पटना : बिहार में इस साल अप्रैल से चौथा कृषि रोड मैप शुरू हो चुका है. 18 अक्टूबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू विधिवत रूप से उद्घाटन करेंगी. लेकिन, इस कार्यक्रम से पहले ही नीतीश सरकार की कई स्तर पर मुश्किलें बढ़ने वाली हैं. दरअसल, पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह बिहार के चौथे कृषि रोड मैप को लेकर सवाल खड़ा कर चुके हैं. इसपर उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र भी लिखा था. उन्होंने कृषि मंत्री रहते फिर से कृषि रोड मैप बनाने की बात भी कही थी, जिसमें कृषि के विशेषज्ञों को शामिल करने और अधिकारियों को इससे अलग करने की बात कही थी.
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चौथे कृषि रोड मैप पर बड़ी चुनौती : केंद्र सरकार ने जब मंडी कानून को समाप्त कर दिया था तो पूरे देश में किसानों का जबरदस्त आंदोलन हुआ. उस समय नीतीश कुमार एनडीए में थे और कृषि कानून का समर्थन किया था. नीतीश कुमार ने बिहार में जब सत्ता संभाली थी तो उस समय एपीएमसी एक्ट यानी एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट कमेटी एक्ट को खत्म कर दिया था. 2006 में ही यह एक्ट मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने समाप्त किया था, इसके कारण बाजार समिति की जो व्यवस्था थी वह समाप्त हो गयी. नीतीश कुमार कई बार कह चुके हैं एपीएमपी एक्ट के समाप्त होने से किसानों को लाभ मिला है और इसलिए केंद्र ने जब कृषि कानून लागू किया तो उसका समर्थन किया था. लेकिन किसानों के विरोध के कारण केंद्र सरकार को कृषि कानून वापस लेना पड़ा.
क्या है सुधारकर सिंह का विरोध? : वहीं, सुधाकर सिंह बिहार में मंडी व्यवस्था को लागू करने की मांग करते रहे हैं. उसमें किसान नेता राकेश सिंह टिकैत का साथ मिल रहा है. राकेश सिंह टिकैत ने मुख्यमंत्री को पत्र भी लिखा था और उनसे मंडी व्यवस्था लागू करने की मांग की थी. जिससे किसानों को उपज का सही मूल्य मिल सके. अब एक बार फिर से कैमूर रोहतास और औरंगाबाद में किसान जनसभा करने आ रहे हैं. राकेश सिंह टिकैत का उस समय यह कार्यक्रम हो रहा है, जब कुछ दिन बाद ही राष्ट्रपति 18 अक्टूबर को पटना में चौथे कृषि रोड मैप की विधिवत शुरुआत करेंगी. क्योंकि, पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह कृषि रोड मैप को लेकर अपनी नाराजगी जता चुके हैं. इससे बिहार के किसानों को किसी तरह का लाभ नहीं होने की बात भी कह चुके हैं.
APMC एक्ट खत्म लेकिन कारगर विकल्प नहीं मिला ? : बिहार के अर्थशास्त्री डॉक्टर विद्यार्थी विकास का भी कहना है एपीएमपी एक्ट के समाप्त होने से किसानों को कोई लाभ नहीं हुआ है. यहां भी मंडी व्यवस्था लागू होनी चाहिए जिससे किसानों को उनका सही मूल्य मिल सकता है. विद्यार्थी विकास का यह भी कहना है एपीएमपी एक्ट समाप्त करने के बाद बिहार सरकार ने किसानों की उपज बेचने के लिए कोई बेहतर व्यवस्था नहीं की और इसके कारण किसानों को ओने पौने दाम में अपने उत्पाद बेचने पड़ते हैं.
बिहार में PACS का क्या है हाल?: बिहार में पैक्स के जरिए ही गेहूं और धान की खरीदी होती है. इनकी खरीद में किसानों को परेशानियां भी झेलनी पड़ती है. धान में नमी की वजह से छोटे किसान परेशान रहते हैं, फायदा बड़े किसानों को भी मिल पाता है. छोटे किसान आज भी बिचौलियों के माध्यम से अपने उत्पाद बेचते हैं. छोटे किसानों की संख्या बिहार में ज्यादा है इसलिए जो फायदा होना चाहिए वह उन्हें नहीं मिल पा रहा है. अर्थशात्री की मानें तो बिहार में पैक्स कुछ खास असर नहीं डाल पा रहा है.