हाड़ौती में फैली धनिए की खुशबू कोटा.बीते कुछ सालों से धनिए का उत्पादन काफी कम हो गया था. उपज के दाम भी किसानों को नहीं मिल पा रहे थे. दूसरी तरफ इसमें लगने वाली बीमारियों से भी किसान परेशान थे. यही वजह है कि किसानों ने धनिए को छोड़ दूसरी फसलों की ओर रुख किया था, लेकिन बीते दो सालों से धनिए का रकबा बढ़ा है. हालांकि, इस बार बीते साल से थोड़ी कम बुआई हुई है. फिर भी उद्यानिकी विभाग को उम्मीद है कि 55 से 60 हजार हेक्टेयर में इस बार भी धनिए की बुआई होगी.
बीते साल की तुलना में कम हुई बुआई :उद्यानिकी विभाग के संयुक्त निदेशक पीके सिंह का मानना है कि अभी तक 48200 हेक्टेयर में धनिए की बुआई हो चुकी है. इसमें सर्वाधिक बुवाई झालावाड़ जिले में 25000 हेक्टेयर के आसपास हुई है. हालांकि बीते 10 सालों पहले जो स्थिति थी, वैसी आज भी नहीं है. उन्होंने कहा कि तब 2 लाख हेक्टेयर से ज्यादा एरिया में धनिए की बुआई हुआ करती थी. वहीं, बीते सालों के अपेक्षा अभी भी बुआई कम है.
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पूरे प्रदेश में केवल हाड़ौती ही उत्पादन में आगे : धनिया में हाड़ौती संभाग अग्रणी रहा है. प्रदेश में सबसे ज्यादा बुआई व उत्पादन यहीं होता है. इसके अलावा चित्तौड़गढ़ व भीलवाड़ा जिले में भी कुछ हद तक धनिए की फसल का उत्पादन किसान करते हैं. हालांकि दोनों जिलों को मिलाकर करीब 3 से 5 हजार हेक्टेयर के आसपास ही फसल होती होगी, लेकिन हाड़ौती संभाग में इसका रकबा काफी गिर गया था. अब लगातार इसमें बढ़ने की उम्मीद है. लोंगिया और मुड़िया रोग आने की वजह से लोग इस फसल से दूर हट गए थे, लेकिन पिछले साल ये रोग नहीं आया था. यह कम पानी की फसल है. एक रेलना और एक पानी में ही ये फसल हो जाती है.
पूरे प्रदेश में केवल हाड़ौती ही उत्पादन में आगे किसानों को ठीक-ठाक दाम मिलने की उम्मीद :मंडी व्यापारी और एक्सपर्ट मुकेश भाटिया का मानना है कि बीते साल जहां पर 6200 से 12500 रुपए प्रति क्विंटल तक धनिया के दाम थे. हालांकि इस बार स्टॉक के चलते दाम बढ़ने की उम्मीद कम है. बीते साल से भी एरिया थोड़ा इस बार कम हुआ है. शुरुआत में जनवरी-फरवरी में कुछ तेजी देखने को जरूर मिलेगी. हालांकि उसके बाद ऐसा नहीं होगा. भाटिया ने यह भी बताया कि 2021-22 के पहले के सालों में लगातार दाम कम रहे थे, जबकि साल 2021-22 में फसल कम थी इसलिए दाम भी बढ़ गए थे और लोगों का स्टॉक भी खत्म हो गया था. जहां पर 80 से 90 हजार प्रति क्विंटल बिक रहा था, वह 130000 के आसपास पहुंच गया था.
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लहसुन का एरिया चला गया था धनिया में : उद्यानिकी विभाग के संयुक्त निदेशक पीके सिंह का मानना है कि बीते साल 2022-23 का आंकड़ा 87536 हेक्टेयर एरिया में धनिया की उपज हुई थी. जिसका उत्पादन भी 1.31 मीट्रिक टन के आसपास था. किसानों को मंडी में भी अच्छे दाम मिले थे. हालांकि बीते साल लहसुन का एरिया कम हुआ था. ऐसे में लहसुन का एरिया बीते साल धनिया में चला गया था, लेकिन इस बार कम हुआ है. लहसुन के दाम भी किसानों को मिले. इसलिए उसका भी एरिया बढ़ा है. इसीलिए धनिया का एरिया बीते साल के मुकाबले तो नहीं पहुंचा, लेकिन साल 2021-22 के मुकाबले दोगुने एरिया में इसका उत्पादन जरूर होगा. साल 2021-22 में महज 33044 हेक्टेयर में धनिए का उत्पादन किया गया था.
10 सालों से गिरा रकबा बीते साल संभला :हाड़ौती में बीते 10 सालों से धनियें का उत्पादन घट रहा था, हालांकि बीते साल इसमें रोक लगी थी. दस साल पहले गए साल 2014-15 में हाड़ौती में 2 लाख 42 हजार 870 हेक्टेयर तक भी किया गया है, जबकि 2015-16 में 193759 हेक्टेयर में बोया गया जिसके बाद यह लगातार गिर ही रहा है, साल 2016 -17 में 126775 हुआ था, जबकि साल 2021-22 में महज 33044 था. इसके बाद साल 2022-23 में यह 87536 था. इस साल उम्मीद है कि करीब 60000 हेक्टेयर में इसकी बुवाई होगी.
एक्सपर्ट भाटिया का मानना है कि धनिया के भाव 3 साल कम रहते हैं और फिर अगले 3 साल दामों में काफी इजाफा हो जाता है. लोग धनिया का स्टॉक करके भी रखते हैं, फिर यह स्टॉक धीरे-धीरे खत्म हो जाता है तभी धनिया के भाव बढ़ जाते हैं. इसी के चलते धनिए के दाम में अंतर आता रहता है. किसानों का मानना है कि 5 साल पहले धनिया की कीमत काफी कम थी, इसी के चलते लगातार रकबा गिरता रहा. यह भाव 5 से 6 हजार रुपए प्रति क्विंटल पहुंच गए थे.