गुमलाः 14 फरवरी 2019 का दिन पूरे देश के लिए काला अध्याय की तरह है. गुरुवार को दोपहर 3.30 बजे जम्मू कश्मीर के पुलवामा में आतंकी हमला से पूरा देश दहल गया था. इस हमले में देश के 40 जवान शहीद हुए और 35 जवान जख्मी हुए. इस हमले में झारखंड के गुमला जिला के बसिया प्रखंड अंतर्गत फरसामा गांव के लाल हवलदार विजय सोरेंग ने भी अपनी शहादत दी थी. उन जवानों की शहादत को 4 वर्ष पूरे हो रहे हैं. शहीद विजय मां भारती की रक्षा में अपने शहादत से आज भी क्षेत्र के लोगों के दिलों में अमर हैं.
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विजय सोरेंग की शहादत के चार वर्ष पूरे हो गए प्रत्येक वर्ष उनकी शहादत दिवस पर उच्च विद्यालय कुम्हारी में स्थापित उनकी प्रतिमा पर सीआरपीएफ बटालियन एवं स्थानीय प्रशासन द्वारा कार्यक्रम आयोजित कर माल्यार्पण कर श्रद्धा समुन अर्पित की जाती है. लेकिन आज भी शहीद का गांव उपेक्षित है. परिजनों ने कहा कि पहले कई घोषणाएं की गई पर वक्त के साथ सभी भूल गए ना तो गांव का विकास हुआ ना पेयजल की ही सुविधा उपलब्ध हुई. फरसामा गांव को आदर्श गांव बनाने की भी घोषणा की गई थी अब तक किसी तरह की कोई सुविधा यहां उपलब्ध नहीं कराई गयी है.
जानिए कौन हैं शहीद विजय सोरेंगः गुमला के शहीद विजय सोरेंग का जन्म बसिया प्रखंड अंतर्गत फरसामा गांव में हुआ. गांव की मिट्टी में पले बढ़े और प्रारंभिक शिक्षा हासिल की. पिता की तरह देश सेवा की जज्बा लिए विजय 1993 में सेना में भर्ती हुए. इसके बाद वो 1995 में एसपीजी में कमांडो दस्ते में भी शामिल हुए. पुलवामा घटना के वक्ते वो सीआरपीएफ 12 वीं बटालियन में हेड कांस्टेबल के पद पर तैनात थे.
शहीद विजय सोरेंग की माता लक्ष्मी देवी एवं पिता बिरिश सोरेन को अपने बेटे की शहादत पर गर्व है. पिता बिरिश ने बताया कि बेटे के शहीद हुए अब 4 साल पूरे हो गए परंतु अभी भी विश्वास नहीं होता है आज भी यह महसूस होता है कि बेटा कहीं से वापस घर लौट आएगा. उन्होंने कहा कि मैं खुद फौज की नौकरी से रिटायर कर चुका हूं देश की सेवा में बेटे के शहीद होने से खुद को मैं फर्क महसूस करता हूं. शहीद विजय की मां लक्ष्मी सोरेन ने कहा कि बेटे से बिछड़ने का अफसोस तो है पर गर्व भी है कि मेरा बेटा देश की सेवा में शहीद हुआ है.
शहीद विजय सोरेंग के भाई संजय कहते हैं कि भाई के शहीद हुए दो 4 वर्ष पूरे हो गए लेकिन लगता है कि अभी भी ड्यूटी में तैनात है उन्होंने कहा कि भैया ड्यूटी के दौरान शहीद हो गए इसलिए अभी भी विश्वास नहीं होता कि वे हमारे बीच नहीं हैं. शहीद विजय की पहली पत्नी कारमेला बा रांची होटवार में झारखंड पुलिस महिला बटालियन में कांस्टेबल के पद पर कार्यरत हैं. वहीं दूसरी पत्नी विमला अपने मायके सिमडेगा में रहती है. पहली पत्नी से पुत्र 24 वर्षीय अरुण को सीआरपीएफ ने नौकरी का प्रस्ताव दिया था लेकिन अरुण ने सरकार से सिविल नौकरी की मांग की थी परंतु सिविल नौकरी मिलने के बाद भी उसने नौकरी में जाने से इनकार कर दिया.