हैदराबाद :चार राज्यों में विधानसभा चुनाव परिणाम के नतीजे सामने आए हैं उनमें मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ भाजपा को बढ़त मिली है, हालांकि तेलंगाना में कांग्रेस की गारंटियों का जादू चला है. जनता ने कर्नाटक के बाद यहां कांग्रेस को बड़ी जीत का रास्ता दिखा दिया है. लेकिन चारों राज्यों की बात की जाए तो वोटर्स ने कांग्रेस की गारंटियों की बजाए 'मोदी की गारंटी' पर मुहर लगाई है. ये लोकसभा चुनाव के लिए भी भाजपा के लिए बहुत मायने रखता है. I.N.D.I.A गठबंधन पर भी इसका असर जरूर नजर आएगा.
राजस्थान में 'किसानों की बात', भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया :राजस्थान की बात करें तो पीएम मोदी ने हनुमानगढ़ की रैली में कांग्रेस पर जोरदार हमला बोलते हुए कहा था कि गरीबों को लूटने वाले सलाखों के पीछे होंगे. यही नहीं मोदी ने किसानों के लिए गारंटी का एलान किया था. पीएम मोदी ने एमएसपी पर फसल खरीदने की गारंटी दी थी. प्रधानमंत्री सम्मान निधि के जरिए 12 हजार रुपये देने का भी वादा किया था. मोदी ने भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया था.
पीएम ने रेड डायरी का भी जिक्र किया. राजेंद्र गुहा जिन्हें गहलोत सरकार ने बर्खास्त कर दिया था, उन्होंने इसका जिक्र किया. उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस नेता धर्मेंद्र राठौड़ के यहां आयकर रेड के दौरान उन्हें यह डायरी मिली थी. जिसमें उनके अनुसार यह लिखा हुआ है कि 'सीएम को कहां-कहां से पैसे मिलते हैं.' पीएम मोदी ने कहा कि रेड डायरी नई लूट की दुकान है. चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा ने पेपर लीक मामला भी उठाया.
भाजपा ने कई योजनाओं का किया है वादा :भाजपा ने लाडो प्रोत्साहन योजना का वादा किया. इसके तहत गरीब परिवारों के यहां किसी लड़की का जन्म हुआ, तो उन्हें दो लाख रु. का सेविंग बॉन्ड दिया जाएगा. पार्टी ने हरेक थाना क्षेत्र में महिला डेस्क और प्रत्येक जिले में कम से कम एक महिला थाना बनाने का भी आश्वासन दिया है. एंटी रोमिया स्कॉयड बनाने का वादा किया है. पिंक बस योजना चलाई जाएगी. पुलिस बल में 33 फीसदी महिलाओं के अनुपात को मैंटेन किया जाएगा. सार्वजनिक जगहों पर सीसीटीवी कैमरे लगवाए जाएंगे. 500 कालिका पेट्रोलिंग टीम को शिक्षण संस्थानों के बाहर तैनात किया जाएगा. फास्ट ट्रैक कोर्ट को बढ़ाने की बात कही गई है. छह लाख ग्रामीण महिलाओं के स्किल को बढ़ाया जाएगा. उनके लिए लखपति दीदी योजना की शुरुआत की जाएगी. 12वीं पास करने पर मेरिटोरियस लड़कियों को स्कूटी देने का भी वादा किया गया.
गरीब परिवार की लड़कियां पीजी तक मुफ्त पढ़ाई कर सकेंगी. पीएम मातृ वंदना स्कीम की बात कही गई. गरीब परिवारों को 450 रु. में गैस सिलेंडर देने का वादा किया गया है. इसके अलावा भाजपा ने अपने घोषणापत्र में कहा है कि बालिका सैनिक स्कूल स्थापित किया जाएगा. शिक्षक भर्ती में 50 फीसदी तक महिलाओं को रिजर्वेशन दिया जाएगा. महिला स्वयं सहायता ग्रुप के लिए 1000 करोड़ दिया जाएगा. विधवा पेंशन योजना के तहत 1500 रुपये मिलेंगे. मिशन पिंक टॉयलट का भी जिक्र किया गया है.
कांग्रेस ने भी सीसीटीवी, फीमेल वार्डेन नियुक्ति की बात कही है. गांव के हरेक वार्ड में महिलाओं की सुरक्षा के लिए गार्ड की नियुक्ति का वादा किया है. महिला कोर्ट की स्थापना का वादा किया है. हालांकि वादों की इस फेहरिस्त में जनता ने मोदी की गारंटी पर मुहर लगाई है.
