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Four Years Of Burari Case: आज भी खड़े हाे जाते हैं लाेगाें के रोंगटे

दिल्ली के बुराड़ी इलाके में हुए सामूहिक आत्महत्या मामले की आज चाैथी बरसी है. चार साल बाद भी बुराड़ी सामूहिक आत्महत्या की कहानी चर्चाओं में है. आज भी सुनने वाले के रोंगटे खड़े हाे जाते हैं. बुराड़ी आते ही हर किसी की नजर उस मकान काे ढूंढने लगती है जिसमें चार साल पहले आज के ही दिन 11 लोगों की लाशें मिली थीं.

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Published : Jul 1, 2022, 9:10 PM IST

नई दिल्ली:आज से चार साल पहले एक जुलाई 2018 की सुबह ने न सिर्फ बुराड़ी काे बल्कि पूरे देश को हिला कर रख दिया. जिस किसी ने भी 11 लोगों की सामूहिक आत्महत्या की बात सुनी, सन्न रह गया. बता दें कि बुराड़ी के संत नगर स्थित मकान नंबर 137/5/2 में आज से चार साल पहले 10 लोगों का शव एक जाल में फांसी से लटका हुआ मिला था जबकि एक शव कमरे के अंदर मृत पाया गया था. उस वक्त बुराड़ी थाने के एसएचओ मनोज कुमार अपनी टीम के साथ घर में दाखिल हुए तो स्तब्ध रह गये. 10 लोगों के शव उनके सामने लटक रहे थे.

शुरुआती जांच में मामले काे हत्या से जोड़कर भी देखा जा रहा था. पुलिस ने हत्या की धाराओं में मामला दर्ज कर जांच शुरू की. आला अधिकारियों ने मामले की गंभीरता को देखते हुए क्राइम ब्रांच को जांच सौंप दी. जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी कई खुलासे हुए जिस पर यकीन करना भी मुश्किल हो रहा था. क्राइम ब्रांच की टीम को घर से ही चूडावत परिवार द्वारा लिखी गयी कुछ डायरियां मिलीं. जिसमें जो कुछ लिखा था वह सीधे तौर पर तंत्र-मंत्र और अंधविश्वास की तरफ इशारा कर रहा था. डायरी के पन्नों के साथ-साथ परत दर परत पूरे सामूहिक आत्महत्या मामले की कहानी भी खुलती गई.

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आखिरकार यह साफ हुआ कि अंधविश्वास और तंत्र मंत्र के चलते ही 11 लोगों ने सामूहिक आत्महत्या की थी. आत्महत्या करनेवालाें में परिवार की बुजुर्ग नारायणी देवी (77), इनके दो बेटे भावनेश भाटिया (50), ललित भाटिया (45), भावनेश की पत्नी सविता (48), ललित की पत्नी टीना (42), नारायणी देवी की विधवा बेटी प्रतिभा (57) और तीनों भाई-बहनों के बच्चे प्रियंका (33), नीतू (25), मोनू (23), ध्रुव (15) और शिवम (15) थे. घर के ग्राउंड फ्लोर पर ललित और भावनेश दोनों भाई अलग-अलग दुकान चलाते थे. जो शख्स सबसे पहले घर के ऊपर पहुंचे उन्होंने बताया कि घर की छत पर लगे जाल से सभी के शव लटके हुए थे. हाथ और पैर बंधे थे साथ ही आंखों पर पट्टी बंधी हुई थी. यह तरीका था उस अनुष्ठान का जिसकी पूरी कहानी घर से बरामद हुई डायरी में लिखी थी. जांच में मालूम हुआ कि ललित और भावनेश के पिता की आत्मा कथित रूप से पूजा-पाठ के बाद उनके पास आती थी.

डायरी के पन्नों के साथ-साथ परत दर परत पूरे सामूहिक आत्महत्या मामले की कहानी भी खुलती गई.

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रजिस्टर में यह भी लिखा हुआ था कि पूरे परिवार ने मोक्ष पाने के लिए अपने पिता के कहने पर ही सामूहिक आत्महत्या की. करीब ढाई सालों तक पूरी जांच और आसपास के लोगों से पूछताछ करने के बाद पुलिस के रिकॉर्ड में भी इस मामले को अंधविश्वास और तंत्र मंत्र से जोड़कर देखते हुए उसकी फाइल को बंद कर दिया गया. लेकिन आज भी जो कोई इस दास्तान को सुनता है तो उसे यकीन नहीं हो पाता कि अंधविश्वास के चलते पूरा का पूरा परिवार एक साथ फांसी के फंदे से कैसे झूल सकता है. ये बातें आज भी लोगों के जेहन में आती है तो उनके रोंगटे खड़े हो जाते हैं.

यहां चार साल पहले आज के ही दिन 11 लोगों की लाशें मिली थीं.

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