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पूर्वोत्तर राज्यों से AFSPA को निरस्त करने के लिए पूर्व गृह सचिव जीके पिल्लई ने दिए ये सुझाव - इरोम शर्मिला

पूर्व केंद्रीय गृह सचिव जीके पिल्लई ने सुझाव दिया है कि पूर्वोत्तर में जिन स्थानों पर अशांति नहीं है वहां से सशस्त्र सेना विशेषाधिकार कानून (AFSPA) को हटाया जा सकता है. पढ़ें वरिष्ठ संवाददाता गौतम देब राय की रिपोर्ट...

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Published : Dec 14, 2021, 8:55 PM IST

Updated : Dec 14, 2021, 9:14 PM IST

दिल्ली: पूर्वोत्तर राज्यों से सशस्त्र सेना विशेषाधिकार कानून (AFSPA) को निरस्त करने की मांग को लेकर पूर्व केंद्रीय गृह सचिव जीके पिल्लई ने एक सुझाव दिया है. उनके मुताबिक इस विवादास्पद अधिनियम को उन स्थानों से निरस्त किया जा सकता है जहां अशांति नहीं है. जीके पिल्लई ने सुझाव दिया है कि असम से Armed Forces Special Powers Act (AFSPA) को निरस्त किया जा सकता है.

ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान पिल्लई ने कहा कि " अगर स्थिति में सुधार होता है, तो सरकार धीरे-धीरे सशस्त्र सेना विशेषाधिकार कानून (AFSPA) को निरस्त कर सकती है क्योंकि आपको वहां सेना की जरूरत नहीं है. असम से AFSPA को पूरी तरह से हटाया जा सकता है और सीआरपीएफ की मदद से राज्य की पुलिस हालात को आसानी से मैनेज कर सकती है. असम में कोई भी विद्रोह और अशांति नहीं है"

बीते दिनों नागालैंड में सुरक्षा बलों की फायरिंग में आम लोगों की मौत के बाद छात्र संगठनों से लेकर सियासी दल AFSPA को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं. मेघालय और नागालैंड के मुख्यमंत्रियों ने खुले तौर पर इस कानून को अपने-अपने राज्यों से निरस्त करने की मांग उठाई है.

AFSPA सुरक्षा बलों को अशांत क्षेत्रों में संदेह के आधार पर गोली मारने और लोगों को हिरासत में लेने का विशेष अधिकार देता है और इसी कानून को निरस्त करने की मांग उत्तर पूर्वी राज्यों में उठ रही है.

पिल्लई कहते हैं कि कुल मिलाकर नागालैंड में स्थिति शांतिपूर्ण है. "राज्य पुलिस के साथ-साथ केंद्रीय बलों के लिए स्थिति पर नियंत्रण करना आसान है, क्योंकि सरकार का ज्यादातर आतंकी संगठनों के साथ संघर्ष विराम है" उन्होंने कहा कि अगर AFSPA की जरूरत पड़ती है तो इसे आसानी से दोबारा भी लागू किया जा सकता है.

पिल्लई के मुताबिक जब वो गृह सचिव थे तो उन्होंने शांति वाले क्षेत्रों से AFSPA को हटाने का सुझाव दिया था. पिल्लई कहते हैं कि "त्रिपुरा से ये कानून पूरी तरह से हटा दिया गया है और राज्य की पुलिस आसानी से स्थिति का प्रबंधन कर रही है. असम की तरह स्थिति को पुलिस द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है. असम सरकार को अब बड़े विद्रोह की चिंता करने की जरूरत नहीं है"

गौरतलब है कि इरोम शर्मिला (Irom Chanu Sharmila) ने AFSPA हटाने की मांग को लेकर 16 साल तक अनशन पर रहीं. सालों चले उनके आंदोलन के बाद मणिपुर की राजधानी इंफाल से ये AFSPA वापस ले लिया गया था. पिल्लई कहते हैं कि " इंफाल शहर से इस कानून के हटने के बाद वहां कानून-व्यवस्था को लेकर किसी तरह की कोई शिकायत नहीं आई"

जीके पिल्लई सुझाव देते हैं कि AFSPA को चंदेल, चुराचांदपुर, तामेंगलोंग समेत मणिपुर के अन्य कई जिलों से हटा देना चाहिए, जहां भी शांति है.

पिल्लई कहते हैं कि "मुझे नहीं पता कि सरकार AFSPA को निरस्त करने पर सहमत होती है या नहीं, क्योंकि आपातकालीन स्थिति में इसकी जरूरत पड़ सकती है." अरुणाचल प्रदेश में AFSPA इसलिये है क्योंकि इसके कई जिले नागालैंड की सीमा से लगते हैं. पिल्लई ने कहा कि "मुख्य रूप से नागालैंड से सटे दो जिलों में कानून-व्यवस्था की समस्या है. बाकी जगहों पर कोई उग्रवाद नहीं है"

मेघालय और नागालैंड की सरकारों के AFSPA को निरस्त करने की मांग पर पिल्लई कहते हैं कि राज्य सरकार को केंद्र सरकार पर इस कानून को वापस लेने के लिए दबाव बनाने की जरूरत है. पिल्लई ने कहा कि जहां भी AFSPA हटाया जाता है तो संबंधित राज्य की सरकार को कोई समस्या नहीं होती है क्योंकि राज्य कानून-व्यवस्था की स्थिति का प्रबंधन करने में सक्षम हैं.

ये भी पढ़ें: सशस्त्र सेना विशेषाधिकार कानून AFSPA क्या है, जिसे वापस लेने की मांग दो मुख्यमंत्रियों ने की है

Last Updated : Dec 14, 2021, 9:14 PM IST

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