राजस्थान में मोदी के चेहरे पर ही लड़ा चुनाव :राजस्थान में भाजपा ने इस बार किसी भी उम्मीदवार को बतौर मुख्यमंत्री पेश नहीं किया. पार्टी मोदी के दम पर ही चुनाव मैदान में उतरी. ऐसा माना जाता है कि एक से ज्यादा उम्मीदवारों की चाहत सीएम बनने की रही है, लिहाजा पार्टी ने किसी भी चेहरे को प्राथमिकता नहीं दी, यहां तक कि वसुंधरा राजे को भी नहीं. प्रचार के दौरान कई बार यह खबरें चली कि राजे नाराज चल रहीं हैं. राजसमंद से सांसद दीया कुमारी को भी मैदान में उतारा गया. वह जयपुर के वल्लभनगर से चुनाव मैदान में थीं. उन्हें भी सीएम पद का प्रमुख उम्मीदवार माना जा रहा है.
वसुंधरा ने 2013 में भाजपा को बड़ी जीत दिलाई थी. हालांकि, 2018 में वह पार्टी को जीत नहीं दिला सकीं. भाजपा ने 70 सीटिंग विधायकों में से 59 को रिटेन किया है. वहीं, कांग्रेस ने 97 विधायकों को रिटेन किया. राजस्थान में 199 सीटों मतदान हुआ था. करनपुर सीट पर चुनाव नहीं हो सका, क्योंकि वहां पर कांग्रेस उम्मीदवार का निधन होने की वजह से चुनाव रद्द कर दिया गया.
मध्य प्रदेश में भी मोदी फैक्टर :मध्य प्रदेश के एग्जिट पोल में भाजपा को बड़ी जीत का अनुमान जताया गया था. मध्य प्रदेश पिछले 20 सालों से भाजपा का गढ़ रहा है. हां, 2018 में कांग्रेस की सरकार जरूर बनी थी, लेकिन वह ज्यादा दिनों तक नहीं चल सकी. 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 114 सीटें मिली थीं. भाजपा को 109 सीटें प्राप्त हुई थीं. जहां तक मत प्रतिशत का सवाल है, तो दोनों पार्टियों के बीच महज 0.02 फीसदी का अंतर था. कांग्रेस को 41.35 प्रतिशत, तो भाजपा को 41.33 फीसदी मत मिला था.
कांग्रेस ने कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाया था. इस फैसले से ज्योतिरादित्य सिंधिया खुश नहीं थे. आखिरकार सिंधिया 22 विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हो गए और भाजपा के शिवराज सिंह चौहान फिर से सीएम बन गए. तब से सीएम की लोकप्रियता कभी नहीं घटी. अभी थोड़ी देर पहले भी शिवराज सिंह ने जीत को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को श्रेय दिया.
आपको बता दें कि शिवराज सिंह चौहान लंबे समय से प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं. इसलिए पार्टी के सामने एंटी इंकंबेंसी फैक्टर एक बहुत बड़ा मुद्दा था. भाजपा ने एंटी इंकंबेंसी फैक्टर को न्यूट्रल करने के लिए शिवराज सिंह को सीएम के तौर पर प्रोजेक्ट नहीं किया. इसके साथ ही पार्टी ने राज्य के वरिष्ठ नेताओं को मैदान में उतारा. केंद्रीय मंत्री तक को चुनावी मैदान में उतार दिया. केंद्रीय मंत्रियों में नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद पटेल, फगन सिंह कुलस्ते भी मैदान में उतरे. पार्टी के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय, उदय प्रताप सिंह, गणेश सिंह, रीति पाठकक और राकेश सिंह को भी उतारा गया.
हालांकि, भाजपा ने शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में जिन सामाजिक योजनाओं को चलाया था, उसे बार-बार उठाती रही. वह चाहे लाडली बहना योजना हो या फिर किसान सम्मान योजना की बढ़ाई गई राशि हो. भाजपा नेता बार-बार रैलियों में शिवराज की जगह मोदी का नाम लेते रहे, उन्होंने कहा कि 'मोदी ही हमारे चेहरे हैं.' यह भाजपा की एक रणनीति थी, ताकि वह एंटी इंकंबेंसी फैक्टर को बहुत हद तक कम कर सके.