देहरादून: उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (Trivendra Singh Rawat) फिर चर्चाओं में हैं. इस बार सुर्खियों की वजह उनका दिल्ली दौरा और एक बयान है. ये बयान उनका मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने को लेकर है. उन्होंने खुद कहा है कि मुख्यमंत्री के पद से हटाया जाना उनकी उम्मीदों से परे था, क्योंकि उस समय विधानसभा का सत्र चल रहा था. अगर ये फैसला थोड़े समय बाद लिया जाता तो कोई आश्चर्य नहीं होता. त्रिवेंद्र सिंह ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) को लेकर भी बड़ी बात कही. उन्होंने कहा कि ये दोनों सोशल मीडिया (social media) के कलाकार हैं. रावत ने ईटीवी भारत (ETV bharat) से साथ खास बातचीत में कई बातों पर प्रकाश डाला.
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने का निर्णय यदि दो-तीन दिन बाद लिया जाता तो अच्छा होता, क्योंकि ये निर्णय विधानसभा सत्र के बीच में हुआ. मुख्यमंत्री, पार्टी कार्यकर्ता और इंसान होने के नाते स्वाभाविक तौर पर उन्हें उम्मीद थी कि ये फैसला विधानसभा सत्र खत्म होने के बाद लिया जाएगा. लेकिन पार्टी का एक अनुशासित कार्यकर्ता होने के नाते उन्होंने बीजेपी हाईकमान के आदेश का पालन किया. हालांकि, उनका जो बयान मीडिया में चल रहा है, वो तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है.
दिल्ली दौरे पर दिया जवाब
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत हाल ही में दिल्ली दौरे से देहरादून लौटे हैं. अपने दिल्ली दौरे के लेकर रावत ने बताया कि मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद वे दिल्ली नहीं जा पाए थे. इसलिए अब वे दिल्ली गए और अपने चार साल के कार्यकाल में उन्हें केंद्र से जो सहयोग मिला, इसको लेकर केंद्रीय नेतृत्व का धन्यवाद किया. इसके अलावा पार्टी हाईकमान से उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 की रणनीति को लेकर भी चर्चा हुई. पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बीजेपी हाईकमान को उत्तराखंड में संगठन और सरकार के हालात की जानकारी दी. इस पर दोनों के बीच विस्तृत चर्चा हुई.
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जिम्मेदारी हाईकमान तय करेगा
मुख्यमंत्री के पद से हटाए जाने के बाद से ही इस तरह की चर्चाएं की जा रही हैं कि त्रिवेंद्र सिंह रावत को केंद्र में कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है. इस सवाल पर त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि एक कार्यकर्ता होने के नाते हाईकमान उन्हें जो भी जिम्मेदारी देगा, उसे वे स्वीकार करेंगे. उन्हें क्या जिम्मेदारी देनी है, ये आलाकमान तय करेगा और वो ही उस पर विचार करेगा.