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सुरक्षा के नाम पर जालसाजों ने यूपी समेत कई राज्यों की पुलिस को ठगा, FIR दर्ज

घोटोलों का खुलासा करने वाली संस्था का चीफ बताने वाले जालसाजों ने सुरक्षा की मांग को लेकर कई राज्यों की पुलिस को ठगा. पोल खुलने के बाद इनके खिलाफ उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के हजरतगंज थाने में एफआईआर दर्ज की गई.

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यूपी समेत कई राज्यों की पुलिस को ठगा

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Published : Aug 2, 2022, 8:41 AM IST

लखनऊ:देश में हो रहे घोटालों का खुलासा करने वाली संस्था का चीफ बताने वाले जालसाजों ने यूपी समेत कई राज्यों की पुलिस को ही ठगने की कोशिश की. बीते कई सालों से देश के 6 राज्यों की पुलिस को धोखे में रखकर इस संस्था के लोग अपनी यात्रा के दौरान सरकार से सुरक्षा की मांग करते थे और राज्य की सरकारें उन्हें पुलिस का प्रोटोकॉल मुहैया भी कराती रहीं. लेकिन, अब योगी राज में इन जालसाजों की पोल खुली तो डीजीपी मुख्यालय के निर्देश पर हजरतगंज थाने में एफआईआर दर्ज की गई है. हालांकि, कथित जालसाजों के मुताबिक, वो पहले भी यूपी पुलिस की सुरक्षा ले चुके हैं.

गृह मंत्री सहित 3 राज्यों से मांगी थी भ्रमण के लिए सुरक्षा
बीते 23 जून 2022 को एंटी करप्शन एवं क्राइम कंट्रोल कमेटी के अध्यक्ष राजलाल सिंह पटेल ने गृह मंत्री अमित शाह को संबोधित करते हुए पत्र लिखा था. इसकी प्रतिलिपि दिल्ली सरकार, उत्तराखंड सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री, गृह विभाग व डीजीपी को भी मेल की थी. इस पत्र में कहा गया था कि कमेटी के सेल चीफ रॉबिन प्रधान निजी कार्य से 24 जून से 26 जून तक दिल्ली, उत्तराखंड व यूपी के कई जिलों में भ्रमण पर रहेंगे, इसलिए उन्हें पुलिस की सुरक्षा दी जाए. यह पत्र तीनों राज्य की पुलिस को गया था. पत्र के साथ आरोपी रॉबिन प्रधान के मिनट टू मिनट का ब्यौरा भी था. यूपी के एडीजी कानून व्यवस्था व एसपी सुरक्षा के स्तर से जब जांच की गई तो पाया गया कि यह एजेंसी न केंद्र सरकार और न ही राज्य सरकार की किसी भी श्रेणी की सुरक्षा की हकदार नहीं थी. बावजूद इसके उन्होंने भ्रमण के लिए सुरक्षा की मांग की थी.

ADG कानून व्यवस्था के निर्देश पर दर्ज हुई FIR
डीसीपी सेंट्रल अपर्णा कौशिक के मुताबिक, एडीजी कानून व्यवस्था के पत्र के आधार पर हजरतगंज थाने में जांच के बाद एंटी करप्शन एवं क्राइम कंट्रोल कमेटी सेल चीफ रॉबिन प्रधान व संस्थापक राजलाल सिंह पटेल के खिलाफ धोखाधड़ी, षड्यंट रचने व सरकारी कार्य में बाधा डालने की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया. उन्होंने बताया कि आरोपियों द्वारा भेजे गए पत्र के आधार पर गृह विभाग, पुलिस मुख्यालय व एसपी सुरक्षा के स्तर पर सुरक्षा मुहैया कराने की कार्रवाई की गई थी. लेकिन, जालसाजी सामने आने पर सरकार और विभागों के कार्य में बाधा पहुंची थी.

केंद्रीय सतर्कता आयोग से सम्बद्ध बताती है संस्था
हजरतगंज पुलिस ने जिस एंटी करप्शन एवं क्राइम कंट्रोल कमेटी के सेल चीफ रॉबिन प्रधान को नामजद किया है वो हैदराबाद का रहने वाला है. वहीं, दूसरा आरोपी राजलाल सिंह पटेल बिहार के भबुआ का रहने वाला है. दोनों देश के कई राज्यों जैसे असम, मेघालय, बिहार, झारखंड, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात व हैदराबाद में दफ्तर खोल कर लोगों को अपने साथ जोड़ते हैं. यही नहीं ये लोग खुद को केंद्रीय सतर्कता आयोग (Central Vigilance Commission of India) से सम्बद्ध भी बताते हैं.

देश के 6 राज्यों में भौकाल बनाकर ले चुके हैं सुरक्षा
आरोपी रॉबिन इससे पहले बीते साल अक्टूबर 2021 को यूपी के मथुरा व वृंदावन में घूमने आया था. उस दौरान उसने इसी तरह भ्रमण के दौरान सुरक्षा की मांग की थी और उसे पुलिस द्वारा सुरक्षा दी भी गई थी. हालांकि, तब अधिकारियों को इस पर शक नहीं हुआ था. यही नहीं दोनों आरोपी मेघालय, बिहार, हैदराबाद, असम, महाराष्ट्र, राजस्थान और दिल्ली में राज्य सरकार व गृह विभाग को पत्र लिखकर प्रोटोकॉल व सुरक्षा ले चुके हैं.

दोबारा भी जालसाजों के झांसे में आ गई थी यूपी पुलिस
सूत्रों के मुताबिक, 23 जून को कमेटी के अध्यक्ष राजलाल के पत्र भेजने के बाद रॉबिन प्रधान दिल्ली, उत्तराखंड के हरिद्वार व यूपी के मथुरा के दौरे पर रहा. लेकिन, उसे सुरक्षा नहीं मिली थी. 28 जून को उसके लौटने के बाद सुरक्षा देने के लिए यूपी पुलिस की ओर से कॉल की गई थी. रॉबिन दौरे से हैदराबाद लौट गया था, जिस कारण सुरक्षा नहीं ले सका था. यही नहीं रॉबिन प्रधान ने सुरक्षा देने के लिए कॉल करने वाले से अशब्द भी कहे थे. इसके बाद अधिकारियों को शक हुआ और एसपी सुरक्षा ने इस पूरे मामले की जांच की थी.

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क्या यूपी में सुरक्षा मांगना अपराध है?
ईटीवी भारत ने जब एंटी करप्शन एवं क्राइम कंट्रोल कमेटी के सेल चीफ व आरोपी रॉबिन प्रधान से बात की तो उनके मुताबिक, क्या यूपी में सुरक्षा मांगना अपराध है? उन्होंने देश के कई राज्यों में घोटालों का खुलासा किया है, इसलिए उनकी जान को खतरा है. इसलिए पत्र लिखा था. अब सुरक्षा देना और न देना सरकार पर निर्भर है. इसमें अपराध क्या है?

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