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AS Dulat at JLF 2023 : बोले पूर्व रॉ चीफ- आतंकवाद कम हुआ, लेकिन पाकिस्तान और चीन से बात भी जरूरी

रॉ के पूर्व चीफ एएस दुलत भी जयपुर लिटरेचर फेस्ट में पहुंचे (AS Dulat at JLF 2023). खुशी जताई कि कश्मीर मुद्दे का हल सही दिशा में जा रहा है, लेकिन साथ ही मसले को सुलझाने में पाकिस्तान और चीन के साथ बातचीत के दरवाजे खुले रखने की सलाह भी दी.

AS Dulat at JLF 2023
AS Dulat at JLF 2023

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Published : Jan 23, 2023, 4:24 PM IST

जयपुर.स्पाईमास्टर के नाम से ख्याति प्राप्त पूर्व रॉ चीफ एएस दुलत JLF 2023 में अपनी नई किताब'ए लाइफ इन द शैडोज़: ए मेमॉयर' पर सोमवार को बातचीत करने पहुंचे (AS Dulat at JLF 2023). आतंकवाद पर गहरी समझ रखने वाले दुलत ने माना किभारत की मौजूदा बाहुबल नीति कश्मीर में आतंकवाद पर अंकुश लगाने में मददगार साबित हो रही है.

आतंकवाद पर अंकुश का उपाय!- आतंकवाद को कंट्रोल करने के पीछे तर्क दिया कि आतंकवाद कम हो रहा है और कम होना जारी रहेगा. साथ में माना कि आतंकवाद तब तक बना रहेगा, जब तक हम इसे पाकिस्तान के साथ सुलझा नहीं लेते. पाकिस्तान के साथ चीन से भी बात करना जरूरी है. जेएलएफ के एक सत्र में शामिल दुलत ने कहा कि कश्मीर लगभग पूरी तरह से मुख्यधारा में आ चुका है. कश्मीरियों के दिमाग से पाकिस्तान निकल गया है. अलगाववाद और हुर्रियत सब खत्म हो गए हैं.

'370 हटाना नहीं था जरूरी'- 1999-2000 के दौरान खुफिया एजेंसी का नेतृत्व करने वाले एएस दुलत जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में हार्पर कॉलिन्स इंडिया की ओर से प्रकाशित नई किताब 'ए लाइफ इन द शैडोज़: ए मेमॉयर' पर वरिष्ठ पत्रकार मंदिरा नायर के साथ बातचीत कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने कहा कि वर्ष 1947 से भारत सरकार कश्मीर को मुख्यधारा में लाने और पाकिस्तान को कश्मीरियों के दिमाग से बाहर निकालने की कोशिश कर रही है. इसमें काफी हद तक सफल भी हुए हैं. हालांकि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 को समाप्त करने की कोई जरूरत नहीं थी. जो जम्मू कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा प्रदान करता था क्योंकि इसमें कुछ बचा नहीं था और ये केवल अपनी गरिमा को बचाए रखने का एक माध्यम था.

हैरी का जिक्र कर कश्मीर का दर्द बताया- दुलत ने प्रिंस हैरी की हालिया किताब 'स्पेयर' का जिक्र किया. ब्रिटिश शाही परिवार के पूर्व सदस्य के बारे में कहा कि उन्होंने किताब में लिखा है- 'जीवन की तमाम विसंगतियों में, उन्हें केवल एक चीज जो सामान्य दिखाई दी और जिसका उन्होंने आनंद उठाया, वह अफगानिस्तान था.' दुलत ने जोर देकर कहा कि वो कश्मीर के बारे में भी यही बात कह सकते हैं. बोले- हम आज भी उसे प्यार करते हैं, वहां जाते हैं, आनंद उठाते हैं. दुर्भाग्य से, दिल्ली ने हमेशा से ही इसे स्याह सफेद के तौर पर देखा है. वो बाकी को नहीं समझते. आप केवल गुलमर्ग या पहलगाम में छुट्टियां बिताने नहीं बल्कि सही में कश्मीर जाएं और श्रीनगर में लोगों से बात करें तो आप पाएंगे कि वो बहुत ही दयालु, भले और नेकदिल इंसान हैं.

पढ़ें-JLF 2023 Day 5: जयपुर लिटरेचर फेस्ट का आखिरी दिन, तकरीबन 34 सेशन होंगे आयोजित

कश्मीरी नेताओं ने क्या कहा!- दुलत ने मीरवाइज, उमर फारूक समेत कई कश्मीरी नेताओं से बातचीत का जिक्र किया. कहा मीरवाइज अभी जेल में हैं और वो कहते हैं कि उन्हें थोड़ी चालाकी से काम लेना पड़ता है, क्योंकि आपने हम लोगों को यही सिखाया है (Kashmiri Leaders On Terrorism). आपने हमसे कभी सच नहीं बोला इसलिए हमने भी आपसे झूठ बोला.

स्पाईमास्टर दुलत- आपको बता दें कि दुलत रॉ के एकमात्र ऐसे प्रमुख रहे हैं जिन्होंने पाकिस्तान की यात्रा की. उन्होंने बताया कि वो 2010 से 2012 के बीच चार बार पड़ोसी देश की यात्रा पर गए. दो बार लाहौर गए, इस्लामाबाद, कराची की भी यात्रा की. वो एक शानदार अनुभव बताया. दुलत ने कहा कि उन्होंने पर्दे के पीछे की कूटनीति के जरिए पाकिस्तान को बेहतर तरीके से जाना. अपनी नई पुस्तक 'ए लाइफ इन द 'शैडोज़' में उन्होंने भारत के वर्तमान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के बारे में भी बात की है. सत्र के दौरान जब उनसे डोभाल सिद्धांत और दुलत सिद्धांत के बीच समानताएं पूछी गईं तो उन्होंने कहा कि उनके पास कोई सिद्धांत नहीं है.जबकि डोभाल का एक सिद्धांत है, जो उन्हें नहीं पता. लोग इसके बारे में बात करते हैं.

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