य को 15,000 करोड़ रुपये का राजस्व मिलने की उम्मीद है.

Last Updated : May 7, 2022, 5:30 PM IST

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