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UNICEF : बच्चों के हितों और अधिकारों की रक्षा करना है मकसद

संयुक्त राष्ट्र ने 11 दिसंबर को 1946 को बच्चों की मदद के लिए आपातकालीन कोष बनाया, जिसे संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनीसेफ) कहते हैं. 11 दिसंबर 2020 को इसके गठन के 74 साल पूरे हो गए. जानिये क्यों हुई शुरुआत, भारत में कितने राज्यों में कर रहा काम.

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Published : Dec 11, 2020, 6:10 PM IST

हैदराबाद :द्वितीय विश्व युद्ध से प्रभावित बच्चों की मदद के लिए संयुक्त राष्ट्र राहत पुनर्वास प्रशासन ने अंतरराष्ट्रीय बाल आपातकालीन कोष (ICEF) बनाया था, बाद में महासभा ने यूनिसेफ को अस्तित्व में लाने के लिए एक प्रस्ताव पास किया. बच्चों के हितों की रक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनीसेफ) की स्थापना की.

द्वितीय विश्व युद्ध के कारण तबाह हुए बच्चों के स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा और सामान्य कल्याण में सुधार के लिए संयुक्त राष्ट्र ने इसकी शुरुआत की थी. 1950 में, यूनिसेफ के जनादेश को बढ़ाया गया और 1953 में इसने अपने मिशन को व्यापक बनाया और संयुक्त राष्ट्र प्रणाली का एक स्थायी हिस्सा बन गया. इस संगठन के नाम में से ‘अंतर्राष्ट्रीय’ एवं ‘आपातकालीन’ शब्दों को हटा दिया गया.

यूनिवर्सल चिल्ड्रन डे
20 नवंबर, 1959 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने बाल अधिकारों की घोषणा को अपनाया और 20 नवंबर, 1989 को बाल अधिकारों पर कन्वेंशन को अपनाया. तब से 20 नवंबर को यूनिवर्सल चिल्ड्रन डे मनाया जाता है.

यूनिवर्सल चिल्ड्रन डे संयुक्त राष्ट्र बाल कोष द्वारा दुनिया भर में बच्चों में अंतरराष्ट्रीय एकजुटता और जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए किए गए कार्यों का हिस्सा है.

190 देशों में काम कर रहा यूनीसेफ
यूनिसेफ 190 देशों और क्षेत्रों में काम करता है, जिसका उद्देश्य बच्चों के जीवन को बचाना, उनके अधिकारों की रक्षा करना और किशोरावस्था के दौरान बचपन से ही उनकी क्षमता को पूरा करने में उनकी मदद करना है. बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन यूनिसेफ के काम का आधार है.

कन्वेंशन में 54 लेख हैं जो बच्चे के जीवन के सभी पहलुओं को कवर करते हैं. नागरिक, राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों को निर्धारित करते हैं, जिनके लिए सभी बच्चे हकदार हैं. यह बताता है कि वयस्कों और सरकारों को मिलकर काम करना चाहिए ताकि सभी बच्चे अपने सभी अधिकारों का आनंद ले सकें.
संगठन बच्चों में संचार, लैंगिक समानता, बाल संरक्षण, विकलांगता से पीड़ित बच्चों, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन और अल्प विकसित बच्चों के सामाजिक समावेश के क्षेत्र में काम करता है. यूनीसेफ का झंडा नीले रंग का है इसमें ग्लोब और जैतून के पत्ते शामिल हैं. यह ग्लोब सर्कल में एक मां और बच्चे को दर्शाता है.

भारत में तीन सदस्यों के साथ शुरू किया था काम
संगठन ने 1949 में तीन स्टाफ सदस्यों के साथ भारत में अपना काम शुरू किया था, तीन साल बाद दिल्ली में कार्यालय स्थापित किया. वर्तमान में यह भारत के 16 राज्यों में बच्चों के अधिकारों की रक्षा करता है.

2018 की रिपोर्ट के अनुसार, यूनिसेफ ने विश्वभर में 27 मिलियन बच्चों के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं का समर्थन किया, करीब 65.5 मिलियन बच्चों के लिए पेंटावैलेंट वैक्सीन की तीन खुराक, 12 मिलियन बच्चों के लिए शिक्षा और गंभीर तीव्र कुपोषण वाले 4 मिलियन बच्चों का इलाज किया.

डेनमार्क में है यूनीसेफ का आपूर्ति विभाग
यूनिसेफ का आपूर्ति विभाग कोपेनहेगन (डेनमार्क) में है जहां से यह टीके, पोषण संबंधी पूरक आहार, आपातकालीन आश्रय, परिवार के पुनर्मिलन और शैक्षिक आपूर्ति के साथ बच्चों और माताओं के लिए आवश्यक वस्तुओं जैसे कि टीके, एंटीरेट्रोवायरल दवाओं के वितरण आदि का काम करता है.

2019 में ये रहीं उपलब्धियां

  • बाल अधिकारों पर कन्वेंशन की 30 वीं वर्षगांठ 2019 में, यूनीसेफ और इससे जुड़े देशों ने बच्चों और युवाओं के साथ मिलकर उन बाधाओं को दूर करने के लिए काम किया जो बहुत अधिक बच्चों को उनकी पूरी क्षमता तक पहुंचने से रोकते हैं.
  • यूनीसेफ ने 2018-2021 का जो लक्ष्य रखा था उसका 74 फीसदी 2019 के अंत तक हासिल कर लिया था.
  • कुपोषण के शिकार 5 साल से कम के करीब 307 मिलियन बच्चों तक मदद पहुंचाई. 17 मिलियन बच्चों को शिक्षा उपलब्ध कराई, जबकि 18.3 मिलियन तक शुद्ध पीने का पानी.
  • 96 देशों में 281 आपात स्थितियों में मानवीय सहायता पहुंचाने का काम भी किया. 2019 में यूनिसेफ के 137 सरकारी साझेदारों ने अंतर सरकारी संगठनों और अंतर-संगठनात्मक व्यवस्थाओं के साथ, 4.7 बिलियन अमेरिकी डालर का योगदान दिया.

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