नई दिल्ली: सीओपी28 के अध्यक्ष सुल्तान अल जाबेर ने गुरुवार को कहा कि इस साल की संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता में जीवाश्म ईंधनों पर प्रमुखता से विचार किया जाएगा और कोई भी मुद्दा बातचीत के दायरे से बाहर नहीं है. सीओपी28 के पूर्ण सत्र का उद्घाटन करते हुए अल जाबेर ने कहा कि 'यह सीओपी जीवन को बेहतर बनाने के लिए और लोगों के बारे में है.' उन्होंने मिस्र के सामेह शौकरी से सीओपी28 (कांफ्रेंस ऑफ पार्टीज) का प्रभार आधिकारिक रूप से संभाला है.
जीवाश्म ईंधनों- कोयला, तेल और गैस- के उपयोग में चरणबद्ध तरीके से कमी लाने के लिए वैश्विक दबाव बढ़ता जा रहा है. यह ईंधन वैश्विक जलवायु परिवर्तन में सबसे बड़ी भूमिका निभाता है. यह 75 प्रतिशत से अधिक वैश्विक ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन और सभी कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन के करीब 90 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार है.
वहीं, जीवाश्म ईंधन का उत्पादन करने वाले देशों की ओर से इसका प्रतिरोध किया जा रहा है और कंपनियां दलील दे रही हैं कि जब तक वे अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों का उपयोग कर कार्बन उत्सर्जन से निपट रही हैं, उन्हें तेल और गैस निकालना जारी रखने की अनुमति दी जानी चाहिए. 2023 की उत्पादन अंतराल रिपोर्ट के निष्कर्षों से खुलासा हुआ कि सरकारें वैश्विक ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक न बढ़ने देते हुए दोगुनी से अधिक मात्रा में जीवाश्म ईंधन का उत्पादन करने की योजना बना रही हैं.
यह रिपोर्ट 20 नवंबर को जारी की गई है. इसमें चेतावनी दी गई है कि यदि विभिन्न देशों की सरकारें अधिक महत्वाकांक्षी लक्ष्यों पर सहमत नहीं होती हैं और उन्हें लागू नहीं करती हैं तो विश्व करीब तीन डिग्री सेल्सियस वार्मिंग की ओर बढ़ेगा. ग्लासगो में 2021 में, सीओपी26 में देशों से कोयले का उपयोग चरणबद्ध तरीके से कम करने की अपील की गई थी.
इसे आगे बढ़ाते हुए, पिछले साल के सीओपी27 में करीब 80 विकसित और विकासशील देशों ने न केवल कोयला, बल्कि सभी जीवाश्म ईंधनों के उपयोग में चरणबद्ध तरीके से कमी लाने का समर्थन किया था. अल जाबेर ने प्रतिनधियों से अनुरोध किया कि 'मैं जानता हूं कि वार्ता के विषय में जीवाश्म ईंधन और नवीकरणीय ऊर्जा को शामिल करने के मजबूत विचार हैं. हमारे पास कुछ अभूतपूर्व करने की शक्ति है. मैं आपसे साथ मिलकर काम करने की अपील करता हूं.'