नई दिल्ली : फ्रांस नस्लवाद की चिंगारी में जल रहा है. मुस्लिम समाज के एक युवक की हत्या के बाद पूरा समाज गुस्से में है. वे फ्रांस की पुलिस पर भेदभाव के आरोप लगा रहे हैं. हालांकि, पुलिस ने भेदभाव से साफ इनकार किया है. फ्रांस की क्या स्थिति है, इसका अंदाजा लगा सकते हैं कि राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉं को अपना विदेशी दौरा बीच में छोड़कर ही वापस आना पड़ा.
पेरिस के नानतेरे इलाके में यह घटना हुई. पहले तो पुलिस ने युवक पर ही आरोप लगाए. लेकिन पूरी घटना का किसी ने वीडियो बना लिया था. और जब वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित किया गया, उसके बाद न सिर्फ पूरे शहर में, बल्कि फ्रांस के दूसरे हिस्सों में भी हिंसा की आग भड़क उठी. वीडियो में पुलिस को नजदीक से गोली मारते हुए देखा गया. जिस युवक की हत्या की गई, उसका नाम नाइल था. वह अल्पसंख्यक समाज से आता था.
वीडियो में देखा गया कि नाइल चेक प्वाइंट पर रूका. वहां पर दो पुलिसकर्मी थे. इसके बाद एक पुलिसकर्मी ने कहा कि अगर तुम आगे बढ़े तो तुम्हें गोली मार देंगे. दूसरे पुलिसकर्मी ने कहा, गोली मार दो इसे. तभी पहले पुलिसकर्मी ने उसे गोली मार दी. उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया, पर वहां पर उसे मृत घोषित कर दिया गया.
इस वीडियो को लेकर अल्पसंख्यक समाज में गुस्सा है. नानतेरे शहर के प्रोसेक्यूटर ने पुलिस को इस घटना के लिए जिम्मेदार ठहराया है. पुलिसकर्मी हिरासत में है.
अब आइए जानते हैं कौन था नाइल. नाइल मूल रूप से अल्जीरियाई और मोरक्कन मूल का था. उसका परिवार फ्रांस में रहता था. नाइल लोकल रग्बी टीम में खेलता था. गैर कानूनी रूप से कार चलाने को लेकर नाइल को पहले भी समन भेजा जा चुका था. नाइल का परिवार नस्लीय भेदभाव का आरोप लगा रहा है.
यह संदेश पूरे फ्रांस में आग की तरह फैल गया. फिर जहां-जहां पर अल्पसंख्यक समाज के लोग रह रहे थे, उन्होंने विरोध प्रदर्शन की शुरुआत कर दी. जगह-जगह आगजनी की घटना को अंजाम दिया जाने लगा. पत्थरबाजी हुई. बसों को जलाया गया. पोस्टर फाड़े गए. पुलिस और प्रदर्शनकारी आमने-सामने आ गए. फ्रांस के दक्षिण में स्थित तोलाउस में सबसे अधिक स्थिति खराब हो गई.
इसके अलावा मार्सिले शहर में लाइब्रेरी को जला दिया गया. 165 साल पुरानी इमारत में यह लाइब्रेरी था. गनीमत थी कि समय पर पुलिसकर्मी पहुंच गए और 10 लाख से अधिक किताबों को सुरक्षित हटा लिया गया. प्रदर्शनकारियों ने कई जगहों पर गोलीबारी की. बैंक में आगजनी की गई.
पुलिस का कहना है कि उन्होंने 3000 के करीब उपद्रवियों को गिरफ्तार किया है. 200 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हो गए हैं. 40 हजार से अधिक पुलिसकर्मियों को स्थिति संभालने में लगाया गया है.
हिंसा से चिंतित सरकार अब आपातकाल लगाने पर भी विचार कर रही है. फ्रांस के गृह मंत्री ने कहा कि वह सारे विकल्पों पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं. फ्रांस में पिछले 60 सालों में चार पर इमरजेंसी लगाई जा चुकी है. पिछली बार 2005 में आपातकाल लगाया गया था. तब भी दो युवकों की मौत के बाद हिंसा भड़क गई थी.